छियूल (पलाश) के पेड़ की छाल से गोंद निकाला जाता है जिसका इस्तेमाल डिलीवरी महिलाओं के लिए बनाये जाने वाले लड्डू में किया जाता है। यह डिलीवरी महिलाओं के लिए जड़ी-बूटी का काम करता है। टीकमगढ़ जिले के ग्राम पंचायत रानीगंज में रहने वाले आदिवासी परिवारों ने खबर लहरिया को बताया कि और कोई रोज़गार उपलब्ध न होने की वजह से वह जड़ी-बूटियां बेचकर ही अपना गुज़ारा करते हैं।
आदिवासी महिला जसोदा कहती हैं, वह तो शुरू से ही जड़ी-बूटियों का काम करते आ रहे हैं। अभी सर्दियों में वह छियूल के पेड़ से गोंद निकालने का काम कर रहे हैं। यह काम पूरे जनवरी चलेगा। इस काम के लिए वह सुबह 8 बजे निकल जाते हैं और शाम 6 बजे वापस घर आते हैं।
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आगे कहा, गोंद निकालने के इस काम में उन्हें लगभग आठ दिन लग जाते हैं और मेहनत भी ज़्यादा लगती है। उनके पूरे गाँव के लोग यही काम करते हैं। वह चाहती हैं कि उन्हें गांव में ही कोई दूसरी मज़दूरी मिले ताकि वह यह काम छोड़ पाएं।
इस संबंध में गांव में सरपंच ने बताया, वह अभी नवनिर्वाचित सरपंच हैं। अभी उनके पास जो काम आया है, वह उसे करा रहे हैं। जैसे नाली का काम आया है तो मज़दूरों से चार-चार दिन काम कराया जा रहा है जिससे सभी को रोज़गार मिले।
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