भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के रूप भले बदल गए हों, लेकिन हिंसा कम नहीं हुई। शारीरिक हमलों से लेकर ऑनलाइन धमकियों, डीपफेक और ट्रोलिंग तक- नई तकनीक ने हिंसा को और जटिल बना दिया है। जाति और लिंग आधारित हिंसा की जड़ें अभी भी गहरी हैं। 16 दिनों की सक्रियता का यह अभियान हमें याद दिलाता है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम और जवाबदेही अभी भी बेहद ज़रूरी है।
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