खबर लहरिया आओ थोड़ा फिल्मी हो जाए राजनीती का तांडव सच में मचा रहा तांडव ?

राजनीती का तांडव सच में मचा रहा तांडव ?

पॉलिटिकल ड्रामा वेब सीरीज ‘तांडव’ अमेजॉन प्राइम पर रिलीज हो चुकी है जिस पर बहुत सारे विवाद भी चल रहे हैं. कई राज्यों में विरोध और मुकदमें चल रहे है।शिकायतकर्ताओं द्वारा आरोप लगाया गया है कि शो के निर्माताओं द्वारा नाटक के कुछ दृश्यों में ‘हिंदू देवी–देवताओं का अपमान किया गया है।

जिसके उत्तर में ” निर्माता द्वारा माफ़ी नामा भी जारी किया गया जिसमे उन्होंने कहा है कि अपमान अनजाने में हुआ है ये पूरी वेब सीरीज़ ” काल्पनिक है. वैसे आपको बतादूँ कि इसकी कहानी पूरी तरह से राजनीति के तिकड़मों और अलग-अलग पक्षों के दांवपेचों के इर्द-गिर्द घूमती है। हैल्लो दोस्तों मैं हूँ लक्ष्मी शर्मा तो जैसा की मैंने पहले ही बताया आज हम बात करेंगे बेब सीरीज़ तांडव पर तो चलिए थोड़ा फ़िल्मी हो जाते हैं यदि आप राजनीति में रुचि रखते हैं और उससे जुड़ी फिल्में देखते रहे हैं तो यह आपके लिए अच्छी सीरीज हो सकती है।

जिसमे एक तरफ दिल्ली की सत्ता यानी पीएम की कुर्सी के लिए लड़ाई चल रही है तो दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर- भेदभाद, जातिवाद, पूंजीवाद, फासीवाद से आजादी के लिए मोर्चा खोला जाता है। 9 एपिसोड में बटी इस सीरीज़ की कहानी है समर प्रताप सिंह यानी सैफ अली खान की है। समर की पार्टी तीन बार से देश की संसद में काबिज है और उनके पिता देवकी नंदन यानि तिग्मांशु धूलिया भारत के प्रधानमंत्री हैं। समर को पूरी उम्मीद है कि अब आने वाले समय में देवकी नंदन अपनी कुर्सी और पार्टी उनके हवाले कर देंगे लेकिन यह इतना आसान नहीं होता क्योंकि समर के पिता और राजनीति ने कुछ और ही सोच रखा है। जब समर को अपना रास्ता साफ होते नहीं दिखता है तो वह अपने पिता देवकी नंदन की हत्या कर देता है।

लेकिन इसके बाद भी समर को कुर्सी नहीं मिल पाती और कुर्सी पर देवकी नंदन की नजदीकी नेता अनुराधा किशोर यानी डिंपल कपाड़िया को मिल जाती है। हालांकि समर की मदद के लिए उसका नजदीकी मददगार गुरपाल यानी सुनील ग्रोवर हमेशा मौजूद रहता है। इसी बीच राजनीति कि रस्साकशी में एक युवा छात्र नेता शिवा यानी मोहम्मद जीशान अयूब भी मैदान में कूद पड़ता है।

अब समर कैसे इस बीच अपना रास्ता बनाता है, बस यही इस पूरी वेब सीरीज की कहानी है। ये कहानी इतनी धीरे आगे बढ़ती है कि कभी-कभी आपका ध्यान भी भटक सकता है. इसलिए आपका धैर्य रखना बहुत जरूरी है क्योंकि शो में देखने के लिए बहुत है। लेकिन लगभग 8 घंटे अपनी नींद गवाने के बाद भी आप क्लाइमेक्स तक नहीं पहुँचते है मतलब आगे की कहानी अगले सीज़न में. डायरेक्टर अली अब्बास जफर को पता है कि ऑडियंस को क्या मसाला चाहिए। हालांकि इसी चतुराई में वह कहानी पर उतनी पकड़ नहीं बना पाए हैं जैसे की उम्मीद की जा रही थी।

जब कहानी शुरू होती है तो आपको लगता है कि इसमें कई तरह की राजनीतिक पैंतरेबाजी देखने को मिलेगी लेकिन आपको निराशा ही हाथ लगेगी। एक चीज जो आपको खुश कर सकती है, वह है कलाकारों का अभिनय। सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, सुनील ग्रोवर और कुमुद मिश्रा ने जो बेहतरीन ऐक्टिंग की उसकी तारीफ बनती है लेकिन कमजोर कहानी और स्क्रीनप्ले के कारण आप अंत में इस सीरीज से उतने खुश नहीं हो पाएंगे जिसकी आप उम्मीद लगाकर बैठे थे।तो हमारी तरफ से इस सीरीज़ को मिलते है 5 में से 3 स्टार तो दोस्तों आपको ये सीरीज़ कैसी हमें जरूर से बताएं