ललितपुर- कई वर्षों से सूखे की मार झेल रहे बुन्देलखण्ड के किसानों को राहत तो नहीं मिल रही है लेकिन उनकी मुसीबतों में इजाफा ज़रूर हो रहा है। सरकारी लापरवाही की वजह से किसानों की जिंदगी बोरिंग होती जा रही है। बुन्देलखण्ड के ललितपुर जिले के क्योलारी गाँव के पास में बने जमडार बांध परियोजना के अंतर्गत जिन किसानों की जमीनें ली गई थी, उसमें से आधे लोगों को ही अब तक सरकारी मुआवजा मिल पाया है। किसी की 1 एकड़ किसी की 3 तो किसी की 5 एकड़ जमीन बाँध में गई है। आधे से ज्यादा किसान अपनी जमीन की कीमत मांगने के लिए सरकारी दफ्तरों और नेताओं के यहां चक्कर लगा रहे हैं।
उम्मीद की आस में जी रहे किसान
क्योलारी गाँव के अमन सिंह का कहना है कि 2008 में जमडार बांध बना बना था जिसमे 60 लोगों की जमींन गई थी। 40 लोगों को 1 एकड़ जमीन के लिए 9 लाख मुआवज़ा उसी टाइम मिला था। 2016 दोबारा सर्वे करने के बाद 10 लोगों को उसी 1 एकड़ का 13 लाख मुआवज़ा दिया गया है बाकी जो 10 लोग हैं उन्हें मुआवज़ा नहीं मिला है वो विभाग के चक्कर लगा रहे हैं।
मुआवज़ा मिले तो बनाये अपना आशियाना
विमला देवी का कहना है कि हमारा मकान बांध के किनारे हैं और जब बांध से पानी छूटता है तो हमारे मकान में भरता है। पूरा अनाज पानी में डूब जाता है। हम लोग बहुत परेशान हैं। हम चाहते हैं कि हमें हमारी जमीन का मुआवजा मिल जाए जिससे हम अपना घर कहीं और बना सके, पर अधिकारी कोई सुनवाई नहीं करते हैं।
स्थानीय निवासी छिल्ला बाई का कहना है कि बांध की सीढ़ी की वजह से हमारे घर गिर रहे हैं। और इस ठण्ड में तो रहना मुस्किल हो रहा है। हमारे गांव में आज भी 10 परिवार ऐसे हैं जिनको मुआवजा नहीं मिला है। सबकी स्थिति काफ़ी दयनीय है कैसे गुजर बसर करें।
2 साल में खर्च हुए 20,000 पर मुआवज़ा नहीं मिला
क्योलारी की रहने वाली रामसखी का कहना है कि हम लोग कई बार विभाग जा चुके हैं पर कोई सुनवाई नहीं हुई। बस एक ही आश्वाशन मिलता है की आपका काम हो जायेगा। राकेश का कहना है कि हम लोग करीब 2 साल से बराबर मुआवजे के लिए अधिकारियों के पास जा रहे हैं जिसमे कम से कम हमारा 20,000 खर्च हुआ है। हम तो यह चाहते हैं कि हमारे गांव में अधिकारी आए और जांच करें। ताकि हमारी स्थिति के बारे में उन्हें पता चल सके उसके बाद हमें मुआवजा दिलाए।
मार्च तक करना पड़ सकता है इन्तजार
विनय मिश्रा एसडीओ सिंचाई विभाग ने बताया है कि कुछ लोग अभी क्योलारी गाँव में मुआवजे से वंचित हैं। हमने उनकी सूची बनाकर भेज दी है। जैसे ही बजट आता है मुआवज़ा दिया जायेगा।