जिला ललितपुर, ब्लाक महरौनी, गाँव कोरवास के लोग गाँव में काम न मिलने की वजह से एक बार फिर पलायन कर रहे हैं। उनका आरोप है की कोरोना के चलते एक बार फिर हमारी स्थिति भूखे मरने की आ गई है।जिस वजह से हम दिल्ली पलायन कर रहे हैं।
मनरेगा में समय से नहीं मिलता पैसा
घनश्याम और रामदास ने बताया कि हम लोगों को गांव में काम नहीं मिल रहा है इसलिए, हम लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं। हमारे गांव के कम से कम 50 प्रतिशत लोग दिल्ली जाकर काम करते हैं। वहां समय से पैसा मिल जाता है। अगर गांव में काम मिलता भी है तो समय पर पैसा नहीं मिलता है। कई सारी प्रक्रिया करनी पड़ती है। अभी हम सब दिल्ली जा रहे हैं कुछ महीने काम करने के बाद वापस लौटेंगे।
कोरवास गाँव से 10 लोगों ने किया पलायन
राधा का कहना है कि अभी हमारे गांव से 10 लोग दिल्ली काम करने जा रहे हैं। साल में दो बार जाते हैं।अगर हम लोगों को गांव में काम मिलता तो हम लोग पलायन नहीं करते। बच्चों को छोड़कर बाहर जाते हैं तो बहुत बुरा भी लगता है लेकिन क्या करें। हमारे गांव से थोवन, कल्लू, घनश्याम, रामदास, जानकी, रामकुवंर, प्रभा, हरकुवंर, धनवाई, और राधा सब साथ जा रहे हैं।
लोग गाँव में क्यों नहीं करना चाहते काम?
रोजगार सेवक प्रकाश का कहना है कि हमारे गांव में काम हमेशा लगा रहता है। किसी को भी मना नहीं किया जाता कि वह काम पर ना जाये। हम घर-घर जाकर लोगों से पूछते हैं कि जिसको काम करना है जाकर काम कर सकते हैं। पर लोग मना कर देते हैं और पलायन चले जाते हैं। लोग खुद गांव में काम करना नहीं चाहते हैं।
सुनील कुमार खंड विकास अधिकारी महरौनी ने बताया कि गांव में मनरेगा का काम चालू है। लोगों से कहा भी गया है की काम करें। पर पता नहीं गाँव में काम होते हुए पलायन क्यों करते हैं। अगर काम नहीं भी मिल रहा है तो हमारे पास आए शिकायत करें, हम उस पर कार्रवाई करेंगे। और उनको काम दिलाएंगे।