परिवार वालों द्वारा मोबाइल फोन न दिलावाने पर किशोरी ने अपना घर छोड़ दिया।
मॉडर्न युग के साथ आधुनिक चीज़ों ने जितना लोगों के कामों को आसान बनाया है उतना ही लोगों को चीज़ों का आदी भी बना दिया है। आधुनिक तकनीक में अगर आज सबसे ज़्यादा लोगों को किसी यंत्र की आदत है तो वह है ‘स्मार्टफोन।’
स्मार्टफोन, लोगों की ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन गया है। जिसे 2 मिनट के लिए भी खुद से अलग करना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। शायद, हम इसके आदी होते जा रहें हैं। बात यहाँ सिर्फ आदी या लत लगने तक की नहीं है। शहर छोटा हो या बड़ा, बुज़ुर्ग व्यक्ति हो या कोई युवक या बच्चा, स्मार्टफोन तो चाहिए ही।
स्मार्टफोन लेने को आधुनिकता में घुलना कहा जाए या परिवेश के अनुसार ज़रूरतों का बढ़ना पर हाँ, यह हमसे कई बार कुछ ऐसी चीज़ें करवाता है जो समझने में कई बार हमारी समझ से बाहर होती है। यह कई बार क्राइम की ओर रुख करता है तो कभी खुद को हानि भी पहुंचाता है।
खबर लहरिया ने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान पाया कि एक नाबालिग लड़की परिवार द्वारा फ़ोन न दिलाने की वजह से घर छोड़कर चली गयी। पुलिस द्वारा छानबीन के बाद किशोरी को ढूंढ़ घरवालों को सौंपा गया।
देखा जाए तो आज आधुनिकता ने सबसे ज़्यादा teenager (किशोर) को ही प्रभावित किया है। अगर एक बच्चे के पास स्मार्टफोन है तो दूसरे बच्चे के मन में भी स्मार्टफोन लेने की चाह आ जाती है। यह होना तो आम व्यव्हार है पर इसका परिणाम हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग निकलता है।
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मोबाइल फोन की ज़िद्द में छोड़ा घर
खबर छतरपुर जिले के सटई थाना क्षेत्र की है। किशोरी कई दिनों से अपने माता-पिता से मोबाइल फ़ोन दिलवाने की ज़िद्द कर रही थी। माता-पिता ने बताया कि 6 अप्रैल को वह खेत से खाना बनाने की बात कहकर घर की तरफ निकल गयी। इसके बाद किशोरी का कुछ पता नहीं चला।
माँ ने कहा, “हम लोग गरीब आदमी है। खाने के लाले पड़े रहते हैं तो मोबाइल कहां से दिलायें। मैनें मोबाइल नहीं दिलाया। वह हमसे मोबाइल की ज़िद करती रहती है। पिता ने भी मोबाइल दिलाने से मना कर दिया था। कहा था कि जब पैसे हो जाएंगे तब मोबाइल दिला देंगे। 22 हज़ार का मोबाइल आता है। इतने पैसे कहां से लायें। मोबाइल फ़ोन न दिलाने की वजह से कई दिनों से नाराज़ थी।”
मां ने आशंका जताई कि मोबाइल न दिलाए जाने से नाराज़ होकर ही उसने यह कदम उठाया है।
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पुलिस जांच के बाद मिली किशोरी
जब किशोरी नहीं मिली तो परिवार वालों ने छतरपुर जिला थाने में रिपोर्ट लिखवाई। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज़ की और आश्वाशन दिया कि वह उनकी बेटी को ढूंढ़ लेंगे। छतरपुर के एसपी सचिन शर्मा ने जांच के लिए एक टीम का गठन किया। एडिशनल एसपी विवेक राज की देख-रेख में टीम पीथमपुरा जिला पहुंची। लगभग 15 दिनों के बाद पुलिस को किशोरी पीथमपुरा जिले के पास एक मंदिर में मिली। पुलिस ने किशोरी को उसके परिवार को सौंप दिया।
किशोरी ने बताया कि वह पीथमपुरा जिले के पास एक मंदिर में रह रही थी। जो मंदिर में प्रसाद मिलता था, वह उसे ही खा लेती थी। घर वालों द्वारा मोबाइल फोन न दिलवाने की वजह से वह घर छोड़कर चली गयी थी।
मोबाइल फ़ोन से जुड़ी घटनाओं की रिपोर्ट
टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की 3 सितंबर 2021 की रिपोर्ट में सामना आया कि सूरत की रहने वाली ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा ने खुदखुशी कर ली। रिपोर्ट के अनुसार, परिवार ने छात्रा का फ़ोन रख लिया था क्यूंकि वह मोबाइल फ़ोन का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल कर रही थी। मरने से पहले छात्रा की अपने परिवार से फोन के इस्तेमाल को लेकर बहस भी हुई थी। जब परिवार के सदस्य घर से दूर थे, तब छात्रा ने यह कदम उठाया।
टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की 4 जुलाई 2020 की रिपोर्ट बताती है कि 65 प्रतिशत बच्चे मोबाइल फ़ोन के आदी बन चुके हैं। वह एक घंटे भी फ़ोन से दूर नहीं रह सकते। जे.के लोन हॉस्पिटल (जयपुर) के फिजिशियन के सैंपल सर्वे में यह बात सामने आयी। उन्होंने 203 बच्चों का सैंपल लिया और जानने की कोशिश की कि कोविड-19 में लॉकडाउन के दौरान बच्चों की क्या मनोस्थिति थी।
अभी के समय में हर एक किशोर के पास आपको स्मार्टफोन देखने को मिलेगा। फोन चलाने के इस्तेमाल को लेकर माता-पिता द्वारा आना-कानी करना, फ़ोन ज़ब्त करके रखना, फोन न दिलवाना, फोन को लेकर बहस आदि मुद्दे बेहद सामान्य हो गए हैं। अब इन चीज़ों के पीछे की वजह आधुनिकता का होना है या चीज़ों पर ज़्यादा आश्रित होना है? यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता।
इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है।
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