छत्तीसगढ़ के रायपुर का ‘तेलीबांधा तालाब’ (Telibandha Talab Chhattisgarh) लोगों में मरीन ड्राइव के नाम से भी मशहूर है। यह बदलाव तालाब के सौन्द्रीयकरण के बाद आया। छत्तीसगढ़ पुरातत्व इतिहास व उसकी कहानियों से फला-फुला राज्य है। राज्य में घूमने के लिए बहुत-सी जगहें हैं। उनमें से एक है ‘तेलीबांधा तालाब’/ ‘मरीन ड्राइव’ जिसकी हम बात कर रहे हैं।
यह जगह सिर्फ लोगों के घूमने के लिए ही नहीं बल्कि ज़िंदगी के कुछ हलके-फुल्के पल गुज़ारने के लिए भी कई जगहों में से एक है। आपा-धापी भरी ज़िंदगी से थोड़ा समय निकाल लोग यहां बैठकर नदी की कल-कल और ढलते सूरज की सुंदरता के साथ अपने दिल व मन का ख्याल रखते हैं। संगी-साथी, दोस्त,परिवार व स्वयं के साथ यादगार लम्हें बिताते हैं।
हमारी रिपोर्टर नाज़नी ने यहां के निवासियों से बात की व तालाब के बारे में उनसे पूछा। निवासी शब्बीर हुसैन कहतें, पहले यह तालाब 35 एकड़ में बना हुआ था। धीरे-धीरे लोगों ने इस पर अतिक्रमण कर लिया और अब तालाब एक किलोमीटर के दायरे में ही बचा हुआ है। तालाब के सौन्द्रीयकरण के बाद ऑफिस से थके-हारे लोग यहां अपनी थकान दूर करने आते हैं क्योंकि लोगों को सुकून चाहिए। यहां रौनक भी रहती है।
श्रीनाथ तालाब के किनारे बर्फ के गोले बेचने का काम करते हैं। वह कहते हैं, तालाब राजाओं के ज़माने का है। पहले यहां चहल-पहल नहीं थी। अभी पिछले तीन सालों से यहां की शाम सबको मोहने लगी है। यहां सभी प्रकार के लोग आते हैं। ज़्यादातर कॉलेज के बच्चे व कपल। उनका धंधा भी बढ़िया चलता है। बच्चे भी बर्फ का गोला देखकर खुश हो जाते हैं।
‘तेलीबांधा तालाब’ का इतिहास
कई मीडिया रिपोर्ट्स में, मधुसूदन के बारे में बताया गया है जिन्होंने ‘तेलीबांधा तालाब’ का ज़िक्र अपनी कविताओं में किया है। इतिहासकारों से मिली जानकारी के अनुसार,जीई रोड पर सड़क किनारे तेलीबांधा नामक गांव था। वहीं के रहने वाले मालगुजारों ने तालाब का निर्माण कराया। तालाब 29.43 एकड़ में फैला हुआ था, जो कि तेलीबांधा नाम से जाना जाता था। दीनानाथ साव और उनके बेटे शोभाराम साव का नाम इस बांध (तालाब) से जुड़ा है। साल 1835 में तालाब और पचरियों का निर्माण कराया गया। 1890 की चार पन्नों की कविता में मधुसूदन अग्रवाल पुरानी बस्ती ने दीनानाथ साव परिवार का वर्णन किया है। साव परिवार द्वारा बनाए गए बांध का नाम तेलीबांधा क्यों पड़ा, इस बारे में माना जाता है कि क्योंकि तेलीबांधा नामक गांव पहले से यहां था, इसलिए लोगों ने इसे तेलीबांधा नाम दे दिया होगा।
मौजूदा इतिहास कहता है कि तालाब 14वीं सदी में 1835 में बनवाया गया था। इसमें सबसे ज़्यादा साहू समाज के लोगों का योगदान था। तालाब की ज़मीन दीनानाथ साव ने दी थी। वहीं निर्माण जग्गनाथ साव ने कराया था।
इतिहास से जुड़ा ये तालाब धीरे-धीरे अपनी चमक खो रहा था। फिर जब 2020 में तालाब का पुनः सौन्द्रीयकरण हुआ तो तालाब को नई ज़िन्दगी मिली।
‘तेलीबांधा तालाब’ के निर्माण में क्यों दिया लोगों ने योगदान?
तेलीबांधा तालाब के निर्माण को लेकर यह भी कहा जाता है कि गांव के लोगों ने इसमें अपना योगदान इसलिए दिया ताकि गांव के लोगों को साफ़ पानी मिल सके। खेतों में फसल बोने, नहाने और पीने के लिए भी पानी का इस्तेमाल किया जा सके।
‘तेलीबांधा तालाब’ का समय व टिकट के बारे में जानें
जानकारी के अनुसार, यह पर्यटकों के लिए बिलकुल मुफ्त है यानी यहां घूमने के लिए आपको किसी भी प्रकार की कोई टिकट लेने की ज़रूरत नहीं है।
‘तेलीबांधा तालाब’ की लोकेशन
तेलीबांधा तालाब, रायपुर,
छत्तीसगढ़- 49228, भारत
खुलने का समय
यह हफ्ते के सातों दिन खुला रहता है। सुबह 12 बजे से रात के 12 बजे तक यानी 24 घंटे यह तालाब सभी के लिए खुला रहता है।
इस समय आये घूमने
तेलीबांधा तालाब को घूमने का सबसे अच्छा समय सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक बताया गया है।
(नोट- किसी स्पेशल दिन या त्योहारों के दौरान घूमने के समय में कुछ फेर-बदल हो सकती है।)
इस महीने आये तेलीबांधा तालाब
अक्टूबर से मार्च का महीना तेलीबांधा तालाब घूमने के लिए सबसे बेहतर महीना बताया गया है।
तेलीबांधा तालाब में ये करने की है इज़ाज़त
कई जगहों पर शूट करने या फोटो क्लिक करने को लेकर मनाही होती है। यहां फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी या फिल्ममेकिंग को लेकर कोई रोक-टोक नहीं है। आप यहां ये सब चीज़ों बिना कोई पैसा दिए कर सकते हैं।
तेलीबांधा तालाब: इन यातायातों से ऐसे पहुंचे
हवाईजहाज: सबसे करीबी हवाईअड्डा है ‘माना एयरपोर्ट (रायपुर हवाईअड्डा), जिसकी दूरी 130 किलोमीटर है।
रेलवे स्टेशन: ‘रायपुर रेलवे स्टेशन’ सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो घूमने की जगह से 36 किलोमीटर दूर है।
रोड से – रायपुर (116 किलोमीटर), राजनंदगांव (133 किलोमीटर), जबलपुर (220 किलोमीटर)
अगर आप दिल का सुकून ढूंढ़ रहे हैं तो आप एक नज़र रायपुर के इस तेलीबांधा तालाब की ओर भी देख सकते हैं। दौड़ती-भागती सी इस जिंगदी में कुछ जगहें ही कुछ समय के लिए दिल को राहत देती हैं और तेलीबांधा तालाब उन जगहों में से एक है। घूमिये भी और दिल को चैन भी दीजिये।
रिपोर्टर – नाज़नी रिज़वी
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