नई दिल्ली: मंगलवार को तीन तलाक़ पर तुरंत रोक का विवादास्पद विधेयक विपक्ष के आपसी बंटवारे के चलते बहुत कम अंतर से राज्यसभा में पास हो गया। परन्तु यह सरकार एक बड़ी जीत है।
एनडीए ने मुस्लिम महिलाओं के (विवाह बचाने के अधिकार के कानून) विधेयक 2019 को पारित करवा लिया जबकि इसे पास होने के समय भी उपरी सदन में सबसे कम वोट मिले जो बताता है कि सरकार के इस दिशा में संगठित प्रबंधन के कारण हुआ।
कांग्रेस और अन्य विपक्ष की विधेयक को ‘पार्लियामेंट्री कमीटी’ के पास विवेचना के लिए भेजने की मांग के बावजूद सरकार ने विधेयक को 99-84 मतों के मामूली अंतर से पास करवा लिया।
चयनित समिति के पास विधेयक भिजवाने के प्रयास को 100-84 मतों से विपक्ष हार गया।
प्राचीन मध्यकालीन समय से चली आ रही रूढ़ी को अब इतिहास के काचरे तक सीमित कर दिया है। इतिहास में मुस्लिम महिलाओं के हिस्से में हुई तीन तलाक़ की ग़लती को संसद ने समाप्त कर दिया। यह स्त्री-पुरूष की भेदभाव पूर्ण प्रथा पर न्याय की जीत है और इससे भविष्य के लिए समाज में समानता का स्तर स्थापित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्विट में कह, ‘यह भारत के लिए खुशी का दिन है।’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को संसद में तीन तलाक़ विधेयक के पारित होने पर कहा ‘यह स्त्री-पुरूष समानता पर न्याय की खोज के समान है।’ राज्यसभा में मुस्लिम महिलाओं के (विवाह बचाने के अधिकार संबंधी) तीन तलाक़ विधेयक पर पूर्ण पाबंदी पर अन्याय की जीत है। ‘स्त्री-पुरूष समानता के मार्ग में यह एक मील का पत्थर है; संपूर्ण देश के लिए यह राहत की बात है।’ राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में कहा।
जब एआईएडीएमके और जनता दल (एकीकृत) के सदस्यों ने विधेयक के विरोध में मार्च निकाला तब एनडीए के पक्ष में कुछ संख्या का फायदा हुआ। दो दल जिनकी सदस्य संख्या 19 होती है, उनके सदन छोड़ कर जाने के कारण विधेयक पारित करवाने में कुल सदस्य संख्या में कमी आई जिससे सरकार को फायदा हुआ। बीजू जनता दल ने अपने सात सदस्यों के साथ वोट ड़ाला।
‘भारत एक सेक्यूलर देश है। वर्ष 2013 में तीन तलाक़ पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मनमाना और असंवैधानिक करार दिया था। जिसे कुरान में ग़लत बताया गया है उसे कानून में सही नहीं कहा जा सकता।’ कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने संसद में कहा।
कांग्रेस के नेताओं, समाजवादी पार्टी, डीएमके और राष्ट्रीय जनता दल ने कहा कि विधेयक पक्षतापूर्ण, असंवैधानिक और मनमाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इसे ‘जोड़ तोड़ से’ पास करवा रही है।
‘भारत के मुसलमानों की किसी अन्य देश के मुसलमान से तुलना नहीं की जा सकती… जिस व्यक्ति को उसकी पत्नी के कारण जेल हुई है, क्या आप सोचते हैं कि जेल से बाहर आने के बाद वह पति-पत्नी शांति से एकसाथ रह सकते हैं?’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा। ‘यह मुस्लिम महिलाओं के तलाक़ या उनकी जीविका के बारे में या उनके बच्चों की परवरिश के बारे में नहीं है।’ उन्होंने अपनी बात में यह भी कहा।
सरकार ने विधेयक को विवाहित मुस्लिम महिलाओं के इस अधिकार को सुरक्षित किया जिसमें मुसलमान पुरुष एक बार में तीन बार तलाक़ बोल कर तलाक़ ले लेता था।
विधेयक ने तीन तलाक़ को महिलाओं का अपमान माना और ऐसा करने पर तीन वर्ष की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया है। इसका मतलब यह है कि पुलिस बिना वारंट के अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकती है।
‘हमारे पास ऐसे उदाहरण भी हैं जब व्हाट्सअप पर तीन बार लिख कर तलाक़ भेजने से शादी ख़त्म हो गई। हमें सुप्रीम कोर्ट के न्याय के साथ एक कानून की ज़रूरत थी जिसके तहत अब ऐसे पुरुषों पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकेगी। ऐसे ही किसी महिला द्वारा कानून के दुरुपयोग पर पुरूष के पास भी अपील का हक़ हो।’ दिल्ली की राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियंम ने कहा।
पिछले सप्ताह ध्वनी मत से पास हुए विधेयक पर राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।
यह विधेयक राज्यसभा में ऐसे समय में आया है जब आरटीआई (सुधार) बिल 2019 (जानकारी के अधिकार का सुधार बिल), ग़ैर क़ानूनी गतिविधी निवारण सुधार बिल 2019 (Unlawful Activities Amendment Bill) और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी संबंधी (सुधार) विधेयक भी सदन में हैं। यह सब विपक्ष के गुस्से और नाराजगी का कारण बन रहे हैं।
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