जिला महोबा ब्लाक जैतपुर गांव सुगिरा के कालका प्रसाद का कहना है कि मकर संक्रांति का त्योहार उनके जिले और गांव में बहुत धूमधाम से मनाया जाता हैं। गीत गाए जाते हैं। साथ ही त्योहार से एक-दो दिन पहले लोग अपने मामा के यहां गढ़िया गुल्ला लेने के लिए जाते हैं। अन्य रिश्तेदार भी इस दिन एक-दूसरे के घर त्योहार की खुशियाँ बांटने जाते हैं।
यह आने-जाने का रिवाज़ बहुत ही पुराना है। गांव के कालीचरण श्रीवास्तव बताते हैं कि पुराने लोगों की वजह से रीति-रिवाज़ आज भी चलते आ रहे हैं। ठंड की शादियों में भी गढ़िया गुल्ला दिया जाता था।। मकर संक्रांति पर शक्कर से बनने वाली पारंपरिक मिठाई महोबा जिले के हर एक हलवाई द्वारा उनके दुकानों में बनाई जाती है और त्योहार के करीब आते ही बिकना भी शुरू हो जाती है। मिठाईयों का आकार रंग-बिरंगे हाथी- घोड़े और कलश समेत विभिन्न आकार के होते हैं। यह मीठे-मीठे खिलौने बनाने में कारीगर काफ़ी मेहनत करते हैं और बनने के बाद मिठाईयां स्वाद के साथ-साथ देखने में भी सुंदर लगती हैं।
गढ़िया गुल्ला बनाने वाले विनोद कुमार ने कहा कि वह त्योहार के 10 दिन पहले से ही गुल्ला बनाने लगते हैं। इन्हें खिलौना भी बोला जाता है। यह खिलौना चीनी के बनाए जाते हैं और सिर्फ महोबा जिले में मकर संक्रांति के समय बनते हैं क्योंकि त्योहार के समय लोगों में इसकी मांग होती है। उसने अपने पिता को देखकर गुल्ला बनाना सीखा। गुल्ला बनाने में 1 दिन में 2 क्यूंटल चीनी लगता है लेकिन बनने के बाद उसका स्वाद बेहद आनन्दपूर्ण होता है। अगर आपने कभी गुल्ला नहीं खाया है तो इस बार जरूर खाइए और उसके स्वाद का आनंद उठाइए।