तेलंगना के मंत्री जुपल्ली कृष्णा राव ने मामले को लेकर कहा कि इन आठ लोगों के जीवित बचने की संभावना ‘बहुत कम’ है। हालांकि, उन्हें बचाने के लिए हर तरह से कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि, फंसे हुए लोगों को निकालने में कम से कम तीन से चार दिन लग सकते हैं।
तेलंगना में शनिवार, 22 फरवरी को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC टनल) का एक हिस्सा ढहने के बाद से उसमें आठ मज़दूर फंसे हुए हैं। फंसे मज़दूरों को बचाने के लिए बचाव टीम के साथ ‘रैट माइनर्स” टीम को भी शामिल किया गया है। ये टीम, टनल के ढहे हुए हिस्से में से फंसे हुए मज़दूरों को बाहर निकालने का काम करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वही रैट माइनर्स हैं जिन्हें लगभग दो साल पहले उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल ढहने के मामले में भी बचाव टीम में शामिल किया गया था।
बता दें, रैट माइनर्स वे लोग होते हैं जिन्हें संकरी जगहों जैसे – सुरंगो या मलबे के नीचे दबे या फंसे लोगों को निकालने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वहीं इनका नाम ‘रैट’ (चूहा) इसलिए पड़ा क्योंकि ये चूहों की तरह छोटे और संकरे स्थानों में प्रशिक्षण के बाद काम करने के लिए सक्षम होते हैं। ये विशेष तौर पर उन जगहों पर काम करते हैं जहां सामान्य बचावकर्मी नहीं पहुंच पाते, जैसे कि ढह चुके टनल या खदानों में।
मज़दूरों के जीवित बचने की कम है संभावना
तेलंगना के मंत्री जुपल्ली कृष्णा राव ने मामले को लेकर कहा कि इन आठ लोगों के जीवित बचने की संभावना ‘बहुत कम’ है। हालांकि, उन्हें बचाने के लिए हर तरह से कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि, फंसे हुए लोगों को निकालने में कम से कम तीन से चार दिन लग सकते हैं। क्योंकि ढहने की जगह मलबे और कीचड़ से भरी हुई है, जिसकी वजह से बचाव कर्मियों के लिए यह काम बहुत कठिन बन गया है।
मज़दूरों के बचाव में लगी विभिन्न टीम
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बचाव के लिए बड़ा ऑपरेशन जारी है जिसमें लगभग 300 प्रशिक्षित कर्मचारी शामिल हैं। इसमें राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ़) के 128, राज्य आपदा मोचन बल के 120, सिंगरेनी कोलियरीज़ के 23 और सेना के 24 जवान शामिल हैं। यह सभी फंसे हुए मज़दूरों को बाहर निकालने के काम में लगे गए हैं।
रिपोर्ट बताती है कि बचावकर्मी टनल के 13 किलोमीटर अंदर पहुंचने में सफ़ल रहे हैं लेकिन अगले कुछ सौ मीटर में पानी और कीचड़ होने की वजह से वे फंसे हुए लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
एएनआई से बात करते हुए, नागरकुरनूल के जिला कलेक्टर बदावथ संतोष ने कहा कि, “पानी निकालने का काम किया जा रहा है, जबकि भारतीय सेना, एनडीआरएफ़ और एसडीआरएफ़ अतिरिक्त उपकरणों के साथ अंदर जा रहे हैं। हमारा ध्यान फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने पर होगा। कल, वे आखिरी 40 मीटर तक नहीं पहुंच पाए थे, और अब जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।”
टनल में फंसे मज़दूर ने बताई घटना
झारखंड के निरमल साहू जो टनल गिरने के समय वहां मौजूद थे, उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि, “झारखंड के रहने वाले निरमल साहू, जो उस समय टनल में थे, ने PTI को बताया, “22 फरवरी की सुबह जब हम टनल में गए, तो पानी की धारा बहुत तेज हो गई और ढीली मिट्टी गिरने लगी।
जो लोग खतरा महसूस कर रहे थे, वे सुरक्षा की ओर भागे, लेकिन आठ लोग बाहर नहीं आ सके।”
आगे कहा, “हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे साथियों को सुरक्षित बाहर निकालेगी। हम उम्मीद करते हैं कि वे जिंदा मिलें।”
एक और मजदूर ओबी साहू, जो संदीप साहू के रिश्तेदार हैं, उन्होंने बताया कि कुछ मजदूरों को टनल से बाहर भागते समय हल्की चोटें भी आईं।
तेलंगना सीएमओ ऑफिस ने X पोस्ट करते हुए लिखा कि, “मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी हादसे के संबंध में लगातार स्थिति का मूल्यांकन कर रहे हैं।
इस हादसे के बीच विपक्षी पार्टियां सीएम रेवंत रेड्डी पर मामले को लेकर ज़्यादा गंभीरता न बरतने का भी आरोप लगा रही हैं।
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