खबर लहरिया Blog Supreme Court on BLO : एसआईआर (SIR) के कार्य में लगे बीएलओ (BLO) को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

Supreme Court on BLO : एसआईआर (SIR) के कार्य में लगे बीएलओ (BLO) को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

एसआईआर (SIR) के कार्य में लगे बीएलओ (BLO) यानी बूथ लेवल ऑफिसर्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने BLOs को पूरी सुरक्षा देने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी कि BLOs को धमकाने या उनके काम में बाधा डालने के किसी भी मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 9 दिसंबर को एक याचिका के दौरान सुनाया।

फोटो साभार: खबर लहरिया

एसआईआर प्रक्रिया में लगे बीएलओ की सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: खबर लहरिया)

पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों (12 राज्यों/केंद्र शासित) एसआईआर (SIR) प्रकिया का दूसरा चरण चल रहा है। इस बीच पश्चिम बंगाल से एसआईआर के काम के दबाव के चलते करीब 20 बीएलओ की मौत की खबर सामने आई। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई की जिसमें गैर-सरकारी संगठन (NGO) सनातनी संसद की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट वी. गिरी के आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में SIR के दौरान BLOs को धमकाया जा रहा है। इसी पर सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाल्या बागची की पीठ ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल पश्चिम बंगाल के बारे में नहीं है, बल्कि सभी राज्यों के लिए है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

  • प्रभावित कर्मचारी को स्वतंत्रता होगी कि वे राज्य के चुनाव आयोग, जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी से संपर्क करें। 
  • जिला अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि राज्य सरकार आवश्यक अनुपालन करें। 
  • अगर चुनाव आयोग को BLOs की सुरक्षा के संबंध में राज्य के अधिकारियों या पुलिस से असहयोग की कोई शिकायत है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करना चाहिए। 
  •  BLOs को पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए

 कोर्ट ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा, “सहयोग की कमी और बीएलओ के काम में बाधा उत्पन्न करने के मामले हमारे संज्ञान में लाएँ और हम उचित आदेश पारित करेंगे।”

BLOs को पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए

कोर्ट ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा, “सहयोग की कमी और बीएलओ के काम में बाधा उत्पन्न करने के मामले हमारे संज्ञान में लाएँ और हम उचित आदेश पारित करेंगे।”

कोर्ट ने बीएलओ पर दबाव पर चिंता जताई

बीएलओ पर बढ़ते काम के दबाव और धमकियों पर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि स्थिति से निपटें नहीं तो “इससे अराजकता फैल जाएगी”।

लल्लन टॉप की रिपोर्ट के अनुसार सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 4 दिसंबर के अपने आदेश का उल्लेख किया, जिसमें राज्यों को निर्देश दिया गया था कि जो BLOs तनावग्रस्त हैं या स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, उन्हें SIR के काम से हटने की अनुमति दी जाए।

चुनाव आयोग ने कहा कि एक BLO को 37 दिनों में अधिकतम 1,200 वोटर्स की गणना करनी होती है। यानी लगभग 35 वोटर्स प्रतिदिन। आयोग ने सवाल किया, क्या यह बहुत अधिक काम है?

जस्टिस बागची ने कहा, यह डेस्क जॉब नहीं है जहां 35 का कोटा आसानी से पूरा हो जाता है। डेस्क जॉब से मतलब है कि ऐसा काम जो सिर्फ ऑफिस में बैठकर, कागज़-पेन या कंप्यूटर पर काम किया जाता हो। बीएलओ का काम घर घर जाकर फॉर्म भरवाना होता है जो कि आसान नहीं है।

जस्टिस बागची ने आगे कहा एक BLO को घर-घर जाकर फॉर्म भरना होता है और फिर उसे अपलोड करना होता है। इसमें तनाव और शारीरिक थकान हो सकती है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जमीनी स्तर पर SIR बिना किसी रुकावट के हो।

सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर में लगे बीएलओ पर जो निर्देश दिए हैं उनका जमीनी स्तर पर कितना असर होगा यह देखना होगा, क्योंकि इतने कम समय में एसआईआर की प्रकिया खत्म होना मुश्किल लग रहा है। एसआईआर की अंतिम तारीख पहले 4 दिसंबर तक थी लेकिन बीएलओ पर काम के दबाव और आत्महत्याओं की ख़बरों को देखते हुए 11 दिसंबर कर दी गई। सम्भावना जताई जा रही है कि यह तारीख फिर से आगे बढ़ सकती है।

 

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