खबर लहरिया Blog जलमग्न हुआ बिहार, हवाईयात्रा से सरकार देखे डूबा हुआ संसार

जलमग्न हुआ बिहार, हवाईयात्रा से सरकार देखे डूबा हुआ संसार

पिछले माह अगस्त 2020 में भी बिहार के कई इलाके बाढ़ से ग्रसित हुए थे। जिसके कुछ वक्त बाद स्थिति सामान्य हो गयी थी। लेकिन लोगों के लिए राहत सिर्फ कुछ ही पल की थी। रविवार 27 सितंबर 2020 की सुबह से बिहार के पूर्णिया जिले में स्थिति अब फिरसे बाढ़ जैसी हो गयी है। लगातार बारिश होने के कारण कोसी नदी का जलस्तर काफ़ी बड़ गया है। जलस्तर के बढ़ने और खतरे के निशान के ऊपर बहने से कोसी नदी पर बना रिंग बांध भी टूट गया है। 

नहीं हुई टूटे बांध की मरम्मत

कसबा गांव के बगल से बहने वाली कोसी नदी ने अब लोगों के लिए मुश्किलें बड़ा दी हैं। नदी का पानी टोल, नेमा टोल, मधारघाट सहित आधे से ज़्यादा इलाकों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। नगर पंचायत के मुख्य पार्षद अवदेश यादव का कहना है कि रिंग बांध टूटने की सूचना नगर पंचायत की कार्यपालिका पदाधिकारी मनीषा कुमारी और कसबा गांव के अधिकारी दिवाकर कुमार को दे दी गयी है। हालांकि बांध की मरम्मत अभी तक पूरी तरह से नहीं की गयी है। 

अधिकारियों को जनता का हाल पूछने का होश नहीं

स्थानीय लोगों ने बताया कि घरों में बाढ़ का पानी घुसने से घर मे रखा अनाज, चूल्हा और कपड़े सब भीग गए हैं। अभी तक कोई भी जनप्रतिनिधि या सरकारी अधिकारी उनसे उनका हाल पूछने नहीं आए हैं। मानों उन्हें जनता की कोई फ़िक्र ही नहीं। 

मुज़फ्फरफुर के कई इलाकें आये बाढ़ की चपेट में

पूर्णिया ही नहीं मुज़फ्फरपुर भी बाढ़ की चपेट में चुका है। चंपारण मेंमाधपुर गांव के पास की त्रिवेणी नहर के दोनों तटबंध बाढ़ की वजह से टूट गए हैं। जिसकी वजह से मघिया और गौचरी गांव के 50 घरों में पानी भर गया है। साथ ही गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने से तकरीबन 200 लोग अपनी जगह छोड़कर चंपारण तटबंध पर रहने के लिए चले गए हैं।

बगहा में गंडक और मसान सहित अन्य पहाड़ों से बहने वाली नदियों के चलते करीब 12 हज़ार लोग प्रभावित हुए हैं। साथ ही इसमें धान गन्ने की फसल भी खराब हो गयी हैं। 

मधुबनी, सीतामढ़ी,सोनबरसा, सुरसंड, चोरौत, परिहार और समस्तीपुर, कोई भी बाढ़ से बच नहीं पाया है।  समस्तीपुर में करेह और मुज़्ज़फरपुर में बागमती और गंडक नदी अभी भी ख़तरे के निशान के ऊपर से बह रही है।

इन सालों में चुकी है पहले भी बाढ़

सालप्रभावित लोगों की संख्याजिलेंमरने वाले लोगों की संख्या
202083.62 लाख लोग 16 27
201623 लाख लोग 12लगभग 250
201350 लाख लोग20लगभग 200
201171.3 लाख लोग25लगभग 249
200818 लाख लोग18लगभग 258
20072.4 करोड़ लोग22लगभग 1,287
20042 करोड़ लोग20 लगभग 885
2002511 करोड़ लोग25लगभग 489
200083 करोड़ लोग33 लगभग 336
1987 24,518 गांव प्रभावित30 लगभग 1,399

 

(आंकड़े बिहार आपदा प्रबंधन विभाग की वेबसाइट से लिये गए हैं )  

मुख्यमंत्री मदद से ज़्यादा हवाईयात्रा करते दिखाई दिये

हर साल बिहार में बाढ़ का आना कोई नई बात नहीं है। लाखों लोग हर साल बाढ़ से अपने जीवन की लड़ाई लड़ते हैं। बाढ़ अपने साथ लोगों के घर, परिवार, ज़मीन और जीवन सब छीन कर अपने साथ ले जाती है। लेकिन फिर भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सिर्फ लोगों को सांत्वना देते ही देखा गया। मदद के नाम पर सिर्फ बातें। अभी तक बाढ़ से प्रभावित लोगों को कोई सहायता नहीं पहुंचाई गयी है।  मुख्यमंत्री सिर्फ हवाई यात्रा से बाढ़ से ग्रसित लोगों का जायज़ा दिखाई देते नजर आए। ज़मीन पर रहने वाले लोगों की परेशानी आसमान से देखने पर तो छोटी ही नज़र आती है। शायद इसलिए मुख्यमंत्री जनता की परेशानी को छोटा समझकर उसे नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। 

चुनाव के वक़्त नज़र आती है जनता की परेशानियां

अक्टूबर और नवंबर में होने वाले 2020 के बिहार चुनाव बस नज़दीक ही है। ऐसे में वोटों के लिए नेताओं द्वारा जनता से फिर से वही मीठी बातें की जाएगी, जैसे कि एक महीने पहले अगस्त में आयी बाढ़ के वक़्त कही गयी थी। उस वक़्त भी नेता बस अपने-अपने चेहरे दिखाकर चले गए थे, इस वक़्त भी मंज़र कुछ वैसा ही है। बाढ़ से प्रभावित लोंगो को न तो राहत कोश मिला , न कोई सरकारी योजना के तहत किसी प्रकार की मदद। जिससे की वह अपना जीवन फिर से शुरू कर सकें।

क्या सरकार के लिए जनता सिर्फ एक वोट बैंक बनकर रह गयी है? जिनकी याद सिर्फ चुनाव के वक़्त ही आती है। लाख़ों, करोड़ों लोग हर साल बाढ़ से प्रभावित होते है। यह जानते हुए भी की समस्या पुरानी है, सरकार ने इस पर कोई काम नहीं किया है। ऐसे में सरकार द्वारा कही गयी बातें, वादें सब झूठे और बेबुनियाद है। वो सरकार जो जनता की परेशानियों को जानते हुए भी कुछ नहीं करती, उस सरकर से जनता क्या ही उम्मीद करे। फिर भी लाचार जनता यह आस लगाए रखती है कि शायद अब सरकार की आंखे खुले और वो लोगों की मदद के लिए आए।