खबर लहरिया Blog Supreme Court, CJI BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बी. आर. गवई पर जूता फेंक कर हमला करने की कोशिश 

Supreme Court, CJI BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बी. आर. गवई पर जूता फेंक कर हमला करने की कोशिश 

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले राकेश किशोर ने अपनी हरकत पर कोई पछतावा नहीं जताया। सीजेआई गवई ने भले ही उसे माफ कर दिया है लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनकी सदस्यता सस्पेंड कर दी।

CJI B R Gavai

सीजेआई बी॰आर॰ गवई (फोटो साभार: रचना)

कल यानी 6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में सुबह क़रीब 11:35 बजे चौंकाने वाला घटना हुआ। कोर्ट में 71 वर्षीय एक वकील राकेश किशोर ने अदालती कार्यवाही के दौरान सीजेआई बीआर गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की। चश्मदीद वकीलों के अनुसार सीजेआई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच सुनवाई कर रही थी। तभी वकील राकेश किशोर ने अपना जूता निकाला और जज बी आर गवई के तरफ फेंकने लगा। कोर्ट रूम में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें वक्त रहते पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। बाहर जाते ही राकेश किशोर ने ‘सनातन धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा हिंदुस्तान’ का नारा लगाया। घटना के बाद उनसे तीन घंटे पूछताछ की गई और फिर छोड़ दिया गया। उसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने कार्यवाही कर दी है। आरोपी वकील राकेश किशोर के वकील के नामांकन को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। अब वह किसी कोर्ट में पैरवी नहीं कर सकेंगे। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया गया है। उधर सीजेआई के कहने पर आरोपी वकील को पुलिस ने छोड़ दिया है। उनका जूता और अन्य सामान भी लौटा दिया है। सीजेआई ने इस घटना को नजरंदाज करते हुए कहा था कि हम ऐसे मामलों से विचलित नहीं होंगे।

‘जेल चला जाऊं तो बेहतर होगा’ वकील राकेश किशोर

किशोर को अपनी इस हरकत पर किसी तरह का पछतावा नहीं है। उनका कहना है कि वह जेल जाने के लिए भी तैयार हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक किशोर ने कहा “जेल चला जाऊं तो बेहतर होगा। मेरा परिवार बहुत नाराज है, वे समझ नहीं पा रहे कि मैंने ऐसा क्यों किया”’ उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है। किशोर ने बुलडोज़र केस पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। ANI ने इनका इंटरव्यू लिया जिसमें  अंकिल मुसलमानों पर बुलडोज़र कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं। 

चीफ जस्टिस ने कहा- जस्ट इग्नोर

जूताकांड के बाद सीजेआई बी.आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट अफसरों, सुरक्षा अधिकारियों, दिल्ली पुलिस के अफसरों के साथ भी मीटिंग की। बताया जाता है कि बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि वकील राकेश किशोर पर क्या कार्यवाही हो। सूत्रों के मुताबिक, सीजेआई ने रजिस्ट्री अफसरों से कहा- जस्ट इग्नोर। उनका कहना था कि हम इन घटनाओं से विचलित नहीं होंगे। सीजेआई ने रजिस्ट्री अफसरों से कहा कि हम इन घटनाओं से विचलित नहीं होंगे। अपना काम करते रहेंगे।

क्या है पूरा मामला 

दरअसल यह हमला उस विवाद से संबंधित था जब 16 सितंबर 2025 को चीफ जस्टिस गवई की एक टिप्पणी से शुरू हुआ था। खजुराहो के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची टूटी मूर्ति को बहाल करने की याचिका को खारिज करते समय चीफ जस्टिस गवई ने कहा था “जाओ और भगवान से खुद कुछ करने को कहो। तुम कहते हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो तो जाओ और प्रार्थना करो।” इस याचिका को ‘पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन’ यानी ‘विशुद्ध रूप से प्रचार के लिए दायर याचिका’ कहते हुए उन्होंने जोड़ा था कि यह एक पुरातत्व स्थल है और इसके लिए एएसआई से अनुमति की आवश्यकता है। उन्होंने यहां तक सुझाव दिया था कि यदि याचिकाकर्ता शैव धर्म से परहेज नहीं करता तो वह शिव मंदिर में जाकर पूजा कर सकता है। 

 

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इसके बाद चीफ जस्टिस की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। इसकी प्रतिक्रिया में #ImpeachCJI का हैशटैग ट्रेंड करने लगा और हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया। दो दिन बाद चीफ जस्टिस गवई को अपनी सफाई देनी पड़ी और उन्होंने कहा “मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ।”

सीजेआई पर जूते से हमले पर टिप्पणी 

दक्षिणपंथी यूट्यूब क्रिएटर अजीत भारती ने इस घटना पर अपने एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि “आज सीजेआई गवई को एक वकील का जूता लगते-लगते रह गया। अधिवक्ता ने गवई के डायस के पास जा कर जूते उतारे और मारने ही वाला था कि सुरक्षाकर्मी ने पकड़ लिया। जाते-जाते वकील ने कहा कि सनातन का अपमान नहीं सहा जाएगा।”

इससे पहले 18 सितंबर के अपने पोस्ट में भारती ने सीजेआई को ‘हिन्दूघृणा से सना घटिया जज’ लिखा था। पोस्ट में कहा ‘ध्यान रहे गवई, हिरणकश्यप ने भी अहंकार वश प्रहलाद से कहा था कि क्या इस खंभे में विष्णु है उसे तो वरदान था फिर भी नरसिंह भगवान ने जांघ पर रखकर नाखून से फाड़ दिया था। तू तो केवल एक अंबेडकरवादी मानव है।”

सीजेआई कोर्ट में हुई घटना पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की प्रतिक्रिया 

NDTV के रिपोर्टिंग अनुसार सीजेआई कोर्ट में हुई घटना पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश की अदालत में आज हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। यह सोशल मीडिया में फैलाई जा रही गलत सूचनाओं का नतीजा है। लेकिन यह वाकई खुशी की बात है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने देश के सर्वोच्च न्यायालय की उदारता और गरिमा के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की है। तुषार मेहता ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि इस उदारता को दूसरे लोग संस्था की कमज़ोरी न समझें। मैंने खुद मुख्य न्यायाधीश को सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों पर पूरी श्रद्धा से जाते देखा है। मुख्य न्यायाधीश ने भी इस स्थिति को स्पष्ट किया है। यह समझ से परे है कि एक बदमाश को ऐसा करने के लिए किसने उकसाया? ऐसा लगता है कि यह ध्यान आकर्षित करने और सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए की गई हरकत है।

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने क्या कहा? 

एबीवीपी के खबर अनुसार तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कहा कि यह जूता मुख्य न्यायाधीश पर नहीं बल्कि हमारे संविधान और उसके रचयिता बाबा साहेब अंबेडकर पर फेंका गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले लोग अब खुलेआम देश की संस्थाओं पर प्रहार कर रहे हैं। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान और दलित विरोधी मानसिकता रखने वाले भाजपाई इस घटना पर चुप क्यों हैं। क्या उन्हें यह सब ठीक लग रहा है। न्यायपालिका की गरिमा हमारे लोकतंत्र की रीढ़ है और इसे बचाना हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने इस घटना को संविधान और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा के प्रति असहिष्णुता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश दलित समुदाय से आते हैं और संविधान की भावना का पालन करते हैं। अगर ऐसे व्यक्ति भी संवैधानिक पदों पर सुरक्षित नहीं हैं तो यह सवाल सिर्फ न्यायपालिका नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है। 

इस घटना पर प्रधानमंत्री ने भी अपना बयान दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ जस्टिस से बात की और इस हमले की निंदा की। उन्होंने कहा “आज सुबह सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय नाराज है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। यह अत्यंत निंदनीय है।” आगे कहा “ऐसी स्थिति में चीफ जस्टिस बी आर गवई ने जो धैर्य दिखाया है उसकी मैं सराहना करता हूं। यह न्याय के मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और हमारे संविधान की भावना को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

 

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