जिला चित्रकूट ब्लाक कर्वी भरतकूप में 14 जनवरी से हर साल मेला लगना शुरू हो जाता है और पांच दिन तक चलता है। लोगों का कहना है कि भरतकूप नाम, रामायण के पात्र भरत के नाम से पड़ा है। जो राम के छोटे भाई थे। साथ ही 14 साल के वनवास के दौरान भरत ने चित्रकूट में निवास किया था। भरत का तिलक होना था लेकिन भाई राम के वनवास के बाद उन्होंने तिलक लगवाने से मना कर दिया था और तीर्थ नदियों का पानी कमंडल में भरकर वह राम के पास तिलक के लिए पहुंचे थे।
वहां भरत ने राम से भेंट किया था, जिसे भरत मिलाप भी कहा जाता है। संक्रांत या खिचड़ी के दिन लोग नदी में नहाते हैं। जिले में मेला भी लगता है। यह मेला लोगों में काफ़ी मशहूर है और दूर-दराज़ से लोग इस मेले को देखने के लिए आते हैं। मेले की परंपरा भरत-राम मिलाप के बाद शुरू हुई। लोगों की शिकायत है कि मेला लगाने के लिए जगह नहीं होती। ज़मीन खाली पड़ी रहती है तो वह मेले में किराए के लिए दे देते हैं ताकि कुछ पैसे आ जाए। उनकी शिकायत है सरकार द्वारा उन्हें मेले के आयोजन में किसी भी तरह की मदद नहीं की जाती।