किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के कोर्डिनेटर सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि मृतक किसान रेशम सिंह केंद्र सरकार से निराश थे, क्योंकि लंबे समय से चल रहे विरोध के बावजूद भी सरकार समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है।
पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे 55 वर्षीय किसान रेशम सिंह ने गुरुवार 9 जनवरी को कथित तौर पर ज़हरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। तीन सप्ताह के अंदर आंदोलन स्थल पर हुई यह दूसरी घटना है। किसानों ने बताया कि रेशम सिंह को पटियाला के राजिंदरा अस्पताल ले जाया गया था जहां उनकी मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मृतक किसान तरनतारन जिले के पहुविंड के रहने वाले थे। शंभू बॉर्डर पर किसान पिछले एक साल से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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मुआवज़ा मिलने के बाद होगा अंतिम संस्कार
किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के कोर्डिनेटर सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि मृतक किसान रेशम सिंह केंद्र सरकार से निराश थे, क्योंकि लंबे समय से चल रहे विरोध के बावजूद भी सरकार समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि मृतक किसान का अंतिम संस्कार तब तक नहीं किया जाएगा जब तक सरकार उनके परिवार को 25 लाख रूपये का मुआवजा नहीं देती। इसके साथ ही परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं देती और उनका कर्ज माफ नहीं करती। पंधेर ने कहा, “किसान का शव तब तक मुर्दाघर में रखा जाएगा जब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता।”
एक और किसान, रंजीत सिंह ने 18 दिसंबर को शंभू बॉर्डर पर आत्महत्या की थी।
मृतक किसान रंजीत सिंह, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (70) की खराब होती तबियत को लेकर परेशान थे, जो 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे हुए और हर दिन के साथ उनकी हालत और भी खराब होती जा रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के तहत, किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली की तरफ मार्च करते हुए सुरक्षा बालों द्वारा उन्हें वहीं रोक दिया गया था।
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