खबर लहरिया Hindi Supreme Court : दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश, लोगों ने जताई नाराजगी

Supreme Court : दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश, लोगों ने जताई नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर जैसे नोएडा, गुड़गांव और गाजियाबाद में सभी आवारा कुत्तों (Stray Dogs) को शेल्टर होम्स में रखने का सख्त आदेश दिया। यह आदेश कल सोमवार 11 अगस्त 2025 को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने दिया। इस आदेश के सामने आते ही कुत्तों को चाहने वालों ने नाराजगी जताई। PETA संस्था ने भी इस पर आपत्ति जताई है।

आवारा कुत्तों की तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

ख़बरों में आए दिन सड़कों पर कुत्तों के हमले और कुत्ते के काटने के बाद रेबीज जैसी बीमारी से मौत की घटनाएं बढ़ती जा रही है। इन घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को सड़क से उठाकर किसी और जगह आश्रय गृह में डालने को कहा। इसके बाद डॉग लवर्स समेत कई लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी।

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की प्रतिक्रिया

आज मंगलवार 12 अगस्त को कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी ने भी सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “दशकों से चली आ रही मानवीय और विज्ञान से पीछे हटने वाला कदम है यानी ये फैसला एक दम विपरीत है। ये डॉग्स कोई “समस्या” नहीं हैं जिन्हें मिटाया जा सके।
आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल सड़कों को बिना किसी क्रूरता के सुरक्षित रख सकते हैं। हम लोगों की सुरक्षा और कुत्तों की सुरक्षा का ध्यान साथ में रख सकते हैं लेकिन इस पर और सोचने की जरूरत है।

दिल्ली के इंडिया गेट पर कल रात 11 अगस्त को कैंडल जलाकर विरोध जताया। वहां पहुंचे हुए लोग में से एक महिला ने कहा कि “सरकार सही से अस्पताल नहीं चला सकती और जो बात नहीं सकते उनके कहने का मतबल डॉग्स, उनके साथ यह अन्याय नहीं करना चाहिए। पहले शेल्टर होम दिखाए, 8 हफ़्तों में शेल्टर होम कैसे बन जायेगा।”

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मेनका गाँधी ने भी कहा कि दिल्ली में एक भी शेल्टर होम नहीं है कुत्तों के लिए। 3 लाख कुत्तों को कहाँ रखेंगे?

Stray Dogs / आवारा कुत्तों पर PETA की प्रतिक्रिया

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक PETA (People for the Ethical Treatment of Animals) जिसे हिंदी ‘जानवरों के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग’ संस्था के नाम से जाना जाता है। उनके वरिष्ठ निदेशक डॉ. मिनी अरविंदन ने एक बयान जारी कर कहा “समुदाय पड़ोस के कुत्तों को परिवार की तरह मानते हैं और कुत्तों को विस्थापित करना और जेल में डालना वैज्ञानिक नहीं है और यह कभी कारगर नहीं रहा है।

2022-23 में किए गए एक जनसंख्या सर्वेक्षण के अनुसार, दिल्ली में लगभग 10 लाख सामुदायिक कुत्ते हैं, जिनमें से आधे से भी कम की नसबंदी की गई है। दिल्ली की सड़कों से लगभग 10 लाख सामुदायिक कुत्तों को जबरन हटाने से उन समुदायों में खलबली मच जाएगी जो उनकी बहुत परवाह करते हैं और कुत्तों के लिए उन्हें दुःख होगा। इससे अंततः कुत्तों की आबादी पर अंकुश लगाने, रेबीज को कम करने या कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी।”

समय पर नसबंदी हो जाती तो सड़कों पर कुत्ते नहीं होते

डॉ. अरविंदन ने कहा कि नसबंदी से कुत्तों के व्यवहार को शांत करने में भी मदद मिलती है। अगर दिल्ली सरकार ने कुत्तों की नसबंदी का एक प्रभावी कार्यक्रम लागू किया होता, तो आज सड़कों पर शायद ही कोई कुत्ता होता।”

सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों को हटाए जाने पर आदेश

  • ललनटॉप की 11 अगस्त 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक अगले 8 हफ्तों में दिल्ली में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) के लिए डॉग शेल्टर यानी कुत्तों का घर बनाए जाएं यानी कुत्तों के रहने के लिए जगह बनाई जाए। जहां कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और देखभाल की जा सके। इसके साथ ही शेल्टर पर सीसीटीवी कैमरे लगाएं ताकि कुत्तों को बिना अनुमति छोड़ा न जा सके।
  • सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अगले 6-8 हफ्तों में 5,000 आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखा जाए। हर इलाके से खासतौर पर संवेदनशील जगहों से कुत्तों को हटाया जाए। अगर कोई रोक-टोक करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
  • नोएडा, गुड़गांव समेत सभी संबंधित इलाकों में हर दिन कितने कुत्ते पकड़े गए और शेल्टर में रखे गए, दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगर निगम को इसका रिकॉर्ड रखना होगा। किसी भी कुत्ते को बिना अनुमति के वापस उस इलाके में न छोड़ा जाए। अगर कोर्ट को इस बात का पता चला कि ऐसा हुआ है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
  • एक हफ्ते के अंदर कुत्ते के काटने और रैबीज की शिकायत के लिए हेल्पलाइन शुरू की जाए। शिकायत मिलने पर 4 घंटे के अंदर कार्रवाई करनी होगी।
  • रैबीज वैक्सीन की उपलब्धता और स्टॉक की जानकारी समय-समय पर अपडेट करनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों के सम्बन्ध में लिए गए फैसले से डॉग लवर्स की भावनाओं को चोट पहुंचेगी। कुत्तों के काटने की घटना और बेवजह हमले की घटना की जिम्मेदार कहीं न कहीं सरकार भी है, क्योंकि यदि सही में सरकार ने पहले से ही कुत्तों की नसबंदी के सख्त आदेश दिए होते और कुत्तों की नसबंदी का काम किया जाता तो सड़कों पर कुत्तों की जनसँख्या इतनी न होती।

कुत्तों को हटाना क्या दे सकता चोरी की घटनाओं को बढ़ावा

कुत्तों को सड़कों और गलियों से हटाने पर चोरी होने का खतरा भी बढ़ सकता है। देखा जाए तो कुत्ते वफदार कहे जाते हैं और दो रोटी के लिए पूरी ईमानदारी से गली की रखवाली करते हैं, दिन हो या रात किसी अनजान व्यक्ति को आता देख वो भौंकना शुरू कर देते हैं। इस डर की वजह से चोर रात में उस गली में जाने से डरते हैं जिन गलियों में कुत्ते रहते हो। जब कुत्ते ही गलियों में नहीं होंगे तो चोर को भी मौका मिल जायेगा उन गलियों में जाने का जहां वे डरते थे जाने से।

 

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