चित्रकूट ज़िले के गाँव गजरी गढवा में बच्चों ने खेलकूद के साथ–साथ स्वस्थ्य रहना का एक नया तरीका ढूँढा है। इस गाँव के बच्चों ने एक देसी जिम बनाया है और गाँव के सभी बच्चे मिल कर सुबह–शाम यहाँ जिम करते हैं। इन सभी बच्चों ने मिल कर पुराणु बाबा नाम की एक पहाड़ी से लकड़ियाँ और पत्थर इकट्ठा की हैं और उनसे ही जिम में मौजूद रहने वाले उपकरण बनाए हैं। अब गाँव के ज़्यादातर लोग यहाँ जिम करने आते हैं।
गाँव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर बना यह जिम 3 साल से चल रहा है, जिसका लुत्फ़ उठाने आसपास के गाँव से भी लोग आते हैं।
देसी जिम बनाने का उद्देश्य-
इस गाँव के अर्जुन, भारत, कृष्ण नाम के बच्चों का कहना है कि उन्होंने टीवी में बड़े–बड़े जिम देखे थे, जिसको देखने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि वो भी इस गाँव में ऐसा कुछ बना सकते हैं, जिससे उनको खेलने–कूदने के लिए नयी जगह भी मिल जाएगी और उनकी सेहत भी बन जाएगी। जैसा कि हम जानते हैं कि ज़्यादातर जिम सिर्फ़ शहरों में होते हैं जिनमें सिर्फ़ वही लोग जा पाते हैं जो बहुत अमीर हैं। इन बच्चों का कहना कि देहात के लोगों के पास इतना पैसा नहीं होता कि वो जिम की फ़ीस भरें, इसलिए उन्होंने ये देसी जिम बनाने की शुरुआत की। इन बच्चों का मानना था कि यह जिम निशुल्क होना चाहिए जिससे गाँव के हर वर्ग के लोग इसका इस्तेमाल कर सकें और इस जिम का लाभ उठा सकें। इन बच्चों ने हमें बताया कि छोटे–बड़े सभी लोग सुबह–शाम एक–एक घंटे के लिए यहाँ आ सकते हैं और जिम कर सकते हैं।
इंटरनेट की मदद से तैयार किया जिम-
इन बच्चों ने हमें बताया कि जब उन्होंने इस पहल की शुरुआत की तब गाँव के लोगों को पता भी नहीं था कि आख़िर ये जिम होता क्या है। जब लोगों ने बच्चों को यहाँ काम करते देखा तब इसके बारे में जानकारी हासिल करी और इस जिम को तैयार करने में योगदान दिया। यह सभी बच्चे अभी स्कूल में हैं और पढ़ाई के लिए शहर ज़ाया करते हैं, वहीं इन्होंने जिम के बारे में सुना और जिम करने के लाभ के बारे में पता किया। इन बच्चों का कहना है कि ज़्यादातर जानकारी इन्होंने इंटरनेट से प्राप्त की और वहीं से मालूम किया कि कैसे घर में या आसपास उपलब्ध वस्तुओं से जिम के उपकरण बनाए जा सकते हैं।
इन बच्चों ने सिर्फ़ अपने हित के लिए नहीं बल्कि पूरे गाँव के हित के लिए इस जिम को बनाया है। उनकी मानें तो फ़िट्नेस हर व्यक्ति को आगे बढ़ने में भारी योगदान देती है। अगर हमारी सेहत अच्छी है तो हम हर परीक्षा को उत्तीर्ण कर सकते हैं, शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए ज़रूरी है कि हम नियमित रूप से व्यायाम करें। इसके साथ ही इन बच्चों का कहना है कि इस गाँव के जो युवा पुलिस या मिलिटरी में भर्ती होना चाहते हैं वो शहर जाकर जिम की महँगी फ़ीस भरते हैं उससे बेहतर तो वो यहीं आकर मुफ़्त में एक्सरसाइज़ कर सकते हैं।
पहले जिम करने के लिए जाना पड़ता था शहर-
गाँव के कुछ युवाओं ने हमें बताया कि पहले उन्हें 60 किलोमीटर की दूरी तय करके कर्वी जाना पड़ता था, जहाँ हज़ारों रुपय देकर जिम करते थे ताकि सिवल सर्विस आदि में भर्ती हो सकें। कई बार इनके माँ–बाप ने इतने पैसे खर्च करने से मना भी कर दिया, लेकिन फिर इस देसी जिम के बनने से उन्हें बहुत आराम हो गया है।
इन युवाओं ने भी इस जिम को बनाने में बच्चों का सहयोग किया। उन्होंने हमें बताया कि पुराणु बाबा की पहाड़ी पर वे सब ट्रैक्टर लेकर गए थे और लकड़ियों और पत्थरों को इकट्ठा किया था। उसके बाद इन सब ने मिल–जुलकर यह तय किया कि कौन सा पत्थर किस काम आ सकता है। इसके बाद बांस को काटकर इन बच्चों ने एक घेराव तैयार करवाया जिससे इनके जिम के उपकरण सुरक्षित रहें। इन बच्चों ने इस पूरे काम को करने के लिए गाँव के लोगों से ही थोड़ा चंदा इकट्ठा किया जिसकी मदद से यह जिम तैयार हुआ है।
इस गाँव के लोगों का कहना है कि यह देसी जिम सिर्फ़ इन बच्चों की मेहनत और लगन का नतीजा है, जिसका लुत्फ़ आज पूरा गाँव उठा रहा है। बता दें कि इस देसी जिम में आसपास के गाँव से भी लोग निशुल्क जिम करने आते हैं और बच्चों की इस पहल की सराहना करते हैं।
इस देसी जिम के बनने से अब गाँव के लोग चुस्त–दुरुस्त रहते हैं। उनकी मानें तो अब जिम करने से वो पूरा दिन थकान भी महसूस नहीं करते और अपने शरीर पर गर्व महसूस करते हैं।
और अब ये बच्चे एक इससे बड़ा जिम बनाने का सोच रहे हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग वहाँ आकर उसका फ़ायदा उठा सकें।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुनीता बरगढ़ द्वारा रिपोर्ट और फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।