आज ही के दिन 24 अप्रैल 2025 को हर साल राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। इस बार यह कायकर्म बिहार के मधुबनी में आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के मधुबनी जिले के लोहना उत्तर ग्राम पंचायत में मौजूद रहेंगे। इसी के साथ जिन्होंने ग्राम पंचायत स्तर पर सबसे अच्छा काम किया है उन्हें राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार भी देंगे।
लेखन – सुचित्रा
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर आज प्रधानमंत्री मोदी मधुबनी में विजेताओं को विशेष श्रेणी राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2025 प्रदान किए। पुरस्कार के रूप में विजेताओं को विशेष रूप से बनाई गई ट्रॉफी और प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही प्रत्येक पुरस्कार में राशि भी दी जाएगी जिसमें 1 करोड़ रुपये पहले स्थान पर आने वाले व्यक्ति को, 75 लाख रुपये दूसरे स्थान पर अच्छा काम करने वाले को और 50 लाख रुपये तीसरे स्थान पर आने वाले व्यक्ति को दी जाएगी।
पंचायती राज क्या है?
पंचायती राज प्रणाली एक त्रिस्तरीय संरचना है। इसके अंतर्गत ग्राम पंचायत, पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर), और जिला परिषद आते हैं जिसमें स्थानीय निकायों (समूह) या ग्राम पंचायतों को अपने समुदाय के विकास के लिए निर्णय लेने का अधिकार दिया जाता है।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का पुरस्कार सम्मान
आपको बता दें कि इस बार 6 पुरस्कार विजेता ग्राम पंचायतों में से 3 महिला मुखिया सरपंच का नाम भी शामिल है। बिहार के मोतीपुर ग्राम पंचायत, महाराष्ट्र के दव्वा एस ग्राम पंचायत और ओडिशा के हटबद्रा ग्राम पंचायत की महिला मुखिया सरपंच को यह पुरस्कार दिया गया।
#WATCH | PM Modi confers Special Category National Panchayat Awards 2025 to the winners, in Madhubani, Bihar.
These include the Climate Action Special Panchayat Award (CASPA), the Atma Nirbhar Panchayat Special Award (ANPSA), and the Panchayat Kshamta Nirman Sarvottam Sansthan… pic.twitter.com/sr8wNetzgZ
— ANI (@ANI) April 24, 2025
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2025 की जिन श्रेणी में पुरस्कार दिए गए हैं वह इस प्रकार है।
क्लाइमेट एक्शन स्पेशल पंचायत अवार्ड (CASPA) – यह एक पुरस्कार भारत सरकार की तरफ से गांव की पंचायतों को दिया जाता है। यह उन पंचायतों को दिया जाता है जो जलवायु परिवर्तन (climate change) से निपटने के लिए अच्छा काम करते हैं जैसे कि पेड़ लगाना, पानी बचाना, सौर ऊर्जा (solar energy) का इस्तेमाल करना, कचरा कम करना और कुछ चीजों का फिर से इस्तेमाल करना यानी रिसायक्लिंग करना। इसी के साथ पर्यावरण को साफ और सुरक्षित रखना।
आत्म निर्भर पंचायत स्पेशल अवार्ड (ANPSA) – यह पुरस्कार (special award) भारत सरकार की तरफ से उन गांव की पंचायतों को दिया जाता है जो “आत्मनिर्भर” यानी खुद पर निर्भर हो गया है। इसका मतलब यह कि गांव के विकास के लिए संसाधनों (resources) का सही इस्तेमाल किया जाता हो वो भी बिना सरकार की मदद के।
पंचायत क्षमा निर्माण सर्वोत्तम संस्थान पुरस्कार (PKNSSP) – पंचायती राज प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में अच्छापन लाने के लिए दिया जाता है।
यह पुरस्कार किन लोगों को मिला आप पंचायती राज मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पोस्ट में देख सकते हैं जिसकी जानकारी बुधवार 23 अप्रैल 2025 को पंचायती राज मंत्रालय ने दी थी।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस को मानाने का उद्देश्य यह है कि प्रशासन में विकास और जन भागीदारी को शमिल करना है जिससे कि पंचायती राज के तहत गांव-गांव और नगर-नगर शासन की जिम्मेदारी को जनता से चुने गए पंचायती मुखिया अपनी स्थानीय जरूरतों के अनुसार अपने गांव और नगर का विकास कर सकें।
ये भी देखें – पंचायती राज चुनाव उम्मीदवारी के लिए विशेष सुचना: देखिये राजनीति, रस, राय में
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की शुरुआत
सबसे पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस वर्ष 2010 में मनाया गया था तभी से आज तक इसे हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन को साल 1992 में संविधान के 73वें संशोधन के अधिनियमन के रूप में मनाया जाता है।
1992 में संविधान का 73वें संशोधन क्या था?
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के मुताबिक 1992 में जब भारतीय संसद ने इसे औपचारिक समर्थन देने के लिए एक कानून पारित किया था। इस कानून को 73वां संविधान संशोधन अधिनियम कहा गया। इसे 24 अप्रैल, 1993 में लागू किया गया। इसी दिन से राज्यों को ग्राम पंचायतें बनाने और उन्हें निर्णय लेने तथा स्थानीय विकास में सहायता करने का अधिकार दिया गया।
पंचायत को आप इस तरह से समझ सकते है जैसे पुराने समय में ग्रामीण स्तर पर बड़े बुजर्गों को किसी भी समस्या या कोई अपराध में निर्णय लेने की जिम्मेदारी दी जाती थी और वह खुद ही पंचायत स्तर पर समस्या को सुलझा लिया करते थे। आपको भी याद होगा कि निर्णय लेने वालों को मुखिया, सरपंच या प्रधान कहा जाता था। इसी को देखते हुए क़ानूनी रूप से सविधान में संशोधन के माध्यम से जगह दी गई।
ग्रामीण इलाकों के विकास की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान को दी जाती है और इसका चुनाव (पंचायत चुनाव) भी होता है जिसे जीत के बाद यह पद दिया जाता है।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’