नमस्कार दोस्तों द कविता शो के इस एपीसोड में आपका स्वागत है। दोस्तों इस तरह की कड़ाके की ठंड है लोग अपने घरों में आग जलाकर या फिर रजाई के अंदर होंगे लेकिन देश का किसान इस समय खुले आसमान के तले धरने पर हैं क्रषि कानून को लेकर चल रहे आन्दोलन को आज 44 दिन पूरे हो गया है। 7 जनवरी यानी कल किसानों ने दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकाला। सिंघु से टिकरी बॉर्डर, टिकरी से कुंडली, गाजीपुर से पलवल और रेवासन से पलवल तक यह मार्च निकाला गया।
किसान किसी भी हालत में सरकार से समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं .और तैयार भी क्यों हो भाई सरकार को किसानो की मांग को पूरा करना होगा। आन्दोलन में भाग ले रहे 60 किशानो की अब तक में जाने जा चुकी है .किशानो ने 26 जनवरी को तिरंगें के साथ में परेड कर दिल्ली और लाल किला घेरने का एलान कर दिया है और इसकी अगुवाई महिलाये करेगी। तो दोस्तों इस तरह की कडाके की ठंड में किसान खुले आसमान के तले बैठे है. कई दिनों से दिल्ली में तो लगातार बारिश हो रही और ओले भी पड़े है।
लेकिन किसान पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। इस आन्दोलन में बूढ़े बच्चे महिलाये और जवान सब शामिल हैं। लेकिन सकरार का एक भी रोवा नहीं पसीज रहा है। सरकार अभी तक किसान बिरोधी काले कानून को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। आखिर कार सरकार किसानो की मागे मानने के लिए तैयार क्यों नहीं है। जब किसानो के लिए बनाया गया कानून किसानो के हित में नहीं है तो उसको वापस क्यों नहीं ले रही है।आखिर सरकार के सामने कौन सी मजबूरी है। किसान ही इस देश में लोगों का पेट भर भरता है और उन्ही का गला ये मौजूदा सरकार क्यों रेतना चाहती है।
आन्दोलन करने वाले किशानो को देश द्नोही आंतकवादी जैसे के नाम भी दे कर उनको कमजोर करने की कोशिश की। लेकिन अन्न दाता सरकार के गिराने से गिरने वाली नहीं है। बुंदेलखंड में दिसम्बर में एक दिन के लिए किसानों की 16 दिसम्बर को मंडलीय किसान पंचायत बुलाई गई जिसमें उत्तर प्रदेश के भाजपा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव उस पंचायत को संशोधित करने आये थे थे साथ ही पार्टी के बड़े बड़े नेता जिसमें विधायक सांसद और पार्टी के लोग छोटे बड़े नेता सज-धज कर इस पंचायत में खूब अपना ऱब जमाया।
जिले के बड़े अधिकारियों के का दबाव प्रधानों के ऊपर था कि वो इस पंचायत में भीड़ लेकर आये तो कुछ ग्रामीणों को भी जबरदस्ती लाया गया था। स्वतंत्र देव को चांदी का मुकुट पहना कर उनका भव्य स्वागत किया और खूब भाषण बाजी हुई भाषण में किसानों को खूब खरी खोटी सुनाई गई यहां तक की गाली बकने के बराबर के शब्दों का भी यूज किया गया। चित्रकूट बांदा के सांसद आरके पटेल ने तो यहां तक कह डाला कि बुंदेलखंड में किसानों की कोई समस्या ही नहीं है।
अब अन्ना जानवरों की कोई दिक्कत नहीं है। सांसद ने यह भी कहां की एक दो किसान है जो लाल और हरी टोपी वाले हैं जो हाओ हल्ला बोल रहे हैं । इस तरह की बातें और चर्चा को सुनकर लगता है कि नेता मंत्री कितनी गन्दी राजनीति कर रहे हैं। सच के सामने किस तरह से झूठ का पर्दा डाला जा रहा है किस तरह से लोगों के अंदर गलत भावनाएं भरी था रही हैं। अरे मैं पूछती हूं ये जो नेता मंत्री है क्या इनके ये कोई दूसरी दुनिया से टपक कर आये हैं ।
क्या ये किसानों की औलाद नहीं है । इनके परिवार और गांव घरों में किसान नहीं है ये कैसे किसानों के दर्द को भूल सकते हैं । इनकी हिम्मत भी कैसे पड़ जाती है । बुंदेलखंड में जहां पर किसान इतना आत्महत्या कर रहे हैं वो किसी से छिपा नहीं है । अभी कल ही 7 जनवरी को महोबा में दो किसानों की मौत की खबरें सामने आई है एक किसान की हार्ड अटैक से मौत हुई है तो एक किसान ने आर्थिक तंगी के चलने फांसी लगा कर आत्म हत्या किया है लेकिन ये सरकार और इसके नेता मंत्री सिर्फ किसानों का मजाक उडा रहे हैं सिर्फ राजनीति की रोटिया सेक रहे हैं। बुन्देलखण्ड के किशान भी दिल्ली के पलवल बार्डर पर लगातार इस आन्दोलन का हिस्सा रहे है हमने उनसे भी लगातार बातचीत की है हमने उनके दर्द को नजदीकी से देखा है और हम भी किसानो के बच्चे है और इस कानून का विरोध करते है। तो सरकार को कानून वापस तो लेना ही होगा। आज नहीं तो कल।
सरकार भले ही किसानो को बेचने के लिए बड़ी बड़ी कम्पनियों से समझौता कर चुकी हो लेकिन उसका अपना समझौता तोड़ना होगा। सरकार ने अभी तक में आठ बार किसानों के सस्थ में बैठक कर चुकी है आज फिर से नौवी बार बैठक होगी देखते है सरकार किसानों की मांगे पूरी करेगी या फिर से गुड दिखा कर ईट मारने का काम करेगी। तो दोस्तों आपको क्या लगता है? आप जरुर से अपने सुझाव कमेन्ट और राय जरुर भेजे। अगर ये शो पसंद आया है दो दोस्तों के साथ में सेयर करें अगर चैनल को सबस्क्राइब नहीं किया है तो अभी ही कर लीजिये। तो अगले एपिशोड में फिर मिलती हूँ कुछ करारी बातो के साथ तबतक के लिए नमस्कार।