सदियों से आदिवासी जल,जंगल, ज़मीन की लड़ाई लड़ते चले आ रहे हैं। लेकिन वह अभी तक इन तीनो चीजों से वंचित हैं। आदिवासी समुदाय एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। जंगल में इनका अधिकार नहीं, ज़मीन नहीं है। किसी के पास तो रहने तक के लिए घर नहीं है। ग्रामपंचायत अकबरपुर खजांची की बस्ती ढापाई का मामला है l हमने कुछ ऐसे आदिवासी समुदाय के लोगों से बात की जो पिछली छः पीढ़ियों से रह तो रहे हैं लेकिन जिस जगह पर वो हैं उस कच्चे मकान झोपड़ी पर उनका अधिकार नहीं है।
लोगों ने बताया कि, ‘हमें ढापाई मे रहते 100 साल से ज़्यादा हो गये हैं। हमारे दादा-बाबा यहां आकर बसे थे। यहां पत्थर तोड़ने का काम करते थे। जो यहां के मालिक थे वो हमारे दादा-बाबा को यहां बसा कर चले गये। बोले, अब तुम लोग यहां रहो ये जगह तुम्हारी हो गई है। लेकिन यहां दूसरे लोगों ने अपना कब्ज़ा कर लिया। हमारे यहां कोई भी सुविधा नहीं होने देते, न लाइट लगने देते हैं। न ही कॉलोनी, शौचालय का निर्माण करने देते हैं। कहते हैं कि हमारी जगह है जबकि इतने सालों से हम रहते हैं। यहां के डीएम, एसडीएम और बीडियो सबको ज्ञापन दे चुके हैं। कोई सुनवाई नहीं होती। ‘
अकबरपुर की प्रधान गुड़िया के पति शम्भू सिंह चंदेल का कहना है कि, ‘मैं प्रयास कर रहा हूँ, किसी तरह इनको इनका हक दिलवा कर रहूंगा। कानूनी तौर पर इनका हक है उस जगह पर जहां ये इतने सालो से रहते हैं। इन्हें किसी तरह की सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसलिए मैं इनके साथ हूँ। इनके लिए प्रशासन से मांग कर रहा हूँ और करता रहूँगा।’
तहसीलदार संजय अग्रहरी का कहना है कि, ‘उन लोगों को दूसरी जगह दी जा रही है लेकिन वो लोग वहां नहीं जाना चाहते हैं। हम अपनी तरफ से सारे प्रयास कर चुके हैं।’
ये भी देखें :