अंतरिक्ष में रहने की वजह से अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के शरीर का वजन बहुत कम हो गया है, मांसपेशियों की घनता कम (मांसपेशियों का आकार और ताकत कम हो जाना) हो गई है। इसकी वजह से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी का जीवन फिर से अपनाने और शरीर को पृथ्वी के मौसम के अनुसार बनाने के लिए 45 दिनों के पुनर्वास प्रक्रिया से गुज़रना होगा।
नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (भारतीय) और बुच विल्मोर (अमेरिकन) अपने क्रू 9 ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की मदद से सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आए हैं। उनका स्पेसक्राफ्ट फ्लोरिडा (अमेरिका के तट पर उतरा। दोनों ही अंतरिक्ष यात्री जो आठ दिन के लिए अंतरिक्ष में गए थे, उन्हें वहां 9 महीने का लंबा समय बिताना पड़ा।
अंतरिक्ष में रहने की वजह से उनके शरीर का वजन बहुत कम हो गया है, मांसपेशियों की घनता कम (मांसपेशियों का आकार और ताकत कम हो जाना) हो गई है। इसकी वजह से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी का जीवन फिर से अपनाने और शरीर को पृथ्वी के मौसम के अनुसार बनाने के लिए 45 दिनों के पुनर्वास प्रक्रिया से गुज़रना होगा।
पुनर्वास के समय के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य की निगरानी की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें देखने संबंधी, मासंपेशियों में कमजोरी, संतुलन में दिक्कत या हड्डियों में घनता की कमी जैसी कोई समस्या न हो।
बता दें, पुनर्वास में किसी व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से फिर से स्वस्थ और सामान्य स्थिति में लाने के लिए इलाज, अभ्यास और देखभाल की जाती है।
सुनीता विलियम्स व बुच विल्मोर को अंतरिक्ष से कैसे बचाया गया?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से बचाने के लिए नासा ने जल्दी करने की बजाय उन्हें स्पेस X के क्रू-9 (Crew-9) मिशन में शामिल करने का फैसला लिया। दोनों ही अंतरिक्ष यात्री आईएसएस में नौ महीने तक फंसे हुए थे। इस मिशन में पहले उनके साथ चार अंतरिक्ष यात्री थे लेकिन आखिर में सिर्फ वे दोनों ही बचे।
स्पेस X क्रू ड्रैगन कैप्सूल सितंबर 2024 से अंतरिक्ष स्टेशन पर लगा हुआ था। इस कैप्सूल के ज़रिए नासा के अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर व्लादिमीरोविच गोरबुनोव को आईएसएस पर भेजा गया था और दो सीटें खाली थी। यह सीटें विलियम्स और विल्मोर की वापसी के लिए रखी गई थीं।
चारों अंतरिक्ष यात्री एक साथ कैप्सूल में वापस नहीं आ सकते थे, जब तक अन्य चार अंतरिक्ष यात्री उनके स्थान न पर न आ जाए।
जब क्रू-10 (Crew-10) आईएसएस पहुंचा तो क्रू-9 ने अपने साथियों को अलविदा कहते हुए पृथ्वी की तरफ रुख किया। क्रू-10 में नासा के अंतरिक्ष यात्री ऐनी सी. मैकक्लेन और निकोल एयर्स, जापानी अंतरिक्ष यात्री ताकुया ओनिशी और रूसी अंतरिक्ष यात्री किरिल पेस्कोव शामिल हैं। यह टीम शुक्रवार को फ्लोरिडा, अमेरिका के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुई थी।
बता दें, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) एक बड़ा यान है जो पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। इसे कई देशों के अंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर बनाया है। यह यान पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर ऊपर उड़ता है। यहां वैज्ञानिक शोध, अंतरिक्ष यात्रा, और पृथ्वी के बारे में अध्ययन करने के लिए काम किया जाता है।
सुनीता विलियम्स व बुच विल्मोर अंतरिक्ष में कैसे फंसे?
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर, जून 2024 में बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान पर सवार होकर पहले क्रू मिशन का परीक्षण कर रहे थे। अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उन्होंने एक सप्ताह से थोड़ा ज़्यादा का समय बिताया। लेकिन बोइंग स्टारलाइनर में प्रणोदन की समस्या आने की वजह से नासा ने इसे पृथ्वी पर आने के लिए असुरक्षित बताया। इसके बाद से ही दोनों अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर फंसे हुए थे और पृथ्वी पर वापस जाने के लिए नए शटल का इंतज़ार कर रहे थे।
बता दें, बोइंग स्टारलाइनर में प्रणोदन की समस्या आने का मतलब है कि बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में इंजन या propulsion प्रणाली में कुछ गड़बड़ी का होना, जिससे यान को सही ढंग से संचालित करने में समस्या आई। प्रणोदन प्रणाली का काम अंतरिक्ष यान को गति देना और दिशा बदलना होता है। जब इसमें कोई समस्या आती है, तो यान की यात्रा और उसकी सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
सुनीता विलियम्स ने 9 महीने अंतरिक्ष में क्या किया?
नासा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सुनीता विलियम्स ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहते हुए उसकी सफाई और देखभाल से लेकर पुराने उपकरणों को बदलने जैसे कई महत्वपूर्ण काम किये।
– शोध परियोजना व महत्वपूर्ण प्रयोगों में भागीदारी
उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कई वैज्ञानिक प्रयोग भी किए और वर्तमान में चल रहे अनुसन्धान में भी अपना योगदान दिया। जिसमें यह अध्ययन शामिल था कि माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) अंतरिक्ष में तरल प्रणालियों को कैसे प्रभावित करती है। उन्होंने पानी के पुनः प्राप्ति और ईंधन सेल्स के लिए नए रिएक्टर बनाने पर भी काम किया। नासा ने कहा, यह तकनीक भविष्य में लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए बहुत ज़रूरी हो सकते हैं।
बता दें, ईंधन सेल्स एक प्रकार की तकनीक है जो रासायनिक ऊर्जा को सीधे बिजली में बदलने का काम करती है। इसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस को मिलाकर बिजली बनाई जाती है, और इसका इस्तेमाल बिना जलने वाली, साफ़ ऊर्जा देने के लिए किया जाता है।
उन्होंने अपनी भागीदारी बायोनुट्रिएंट्स परियोजना (BioNutrients) में भी दी। इस अनुसंधान के जरिए ये देखा जाता है कि कैसे लाभकारी बैक्टीरिया का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ताजे पोषक तत्व बनाए जा सकते हैं। बताया गया कि यह कदम अंतरिक्ष यात्रियों के लिए लंबे समय तक पृथ्वी से दूर रहते हुए ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स प्राप्त करने के तरीके को बदल सकता है।
नासा के अनुसार, सुनीता और उनकी टीम ने कुल 900 घंटे का वैज्ञानिक अनुसंधान किया। इसके साथ ही पूरे मिशन के दौरान उन्होंने 150 से ज़्यादा प्रयोग किए। इसके साथ ही सुनीता विलियम्सन ने एक नया रिकॉर्ड भी बनाया है। वह अंतरिक्ष में सबसे ज़्यादा समय बिताने वाले महिला भी बन गई हैं।
स्पेसवॉक
इसके अलावा उनकी एक और सबसे बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने 62 घंटे और 9 मिनट तक स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में बाहर निकलने का समय), जो उन्होंने 9 बार स्टेशन से बाहर निकलकर किया।
सुनीता विलियम्स व बुच विल्मोर ने अंतरिक्ष में क्या खाया?
द न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, आईएसएस (ISS) पर दोनों अंतरिक्ष यात्रियों के पास पिज़्ज़ा, रोस्ट, चिकन और श्रिम्प कॉकटेल जैसे भोजन उपलब्ध थे। हालांकि, उनके पास ताजे फल और सब्ज़ियां बहुत कम थीं। एक विशेषज्ञ का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि विलियम्स और विल्मोर को नाश्ते के लिए पाउडर मिल्क के साथ सीरियल, ट्यूना इत्यादि विभिन्न तरह के भोजन मिलते थे।
बता दें, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जो खाना उपलब्ध होता है वह आमतौर पर उनके दैनिक पोषण की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए खासतौर पर तैयार किया जाता है। यह खाना आमतौर पर सूखा या पैक किया हुआ होता है। इसे अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद फूड वार्मर से गरम किया जा सकता है।
नासा की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएसएस पर हर अंतरिक्ष यात्री के लिए रोज़ लगभग 3.8 पाउंड खाना स्टॉक (सुरक्षित) किया जाता है। साथ ही अगर अंतरिक्ष यात्रियों को मिशन की वजह से ज़्यादा दिन भी रुकना पड़े तो उसके लिए अतिरिक्त भोजन भी रखा जाता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अंतरिक्ष यात्रियों को जो खाना मिलता है, खासकर मांस और अंडे, उन्हें पृथ्वी पर पका कर भेजा जाता है। उन्हें अंतरिक्ष में बस उसे गरम करने की ज़रूरत होती है। वहीं सुखाए गए सूप, कैसरोल में पानी की ज़रूरत को आईएसएस पर मौजूद 530 गैलन के ताजे पानी के टैंक के साथ पूरी की जाती है।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’