The Kavita Show, Lok Sabha Election 2019
कई सालो से चुनाव के टिकट का सौदेबाजी और नेताओं के दलबदलने से आम जनता काफी परेशान है और कनफूजन में है बुन्देलखण्ड से ऐसे नेताओं को टिकट मिले है जिनके बारे में लोग काफी चर्चा क्र रहें है कई उमीद्वारो को टिकट मिलने पर आम जनता हतास है और नाराज भी है जिस तरह से लोग बोल रहे की लाखो लाखो रुपए देने के बाद उनको टिकट मिला है इस पर मेरे कई सवाल है क्यों बिकती है टिकट क्यों बिकते हैं नेता `और क्यों बिकते हैं वोट आखिर इस पर चुनाव आयोग रोक क्यों नहीं लगा पा रही है इससे तो लोकतांत्रिकता खत्म हो रही है
अभी हाल ही मैं बांदा के जाने माने पूर्व विधायक और मंत्री जमना प्रसाद बोस से मिली जिनकी उम्र 94 साल की और में उनसे बात क्र रही थी राजनीति के बदलते तेवर के बारे में उनके अनुभव सुनकर में काफी हैरान रह गई उनके अनुभव के हिसाब से 1977 से सन 2000 तक टिकट में सौदेबाजी नहीं होती थी नेता को जनता चुनती थी और टिकट बिना पैसे के मिलता था और जनता दौड़ दौड़ कर अपने नेता के लिए वोट मागती थी नेता जनता हित और विकास के लिए काम करती थी कभी भी जाती धर्म और भगवान के नाम पर राजनीति नहीं होती थी जनता भी ख़ुशी ख़ुशी ख़ुशी वोट देती थी लेकिन इधर 20 सालों में जिस तरह के बदलाव हुआ है वह किसी से छुपा नहीं है आज कल के सासद और बिधायक कपड़ों की तरह तो पार्टिया बदलते है और पैसे के बल पर चुनाव लड़ते है ऐसे लोगों को ही टिकट मिलता है जो दादू है क्रिमनल है जो पैसे वाला और एक दुसरे पार्टी पर आरोप लगाते हैं की इस पार्टी ने इतना लेने के बाद टिकट दिया है मुझे तो लगता है चुनाव अब विजनेस बन गया है नेता मंत्री लोगों और विकास के लिए नहीं अपनी कमाई के लिए चुनाव लड़ते है जिस तरह से पैसे बहाय जाते हैं प्रचार करने और टिकट को खरीदने में इससे बहुत उलझन और हताशा होती है क्यों राजनीती एक कारोबार बन कर रह गया है राजनीती कारोबार को द्न्लने की जरूरत है इस पर सवाल खड़ा करने की जरूरत है इस पर आन्दोलन झेदने की जरूरत है
मेरा सवाल यह हैं की ऐसे लोगों को चुनाव आयोग क्यों टिकट देती है जिनके क्रिमनल रिकार्ड हैं और अच्छे से पता भी है . जो अरब पतिहै जो डाकू हैं जो दबंग हैं ऐसे लोगों को टिकट देने से ही सारे माहौल खराब हो रहे हैं अगर में बात करू चित्रकूट बाँदा और महोबा में जिनको टिकट मिला है आखिर चुनाव आयोग ने क्यों ऐसे लोगों पर सवाल नहीं खड़ा करी है बालकुमार पटेल पहले समाज वादी पार्टी में थे एक बार सासद भी रह चुके हैं और अब वो अपनी पार्टी बदल कर काग्रेस से टिकट ले आये है इनके इतिहास किसी से छिपे नहीं है ये फेमस डाकू ददुआ के भाई हैं इसी तरह से मौजूदा सासद पुष्पेन्द्र सिंह चन्देल को महोबा हमीरपुर से फिर से टिकट मिला है जो सासद पिछले 5 साल में इलाके का विकास नहीं किया यहाँ तक की वो कभी भी जनता से भी नहीं मिले अपने गोद लिए गाँव में एक रुपए का विकास नहीं करवाया है उनको ही फिर से टिकट क्यों मिला श्यामा चरण गुप्ता भाजपा के मौजूदा सादन थे और आजपा को छोड़ का सपा बसपा से उनको टिकट दिया गया ऐसा क्यों क्यों ऐसे लोगों को टिकट नहीं मिला जो समाज के बिच में काम करते हैं जो लोग आम जनता की समस्या को समझते है जो इतने पैसे वाले नहीं है क्यों महिलाओं को टिकट नहीं मिला है आखिर क्यों भेदभाव हो रहा है