उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में आज भी प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से हजारों पात्र लोग वंचित है. जिन लोगों को इस योजना का लाभ मिला भी है,उनकी भी कोरोना संक्रमण के चलते अभी तक दूसरी किस्त नहीं आई है,जिससे वह अधूरे पड़े हैं| आवास ना बनने के कारण गरीब हर तरह के मौसम की मार झेलने को मजबूर हैं| अगर मैं बात करूं प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना की तो शहरी में 10042 आवासों के पात्र लोग हैं| लेकिन इन्हें अब तक शासन से बजट का इंतजार है शासन ने जिले में शहरी गरीबों के लिए 8658 आवास का लक्ष्य निर्धारित किया था. इनमें से अभी तक में 6557 आवास बनकर तैयार हो पाए हैं. बाकी आवास कोरोना संक्रमण के चलते बजट ना मिलने से अभी भी अधूरे पड़े हैं|
आवास अधुरा होने से हर तरह के मौसम की मार झेल रहे गरीब
जिला बांदा,कस्बा अतर्रा के रहने वाले रामकिशोर बताते हैं कि उनको प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना का लाभ मिला है. जिसकी पहली किस्त आने से उसने अपने घर को दरवाजे के लेंटर तक करवा दिया और कुछ पैसा घर से भी लगा दिया. लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी अभी तक उनकी दूसरी किस्त नहीं आई है.जिसके कारण उनको हर तरह के मौसम की मार झेलनी पड़ रही है बरसात के मौसम में तो खुले में बहुत ही दिक्कत हुई क्योंकि उनको यह उम्मीद थी कि अगर आवास मिला है, तो जल्दी बन जाएगा इसलिए जो उनके पास छप्पर जैसा घर था उसे भी उन्होंने गिरवा दिया था लेकिन अब आवास पुराना होने को लेकर वह बहुत परेशान हैं और डूडा विभाग के चक्कर काट रहे हैं|
पैसे के इंतजार में हर रोज लगाने पड़ रहे है डूडा विभाग के चक्कर
बांदा शहर के निम्निपार मोहल्ला की रहने वाली अनीशा बताती है कि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना की लिस्ट में उसका नाम था और जनवरी के महीने में उसके आवास की पहली किस्त आ गई थी. जिसमें उसने कुछ अपने घर से पैसा लगा के दरवाजे के लेंटर तक किसी तरह पूरा करवा लिया था अब 6 महीने हो गए अभी तक दूसरी किस्त नहीं आई है जिससे वह काफी परेशान है उसका कहना है कि उसके पास रहने के लिए घर नहीं है एक ही कमरा बचा था आगे का जो पोषण था वह आवास के लिए गिरा लिया गया था अब उतने घर में उसके 3 बच्चे और 2 मिया,बीबी खुद 5 लोगों का कैसे गुजारा करते हैं वही जानते हैं. हर रोज पैसे का पता करने के लिए डूडा विभाग जाते है.जिसमें रोज आने जाने का 30 किराया भी खर्च होता है.पर अभी तक दूसरी किस्त नहीं आ रही ना उसके पास इतना पैसा है कि खुद खर्च करके पूरा करा सके|
आइए जाते है इस मामले में डूडा विभाग का क्या कहना है
डूडा विभाग अधिकारी के मुताबिक आवासों के लिए उनकी तरफ से सभी औपचारिकताएं पूरी हैं जैसे ही बजट आएगा लोगों के खाते में धनराशि भेज दी जाएगी. कोरोना महामारी के चलते बजट छह महीने से अटका हुआ है| इसके कारण पिछले वर्ष में शासन से निर्धारित आवासों का लक्ष्य भी बिना बजट पूरा नहीं हो पाया|
प्रधानमंत्री आवास को लेकर ग्रामिण भी परेशान.नरैनी एसडीएम को दिया था ज्ञापन
नरैनी ब्लाक के करतल ग्राम पंचायत की सुमन,फुला और रेखा बताती है की वह स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं हैं. जो किसी तरह मजदूरी के सहारे अपना गुजर करती हैं. उनकी यह स्थिति है कि उनके रहने के लिए घर नहीं है एक-एक कमरे में झोपड़ी जैसे पन्नी डालकर रहती हैं और गुजारा करती हैं बारिश होती है, तो बच्चों को खटिया में बैठा कर और अपना जमीन में बैठकर रात गुजरती है|
लेकिन उनको आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है सरकार भले ही यह दावा करती है कि हर घर को छत देगी लेकिन उनके लिए तो अभी तक छत नसीब नहीं हुई है | इस मामले को लेकर उन्होंने लगभग 2 महीने पहले नरैनी एसडीएम को दरखास भी दिया था कि उनको भी आवास दिलाए जाए |
लेकिन आज तक कुछ सुनवाई नहीं हुई है ना ही उनके पास इतना पैसा है कि वह अपने से घर बना सके इसलिए वह चाहती हैं कि अगर सरकार हम गरीबों के लिए आवास योजना चला रही है, तो उसका लाभ उन्हें भी मिलना चाहिए और वह आराम से रह सके| लेकिन ना तो उनकी एसडीएम के यहां सुनी गई और ना ही ग्राम प्रधान की तरफ से कोई ध्यान दिया जा रहा है|
प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित अनसुचित जाति के लोग
खलारी ग्राम पंचायत के मजरा माखनपुर में गांव के बाहर नदी किनारे टीले पर बसे अनुसूचित जाति के लगभग सौ परिवार पीएम आवास योजना से वंचित है यहां की रहने वाली सोनू और राकेश बताते हैं कि उनकी यहां पीढ़ी दर पीढ़ी एक-एक कमरे में गुजारा करते बीत रही हैं.पर आज तक आवास नहीं मिले पूरे घरों में पन्नी छाई हुई है और उस पन्नी के ऊपर बड़े-बड़े पत्थर रखे हैं बरसात हो या गर्मी की हवा का झोंका उन्हें हमेशा डर बना रहता है कि कहीं यह पत्थर उनके ऊपर ना गिर जाए| बारिश के मौसम में तो दो-दो दिन खाना बनाने की जगह नहीं रहती पूरा सामान गृहस्थी का भीग जाता है |
बच्चों को सूखे दाल चावल और बेर खिला कर रखना पड़ता है क्योंकि कहीं पर बैठने की जगह नहीं होती कि खाना बना ले सब जगह गीला हो जाता है और सामान भी गीला हो जाता है उन्होंने कई बार पीएम आवास योजना की मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई उनको यह कहकर टाल दिया जाता है कि आपका सूची में नाम नहीं है और जब चुनाव का समय आता है तब लोग आते हैं और कहते हैं कि आप हमें जिताओ हम तुम्हारा सब काम करवाएंगे लेकिन जीतने के बाद भूल जाते हैं|
खलारी प्रधान सुमनलता का कहना है कि उसने कुछ लोगों के नाम नई लिस्ट बनी है उसमें जोड़वाए हैं कुछ लोगों को पिछली पंचवर्षीय में जो भी प्रधान थे उन्होंने आवास दिए थे वह नहीं चाहते कि कोई भी पात्र व्यक्ति उनके यहां रह जाए,इसके बराबर कोशिश करती रहती हैं|
झोपड़ी में गुजर रहा जीवन
नहरी ग्राम पंचायत के मजरा उदयपुरवा कि गीता बताती हैं कि उनका घर लगभग 3 साल पहले बरसात के मौसम में पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था वह दो बुढी-बूढ़ा हैं उनके पास कोई कमाने वाला भी नहीं है जिससे वह अपने रहने के लिए एक मड़ैया भी बना सकते| पन्नी डालकर किसी तरह गुजारा करते हैं चाहे बरसात का मौसम हो या ठंडी का उनके लिए सभी मौसम सामान हो जाते हैं. क्योंकि गुजारा तो उसी झोपड़े में करना है इसके लिए उन्होंने कई बार ग्राम प्रधान और सांसद विधायक से भी मांग की लेकिन आज तक आश्वासन के अलावा कोई फायदा नहीं मिला|
इस मामले को लेकर नहरी प्रधान राकेन्द्र तिवारी का कहना है कि उनका आवास सूची में नाम न होने के कारण आवास नहीं बन पाया लेकिन जो दोबारा से सूची बनाई गई है उसमें उनका नाम जोड़ दिया गया है. जब भी उस सूची के आधार पर आवास आएंगे तो उनको आवास जरूर मिलेंगे. क्योंकि वह पात्र व्यक्ति हैं और हम भी चाहते हैं कि उनको आवास मिले लेकिन यह हमारे हाथ में नहीं है|