सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 के अपने एक फैसले का ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने केंद्र और राज्यों को मैनुअल स्कैवेंजिंग का काम खत्म करने और उचित कदम उठाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि यह ‘अमानवीय’ काम अब भी जारी है। इससे अक्सर मज़दूरों की दम घुटने से मौत हो जाती है।
हाथ से मैला उठाने, सीवर व सेप्टिक टैंक में सफ़ाई करवाने का काम जो देश के बड़े शहरों में कराया जाता रहा है, सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही करते हुए बुधवार, 29 जनवरी 2025 को इस प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगाने का आदेश जारी किया है। यह आदेश छह राज्यों में जारी किया गया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने छह बड़े शहरों के राज्य अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 13 फरवरी तक मामले को लेकर हलफ़नामा दाखिल करें। हलफ़नामे में यह बताया जाना चाहिए कि उनके शहर में मैनुअल स्कैवेंजिंग कब और कैसे खत्म हुई।
मैन्युअल सीवर सफ़ाई या मैनुअल स्कैवेंजिंग का मतलब है, हाथ से बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीवर की सफ़ाई व मैला साफ़ करना।
इन छह शहरों में मैनुअल स्कैवेंजिंग पर रोक
यह आदेश जस्टिस सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की विशेष बेंच ने डॉ. बलराम सिंह द्वारा दायर याचिका को लेकर दिया था – बार एंड बेंच की रिपोर्ट ने बताया। बेंच द्वारा दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में मैन्युअल सीवर सफ़ाई (मैनुअल स्कैवेंजिंग) पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग से होने वाली मौत की रिपोर्ट
केंद्र सरकार की तरफ़ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने रिपोर्ट पेश की थी। उन्होंने बताया कि देश के 775 जिलों में से 465 जिलों में मैनुअल स्कैवेंजिंग की कोई घटना रिपोर्ट नहीं की गई है।
हालांकि, 29 जनवरी को केंद्र द्वारा दी गई रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद कोर्ट का कहना था कि उन्हें अभी यह स्पष्ट नहीं है कि शहरों में मैनुअल स्कैवेंजिंग पूरी तरह से खत्म हो पाई है या नहीं। इसमें यह भी सवाल आता है कि क्या केंद्र की रिपोर्ट में छोटे व बड़े दोनों शहरों को शामिल किया गया है?
मैनुअल स्कैवेंजिंग खत्म करने को लेकर बेंच के फैसले
दिसंबर 2024 की एक सुनवाई में बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि नागरिकों के बीच बंधुत्व,समानता और गरिमा दिखाने का तथाकथित दावा तब तक एक भ्रांति रहेगा, जब तक समाज का एक बड़ा हिस्सा अपनी जीविका के लिए सीवर में काम करने और वहां फंसे रहने के लिए मज़बूर है।
साल 2013 में मैनुअल स्कैवेंजर्स के काम पर प्रतिबंध लगाने का क़ानून बनाया गया था और आज भी यह क़ानून बस एक सवाल ही है।
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 के अपने एक फैसले का ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने केंद्र और राज्यों को मैनुअल स्कैवेंजिंग का काम खत्म करने और उचित कदम उठाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि यह ‘अमानवीय’ काम अब भी जारी है। इससे अक्सर मज़दूरों की दम घुटने से मौत हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किस तरह से यह कानून लागू होगा और जो व्यक्ति मैला उठाकर ही अपना रोज़गार करते हैं, उनके लिए अन्य रोज़गार के रूप में क्या साधन उपलब्ध कराये जाएंगे इत्यादि ऐसे कई सवाल हैं जिन पर काम करना और विचार करना ज़रूरी है।
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