आख़िरकार लोक सभा में तीन तलाक बिल को पारित कर ही दिया गया है। जिसको लेकर गुरुवार को लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश करते हुए, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्ष द्वारा राजनीतिक पैमाने पर बिल को तोला नहीं जाना चाहिए। साथ ही में उन्होंने इस आरोप को भी खारिज किया कि यह केवल किसी एक विशेष समुदाय पर ही निर्देशित किया गया है।
उन्होंने कहा कि बिल, “नारी न्याय, नारी गरिमा, और नारी सममन” के उद्देश्य से संसद में पेश किया गया है।
विपक्ष द्वारा उठाए गए आपत्तियों पर, प्रसाद ने संसद द्वारा पारित अन्य कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा कि – नाबालिगों के साथ बलात्कार करने वालों के लिए मौत की सजा, दहेज के लिए आपराधिक दंड – और फिर पूछा, “ये अप्पति सिर्फ तीन तलाक पर ही क्यों?”
उन्होंने कहा कि “बिल किसी समुदाय को लक्षित करने के लिए नहीं है, न ही यह वोट बैंकों के लिए किया गया है। जानकारी के अनुसार लगभग 20 से भी अधिक इस्लामिक देशों ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि भारत में ये प्रथा अभी भी प्रचलित है। जिस कारण ही इसे रोकने के लिए लोक सभा में पेश किया गया है।”
बीजेपी प्रतिनिधि मीनाक्षी लेखी ने भी इस्लामी कानून और कई कविताओं पर कुरान अन्य ग्रंथों के ज़रिये इस बिल के प्रति अपना समर्थन जताया है। महिलाओं के लिए शुरू की गई योजनाओं की सूची के साथ शुरू करते हुए, लेखी ने कहा, “यह सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में नहीं बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले सशक्तिकरण के बारे में बात कर रही है।” ये मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे हैं और ये पूरे सामाज और संपूर्ण राजनीतिक व्यवस्था से संबंधित हैं।
उन्होंने तीन तलाक की प्रथा पर सवाल उठाते हुए ये भी पूछा कि तलाक के लिए सर्वोच्च अधिकार केवल “पुरुषों” को ही क्यों दिया गया है? लेखी ने कहा कि इस बिल का उद्देश्य न केवल दंडात्मक है, बल्कि सुधारवादी सोच भी रखा गया है।
जनवरी 2017 से तीन तलाक के 477 उदाहरणों का उल्लेख करते हुए केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इस मामले से जुड़ा ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आना चाहिए। क्योंकि उनके अनुसार ये प्रथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा माननीय नहीं मानी गई है।