खबर लहरिया Blog कोरोना महामारी के बीच लोगों तक मुफ्त ऑक्सीजन पहुंचा रही बुंदलेखंड की ये टीम

कोरोना महामारी के बीच लोगों तक मुफ्त ऑक्सीजन पहुंचा रही बुंदलेखंड की ये टीम

बांदा के रहने वाले कुछ लोगों ने कोरोना संक्रमित मरीज़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का बेड़ा उठाया है। ‘फ्री रैपिड ऑक्सीजन टीम’ ने ज़रूरतमंदों तक मुफ्त ऑक्सीजन पहुंचाने की इस मुहीम को शुरू किया। 

इस समय जहाँ देश के हर कोने में कोरोना संक्रमण रोज़ाना तेज़ी से पैर पसार रहा है, लाखों लोगों ने अपनों को खो दिया है और हज़ारों लोग रोज़ अस्पतालों में कोरोना से ज़िन्दगी जीतने की जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस आपदा के दौरान इंसानियत की एक नयी मिसाल कायम करी है। जहाँ देश भर के बाकी अस्पतालों की तरह बुंदेलखंड के अस्पतालों की भी स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है, लेकिन इसी बीच बांदा के रहने वाले कुछ लोगों ने कोरोना संक्रमित मरीज़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का बेड़ा उठाया है।

खबर लहरिया की संपादक कविता बुन्देलखंडी ने मरीज़ों के लिए मसीहा बने ‘फ्री रैपिड ऑक्सीजन टीम’ के सदस्यों से बात की और जाना कि मरीज़ों की जान बचाने के इस नेक काम को शुरू करने के पीछे उनका क्या उद्देश्य था।

बेसहारा लोगों की मदद करने का था उद्देश्य-

बांदा जिले के अतर्रा कसबे के रहने वाले मंजुल मयंक द्विवेदी जो ऑक्सीजन सप्लाई कर रही इस टीम के सदस्य हैं, उन्होंने बताया कि गाँव के लोगों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वो रोज़ ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद सकें, इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीज़ों को ऑक्सीजन का इंतज़ाम करने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वो लोग एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल बेड और ऑक्सीजन के लिए घूमते रहते हैं लेकिन उनके हाँथ निराशा ही आती है। लोगों की ऐसी ही स्थिति देखकर मंजुल ने अपने दोस्त राहुल के साथ मिलकर ज़रूरतमंदों तक मुफ्त ऑक्सीजन पहुंचाने की इस मुहीम को शुरू किया।

अपना अनुभव साझा करते हुए मंजुल ने बताया कि वो बुंदेलखंड के आतंरिक में बसे गावों में भी जाकर ऑक्सीजन सिलेंडर लोगों तक पहुंचा चुके हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत बुंदेलखंड क्षेत्र के कबरई से करी। इनकी टीम ने कबरई में लगे ऑक्सीजन प्लांट के अधिकारियों से शुरुआत में 5 सिलेंडर लेकर इस मुहीम की शुरुआत की। लेकिन धीरे-धीरे सोशल मीडिया के माध्यम से आसपास के क्षेत्र के लोगों ने उनकी इस पहल में योगदान देना शुरू कर दिया जिससे अब वो रोज़ाना 50 मरीज़ों तक ऑक्सीजन की सुविधा पहुंचा पा रहे हैं।

शादी के लिए बचा कर रखी रकम से शुरू की यह मुहिम-

अतर्रा के रहने वाले राहुल शुक्ला ने बताया कि जब उनके पिता कोविड पॉज़िटिव हुए तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन अस्पताल में कोई भी सुविधा न होने के कारण राहुल ने अपने पिता का घर पर ही कोरोना का इलाज किया। राहुल का कहना है कि अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा के लिए गिड़गिड़ा रहे लोगों तक बिना किसी परेशानी के हर सुविधा को पहुंचाने के लिए उन्होंने इस टीम का गठन किया। उन्होंने बताया कि वो पूरे देश के लिए तो कुछ नहीं कर सकते लेकिन वो बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ करना चाहते थे, मरीज़ों को जीवन दान देना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने और लोगों के साथ मिलकर ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम करना शुरू किया।

राहुल का कहना है कि अगर उनकी इस पहल से ही प्रेरणा लेकर देश के और लोग असाहय लोगों की मदद के लिए आगे आएं, तो इससे न ही हम मिलकर हज़ारों जानें बचा सकते हैं बल्कि कोरोना से जल्द से जल्द पीछा भी छुड़वा सकते हैं।

राहुल ने बताया कि जो पैसे उन्होंने अपनी शादी के लिए बचा कर रखे थे, वो उन्होंने लोगों की सेवा करने में लगा दिए। उनका मानना है कि जिस पैसे को वो शादी में लोगों को अच्छा खाने खिलाने के लिए लगाएंगे अगर वही खर्च वो किसी की जान बचाने के लिए करते हैं तो शायद यह मानवता का ज़्यादा बेहतर उदाहरण होगा।

नगर अध्यक्षों और प्रधानों को भी आना चाहिए आगे-

राहुल का कहना है कि अगर हर क्षेत्र के नगर अध्यक्ष या प्रधान 50-100 ऑक्सीजन सिलेंडरों की वयवस्था कर उनकी मुफ्त रिफिलिंग की सुविधा उपलब्ध करा दें तो कई और लोगों की जान बच सकती है। जनता ने उन्हें वोट देकर अपने विकास के लिए ही चुना है, तो ऐसे में उन्हें भी लोगों की भलाई के बारे में सोचना चाहिए और अपने पैसे को सही काम के लिए उपयोग करना चाहिए।

अगर किसी को बुंदेलखंड क्षेत्र में ऑक्सीजन की ज़रुरत है तो वो उनके व्हाट्सऐप्प नंबर 8800776401 पर मैसेज कर निशुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर ले सकता है। उन्होंने फेसबुक और व्हाट्सऐप्प के माध्यम से अब तक कई लोगों की मदद करी है।

इस टीम के एक और सदस्य डॉक्टर पदम् कुमार का कहना है कि बांदा के साथ-साथ उन्होंने चित्रकूट, सतना आदि आसपास के शहरों में लोगों को ऑक्सीजन सप्लाई करके मदद की है। अब यह लोग बस यही चाहते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग उनसे प्रेरित होकर और मरीज़ों की मदद करने के लिए आगे आएं। यह ज़रूरी नहीं कि हम स्वास्थ्य सेवाओं के ठीक होने का इंतज़ार करें, अगर किसी के पास इतने पैसे हैं कि वो गरीबों का मुफ्त में इलाज करवा सकते हैं, तो उन्हें तुरंत लोगों की सहायता करनी चाहिए।

हम सभी को निशुल्क ऑक्सीजन सेवा उपलब्ध करा रहे इन लोगों से सीख लेनी चाहिए और मानवता की सीढ़ी चढ़नी चाहिए। किसी की जान बचाने से बेहतर और कुछ भी नहीं है और अगर आप इसमें अपना छोटा सा भी योगदान दे देते हैं, तो वो किसी के लिए योगदान नहीं जीवन दान कहलाएगा।