जेल से लौटे कैदी की दास्तान :लॉकडाउन के चलते चारों तरफ अफरा तफरी सी मच गई है। जहां पर पुलिस मुजरिम को पकड़ने के लिए कई महीनो लगाती है, वहीं पर एक कोरोना वायरस और लॉक डाउन ने अपराधियों को एक पल में जेल से बाहर कर दिया है। जी हां कोर्ट के आदेशानुसार 30 मार्च को सात साल से कम उम्र वाले कैदी को 8 हफ्ते के लिए उन्हें छोड़ दिया गया है। महोबा कोतवाली क्षेत्र के बिलबई गाँव निवासी अपराधी राजकुमार ने बताया कि होली में उनकी गाँव में ही कुछ लोगो से विवाद हो गया था। जिसमे लाठी डंडे चले थे। दूसरे पक्ष को काफी चोट आई थी। हमारे पैर में भी चोट आई थी। पुलिस ने हमारी डॉक्टरी कराई थी। जिसमे पैर फैक्चर बताया गया था। पर उस दिन अस्पताल में डॉक्टर नही था। इसलिए पुलिस वाले हमे ऐसे ही जेल में बंद कर आये थे। हमने कई बार जेल से आने की कोशिश की की हम अपने पैर में प्लास्टर करवा लें। पर दुबारा न तो पुलिस वाले गए। और न ही हमे आने दिया। वही जेल के अंदर अस्पताल थी। दर्द की दवा खा लेते थे बस। हमारे लिए तो अच्छा हुआ जो छोड़ दिया है। कम से कम इलाज हम पैर का इलाज तो करवा पा रहे है। नही तो हमारा पैर हमेशा के लिए खराब हो जाता। इस कैरोना कि वजह से कही नही जा रहे, घर पर ही रहते है। वैसे भी हम तो पैर से विकलाग है तो कही जा ही नही सकते। अभी तो अच्छा लग रहा है पर वापस जाने को सोच कर डर लगता है। पर क्या करें जाना तो पड़ेगा ही। उसी गाँव के दूसरे अपराधी राजेन्द्र पाल ने बताया कि ये सब होता रहता है। हमे अच्छा लग रहा है कि हमे छोड़ दिया है। हम घर पर ही रहते है। कही आते जाते नही है। जेल में भी हमारे दिन अच्छे से कटे है। वहाँ पर भी हमारे जैसे ही लोग रहते है। कोशीश करेंगे कि दुबारा न जाना पड़े। यही से बेल हो जाये। अगर नही हुई तो चले जायेंगे। फिर बेल करवा लेंगे।