पहले में और अब में कितना फर्क हुआ है पहले एक समय की महिलाएं और पुरुष इतना उत्साहित है अगर आज देखा जाए तो बिल्कुल बदला हुआ जमाना है महोबा जिला के गांव मुढारी इंदिरा गांधी को तुलादान कराया गया था 16 4 65 में चांदी से इंदिरा गांधी की भजन 49 किलो थी और चांदी इकट्ठा हो गई थी 54 किलो इसमें एक तरफ इंदिरा गांधी को तराजू में बैठा ला गया था और दूसरी तरफ चांदी रखी गई थी जो चांदी थी वह महिलाओं की जेवर थी अपने देश को बचाने के लिए कितना कितना भारत के लोग करते थे कि हमारा देश सुरक्षित रहे 20 सितंबर 1962 में नेहरू ने ऐलान किया था सोना चांदी मिले तो देश की रक्षा करा पाएंगे उस समय के नेहरू प्रधानमंत्री थे पूरे भारत वासियों ने ठान लिया था जो नौकरी पेशा के थे कि हम एक-एक दिन की वेतन देंगे इस रक्षा चीन को भारत में चढ़ाई भी करनी थी जैसे मुरारी गांव के रहने वाले छबि लाल पुरोहित को जानकारी मिली अपने गांव में सूचना दें पूरा गांव इकट्ठा हो गया और कह रहे थे की हम कांग्रेस के नेता का चांदी से तुलादान कराएंगे 54 किलो चांदी पहले से इकट्ठा हो गई थी और महिलाएं अपनी अपनी जेवर पहने बैठी थी कि अगर इंदिरा गांधी का तुलादान होता है जैसे ही तराजू ऊपर को चढ़ेगी चांदी कम होगी तो हम अपनी अपनी चांदी उतार के दे देंगे और उसी समय गांव आ से इंदिरा गांधी के आने के ही पहले इंदिरा गेट बनवा कर तैयार कर दिया था पर वह आज इंदिरा गेट भी टूटा फूटा पड़ा हुआ है जो एक नाम निशानी थी और आज भी कांग्रेसी नेता जो भी महोबा जिला का भ्रमण करते हैं तो मुढारी गांव जाते हैं इतना सब कुछ करने के बावजूद भी आज अगर देखा जाए तो मुरारी गांव वैसा ही पड़ा हुआ है ऐसे कुछ तकनीकी नहीं हुई थी उस समय से आज तक कि जो नाम निशान हो भला ही तुला दान की मूर्ति बनाकर रख दिया है नेता ही पूजा-पाठ करते हैं पर उस तरह देखा जाए तो कहीं कुछ नहीं है