जिला चित्रकूट ब्लाक मानिकपुर गांव लालापुर के लोग अपनी त्वचा पर अपने करीबी का नाम बड़े ही प्रेम से गुदवाते हैं। जिसे आज हम ‘टैटू’ करवाना कहते हैं। अपने शरीर पर नामों को गुदवाना बुंदेलखंड की संस्कृति का हिस्सा है। लोगों का कहना है कि वह अपने हाथ,पैर आदि जगहों पर अपने प्रियों का नाम लिखवाते हैं।
गाँव के ही कमलेश नाम के व्यक्ति बुंदेलखंड की इस संस्कृति को अपने कला के माध्यम से जीवित करे हुए हैं। जब भी मानिकपुर में मेला लगता है तो वह मेले में लोगों के हाथों पर लोगों की इच्छा के हिसाब से नाम या अन्य कोई डिज़ाइन बनाते हैं। यह मेला माघ के महीने में साल में एक बार वालमीकि आश्रम के पास लगता है। लोग कहते हैं कि नाम को गुदवाने से सुंदरता में निखार आता है। साथ ही किसी प्रिय की याद हमेशा उनके नाम के साथ उनके साथ रहती है। वो भी जीवन के आखिरी पड़ाव के साथ।
एक बार नाम गुदवाने के बाद वह कभी फ़ीका नहीं पड़ता। आज कल तो लड़के,लड़कियां व हर वर्ग के लोगों में टैटू यानी नाम गुदवाने का काफी प्रचलन है। आज कल तो लोग रंगीन टैटू भी गुदवाते हैं। काफी शौक से उन्हें दिखाते भी हैं। टैटू या नाम गुदवाने की संस्कृति बहुत समय से है। जो की आज भी यूपी और अन्य राज्यों में फैली हुई है।