जिला बांदा अतर्रा कस्बे के रहने वाले प्रगतिशील किसान जाहिद अली उन नेताओं को आइना दिखा रहे हैं, जो कृषि बिल के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने काला नमक धान की पैदावार की है। 1 हेक्टेयर में करीब पौने दो लाख का धान तैयार किया है। जाहिद अली ने इस धान को व्यापारियों को बेचने के बजाय किसानों को बीज के तौर पर देने का निर्णय लिया ताकि बुंदेलखंड के किसान इसके जरिए समृद्धि हासिल कर सकें।
जाहिद अली करते हैं जैविक खेती
अतर्रा कस्बे के रहने वाले प्रगतिशील किसान जाहिद अली इसके साथ–साथ सब्जी व जैविक खेती में भी माहिर है। इसके पहले वह एक सरकारी नौकरी भी कर चुके हैं। लेकिन उनकी रूचि खेती में ज्यादा थी इसलिए वह उस नौकरी को छोड़कर अब किसानी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। वह अपने 20 हेक्टेयर के कृषि फार्म में उन्नति शील खेती लगभग 10 वर्षों से कर रहे हैं। कृषि विश्वविद्यालय का कार्यक्रम हो या विज्ञान केंद्र का, उन्हें सबसे पहले बुलाया जाता है।
इस बार उन्होंने काला नमक धान की खेती एक हेक्टेयर में की है। वह बताते हैं कि 1 हेक्टेयर में उनका 30 से 35 कुंटल धान तैयार हुआ है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी पैदावार में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया गया है। सिर्फ ढांचा की हरी खाद का प्रयोग किया है। इससे लागत भी बेहद कम आई और धान 165 दिन में ही तैयार हो गया। काला नमक धान की कीमत ₹5000 प्रति कुंटल है। इसका चावल 10 से ₹15000 कुंटल बिकता है।
खेती तक का सफ़र
जाहिद अली बताते हैं कि 1999 में उनकी ग्रेजुएशन पूरी हुई थी। इसके बाद वह किसानी में लग गये। 2006 तक उनके पास कोई खेत नहीं था। वह दूसरो के खेतों में किसानी करते थे क्योंकि उनके पिता भी किसानी करते थे। उन्हें भी किसानी में बहुत रुचि थी और किसानी के जरिए वह बुंदेलखंड में कुछ कर दिखाने का जज्बा रखते थे। सरकारी नौकरी भी उन्हें दो–दो मिली। डाक विभाग में भी नौकरी मिली, जहाँ उन्होंने 7 महीने करने के बाद इस्तीफ़ा दे दिया। फिर आरटीओ विभाग में उन्होंने ज्वाइनिंग नहीं की क्योंकि उनका मन सरकारी जॉब में नहीं लग रहा था।
उनका कहना है कि खेती में मेहनत तो है, लेकिन लगन के साथ काम किया जाए तो खेती से बढ़कर कोई व्यवसाय नहीं है। वह कहते हैं कि उनके पास 2006 तक एक भी खेत नहीं था, वहां इस समय उनके पास 25 बीघा खेती है।
करना चाहते हैं अन्य किसानों की मदद
धान खरीद के लिए व्यापारी उनके यहां खुद संपर्क करते हैं। लेकिन वह उन व्यापारियों को अपना धान नहीं बेचते। उनका मकसद है कि बुंदेलखंड का हर किसान काला नमक धान की खेती करें और आगे बढ़े। ताकि केंद्रों में बेचने का झंझट ही ना रहे और ना ही किसी कानूनी दाव और आंदोलन का झंझट रहे।
उनका कहना है कि काला नमक प्रजाति का धान गोंडा गोरखपुर व नेपाल सीमा के अन्य जिलों में बहुत होता है।वह कृषि विभाग की ओर से घूमने के लिए वहां गए थे। वहीं से वह बीज लेकर आए। इस धान का चावल स्वाद में बेजोड़ होता है और खुशबू भी बहुत ही अच्छी होती है। इसलिए उनका मकसद है कि उन्नतिशील खेती कर सभी किसान खुशहाल हो।
वह यह भी कहते हैं कि एक इंसान के लिए जो सुख सुविधा चाहिए वह अपनी खेती से भरपूर कर पा रहे हैं। एक इंसान को अच्छा कपड़ा,अच्छा खाना,अच्छी गाड़ी और अच्छा मकान चाहिए, जो उनके पास है। पर बिना मेहनत कुछ नहीं होता। अगर हम अच्छी मेहनत और लगन से काम करेंगे तो हमें उसका फल भी अच्छा ही मिलेगा। जैसे कि उन्होंने पाया है और वह यही सभी किसान भाइयों से कहना चाहता हैं कि वह भी अपनी मेहनत और लगन के साथ काम करें, खेती में नए–नए तरीके अपनाएं और खुशहाल रहे।