सुप्रीम कोर्ट ने देश में चल रहे बुलडोजर कार्रवाई को लेकर कहा कि सिर्फ आरोप के आधार पर किसी का घर गिरा देना पूरी तरह से असंवैधानिक है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह फैसला कल बुधवार 13 नवंबर 2024 को न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा घर का होना हर किसी का सपना होता है और इस तरह के फैसले पूरे परिवार को सजा देने जैसे हैं।
देश में खासतौर से यूपी में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर आए दिन खबर आती हैं। राजनीति में इसको लेकर काफी वाद-विवाद भी देखा जाता है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के तरफ से बुलडोजर कार्रवाई पर फैसला आया है। इस फैसले ने उन लोगों पर भी रोक लगा दी है जो अपनी सत्ता का डर और वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं।
बुलडोजर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
किसी का घर सिर्फ आरोप के आधार पर नहीं गिराया जाना चाहिए। घर का होना हर व्यक्ति के लिए एक सपना होता है और इसे बनाने के लिए कई संघर्षों से गुजरना पड़ता है। बुलडोजर चलाना पूरे परिवार को सजा देने जैसा है। आरोपों की सजा परिवार को क्यों दी जाए ये पूरी तरह असंवैधानिक है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा,”कार्यपालिका किसी आरोपी के अपराध का पहले से अनुमान नहीं लगा सकती और उसे बेवजह सज़ा नहीं दे सकती, वह भी घर को ध्वस्त करने जैसी सज़ा।”
न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “कानून का शासन और नागरिकों को कार्यपालिका की मनमानी कार्रवाई के खिलाफ अधिकार। कानूनी प्रक्रिया ऐसी कार्रवाई को माफ नहीं कर सकती… कानून का शासन मनमानी कार्रवाई के खिलाफ आदेश देता है। उल्लंघन से अराजकता को बढ़ावा मिल सकता है और संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा के लिए नागरिक अधिकारों की सुरक्षा आवश्यक है।”
बुलडोजर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
कारण बताओ नोटिस
बिना किसी कारण के किसी का घर नहीं तोड़ा जा सकता। इसके लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस देना होगा कि ये क्यों जरुरी है।
बुलडोजर कार्रवाई के लिए 15 दिनों का समय
नोटिस जारी होने की तिथि से 15 दिनों तक का समय देना होगा, इससे पहले कोई भी तोड़फोड़ का कार्य नहीं किया जाएगा।
नोटिस पंजीकृत डाक से भेजें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई के लिए नोटिस मालिक को पंजीकृत डाक से भेजा जाएगा। नोटिस को सम्पति या घर के बाहरी हिस्से पर चिपकाया जाएगा।
अवैध निर्माण क्यों है और इसकी वजह बतानी होगी।
सम्पति को तोड़ने का वीडियो बनाया जाना (वीडियोग्राफी) चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने यह बात स्पष्ट की कि यदि सार्वजनिक भूमि पर अवैध निर्माण हो या न्यायालय द्वारा उसको तोड़ने का आदेश दिया गया है तो उस पर निर्देश लागू नहीं होंगे।
आदेशों का उल्लंघन करने पर मुआवजा
सुप्रीम की बेंच ने कहा, यदि यह किसी अधिकारी ने इस अदालत के आदेशों का उल्लंघन किया है तो नुकसान के भुगतान के अलावा अपने खर्च पर ध्वस्त संपत्ति को बनाने के लिए इसके जिम्मेदार होंगे।
बुलडोजर कार्रवाई हमेशा से सवाल खड़ा करता है क्योंकि न्याय की ये तो कोई परिभाषा नहीं हुई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यवाही में धर्म का दृष्टिकोण भी मुख्य भूमिका निभाता है। माना जाता है कि कथित तौर से यूपी में मुस्लिमों के घर पर बुलडोजर चलाये गए जिनमें मुस्लिम नेताओं के नाम भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अब कितना ध्यान रखा जायेगा ये देखने वाली बात होगी।
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