स्वस्छ भारत का सपना गाँधी जी ने हमेशा से ही अपने भारत के लिए देखा था। एक ऐसा भारत जिसमे लोग रोग मुक्त हो। लोग तंदरुस्त हो, ख़ुश हो। किसी को भी शरीर से जुड़ी कोई परेशानी न हो। सब खुली हवा में खुल के सांस ले सके। गाँधी जी के इसी सपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने 2014 में स्वस्छ भारत मिशन की शुरुआत की। लोगो में साफ़–सफाई को लेकर चिंता जगायी। कुछ लोगो ने इसे समझा और खुद में ढालने की कोशिश की। वहीं कुछ लोगो के लिए साफ़–सफाई की ओर ध्यान देना इतना ज़रूरी नहीं समझा गया।
स्वछता सर्वेक्षण 2020 में सुधरी यूपी की रैंक
स्वछता के नज़रिए से कौन सा शहर कितना आगे और पीछे है उसके लिए स्वछता सर्वेक्षण की शुरुआत की गयी। शहरी विकास मंत्रालय ने इसकी शुरुआत 2016 में की थी। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे कार्य मे लाया गया था।
उत्तरप्रदेश के नोएडा को इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की रिपोर्ट के द्वारा 25वीं रैंक दी गयी है। एक लाख से दस लाख वाली जनसंख्या के वर्ग में नोएडा ने यह स्थान हासिल किया है। नोएडा में साफ़–सफाई के मामले में पहले से बहुत बदलाव आया है। पिछले साल के सर्वेक्षण में नोएडा को 150वीं रैंक मिली थी। देखा जाए तो इस बार नोएडा ने बहुत लम्बी छलांग मारी है। नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ऋतु माहेश्वरी कहती है कि ” मुझे ऐसा लगता है कि हम भविष्य में इससे भी अच्छा करेंगे। हमने नोएडा को सफाई के मामले में सबसे बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाये है। “
हिंदुस्तान टाइम्स की 20 अगस्त की रिपोर्ट कहती है कि पिछले दो सालों में नोएडा के अधिकारीयों द्वारा कूड़ों को निपटाने , घर–घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करने आदि जैसे बहुत से काम अच्छी तरह से किए गए है। इसके साथ ही 60 सामुदायिक शौचालय, 140 सार्वजनिक शौचालय , 10 गुलाबी शौचालय महिलाओ के लिए अधिकारीयों द्वारा बनाए गए है। इसके बनने से लोगो का खुले में शौच करना कम हो गया है। साथ ही 20,000 घरेलू खाद्य किट भी लोगो में बांटे गए है। अलग–अलग जगहों पर कूड़ेदान भी लगाए गए है ताकि लोग कचड़ा यहां–वहां न फेंके।
यूपी के कौन–से शहरों को सबसे गंदा शहर माना गया
यूपी के वाराणसी, मेरठ, जौनपुर और मैनपुरी को गंदे शहरों में से एक शहर घोषित किया गया । इन शहरों में साफ–सफाई को लेकर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रुरत है। अगर जल्द हीं शहरों की सफाई नहीं हुई तो यह शहर भी सबसे ज़्यादा गंदे शहरों में गिने जाने लगेंगे। साथ ही लोगो में कई तरह की बीमारियों के मामले भी सामने आने लगेंगे। स्वस्थ रहने के लिए सफाई और बचाव ज़रूरी है।
किसको मिला है स्वक्छ शहरों और गंदगी में पहला स्थान
19 अगस्त 2020 को आवास और शहरी मामलो के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इंदौर को भारत का सबसे साफ़–सुथरा शहर घोषित किया। लगातार चौथे साल इंदौर सबसे साफ़ शहर घोषित हुआ है। वहीं गुजरात के सूरत को दूसरा और महारष्ट्र के नवीं मुंबई को तीसरा स्थान मिला। अगर देश के सबसे गंदगी वाले शहर की बात की जाए तो बिहार के पटना को देश के सबसे गंदे शहरों में सबसे पहला स्थान मिला।
कुल 129 अवार्ड स्वच्छ महोत्स्व के दौरान देश के कई शहरों को दिए गए है। सर्वेक्षण को 28 दिन में पूरा किया गया जिसमे 4,242 शहरों के 1. 9 करोड़ लोगो का फीडबैक लिया गया। साथ ही इसके लिए 62 कैंप भी लगाए गए।
क्या है सर्वेक्षण का उद्देश्य?
सर्वेक्षण का उद्देश्य कूड़े को सही ढंग से इकट्ठा करना , गंदे पानी के दोबारा से इस्तेमाल व उपचार पर ध्यान देना था ताकि फिर से कूड़े के निपटारे की समस्या पैदा न हो। साथ ही सर्वेक्षण लोगो को स्वच्छ भारत अभियान से जोड़ने की एक कोशिश है। इसका लक्ष्य शहरों में साफ–सफाई को लेकर स्वस्थ प्रतियोगिता कराना भी है। ताकि लोग अपने शहरों में साफ–सफाई बनाए रखें।
इस साल कुछ शहरों की हालत सुधरी है और कई की पहले से भी ज़्यादा खराब हो गयी है। 2016 से स्वछता सर्वेक्षण किया जा रहा है। वहीं 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सफाई की ओर ज़ोर देते आ रहे है। लेकिन अभी भी यह पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता कि देश में साफ–सफाई के मामले में ज़्यादा सुधार आया है। सरकार को यहां और भी ज़्यादा उनके द्वारा बनाए गए योजनाओं की ओर ध्यान देने की ज़रुरत है कि लोग उसका पालन कर रहे है या नहीं। सफाई का काम किसी एक का नहीं बल्कि हर व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। जिसे हम किसी और पर थोप नहीं सकते। हमे इसे मिलकर ही निभाना होगा।