खबर लहरिया Blog कोवैक्सिन की तुलना में कोविशील्ड अधिक प्रभावी- अध्ययन

कोवैक्सिन की तुलना में कोविशील्ड अधिक प्रभावी- अध्ययन

MedrXiv नामक एक ऑनलाइन औषधीय पोर्टल के द्वारा निकाली गई एक रिपोर्ट के अनुसार कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक कोवैक्सिन की खुराक की तुलना में अधिक एंटीबॉडी का उत्पादन करती है।

2021 की शुरुआत में जब सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी तब से ही देश के वैज्ञानिकों से लेकर डॉक्टर तक इस शोध में लगे हुए थे कि आखिर कोविड-19 से बचाव के लिए बनाई गयीं दोनों ही वैक्सीन यानी कोविशील्ड और कोवैक्सीन में से कौन सा टीका ज़्यादा बेहतर है। कुछ रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि कोवैक्सीन को लगाने से व्यक्ति कोरोना वायरस से ज़्यादा अच्छे से लड़ सकता है तो कुछ ने कोविशील्ड को बेहतर बताया। 6 जून को MedrXiv नामक एक ऑनलाइन औषधीय पोर्टल के द्वारा निकाली गई एक रिपोर्ट के अनुसार कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक कोवैक्सिन की खुराक की तुलना में अधिक एंटीबॉडी का उत्पादन करती है।

शोध में भाग लेने वाले 6 प्रतिशत लोग वैक्सीन लगने के बावजूद आए संक्रमण की चपेट में-

बता दें कि इस शोध में 22 शहरों के 515 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया था, जब सभी डॉक्टरों को टीके की दोनों खुराकें लग गयीं तब शोधकर्ताओं ने यह अनुसंधान किया कि किसके शरीर में कौन सी वैक्सीन ज़्यादा बेहतर साबित हुई है।

इस शोध में 515 स्वास्थ्य कर्मियों में से 305 पुरुष और 210 महिलाएं शामिल थीं। जिसमें से 95 प्रतिशत लोगों ने परीक्षण में सकारात्मक परिणाम दिया और वायरस के खिलाफ एन्टीबॉडी बनाने में सफल रहे। और मात्र 6 प्रतिशत लोग वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लेकिन सभी जल्द ही ठीक भी हो गए। रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि वैसे तो दोनों टीके सुरक्षात्मक हैं लेकिन टीकों की सिर्फ एक खुराक लगने पर दोनों की सुरक्षा देने की क्षमता में अंतर दिखा। कोविशील्ड की एक खुराक कोवैक्सीन की एक खुराक से बेहतर बताई जा रही है।

कोविशील्ड की एक खुराक कोवैक्सीन की एक खुराक से 10 गुना बेहतर-

शोधकर्ताओं की मानें तो देश में जहाँ इस समय वैक्सीन की कमी के कारण लाखों लोगों को वैक्सीन लगने में देरी हो रही है, ऐसे में दोनों खुराकों के बजाय अगर कोविशील्ड का एक भी खुराक लग जाता है तो लोग कोरोना संक्रमण के खतरे से अपने आप को बचा सकते हैं। शरीर में कोविशील्ड की एक खुराक कोवैक्सीन की एक खुराक से 10 गुना ज़्यादा एन्टीबॉडी बनाने में मदद करती है। हाल ही हमने यह भी देखा कि कोविशील्ड वैक्सीन जहाँ पहले 6 हफ़्तों के अंतराल पर दी जानी थी वहीँ अब उसका समय बढ़ाकर 12 सप्ताह का अंतराल कर दिया गया है।

शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि दोनों ही वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति पैदा करने में सफल हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि एक वैक्सीन दूसरी वैक्सीन से कुछ बेहतर है, ऐसे में लोगों को बिना समय गवाएं जो भी वैक्सीन की उपलब्धता दिखे, वो ले लेनी चाहिए और दूसरी खुराक भी निर्धारित दिनांक पर ही लेनी चाहिए।

दिसम्बर तक टीकाकरण दर बढ़ने की उम्मीद-

भारत में अब तक 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में से 43 प्रतिशत लोगों को कोरोना के टीके की पहली खुराक मिल चुकी है। इसके साथ ही 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में से 37 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है। सरकार इस साल दिसंबर तक सभी 95 करोड़ वयस्कों तक पहुंचने की उम्मीद कर रही है और जून के महीने से टीकाकरण केंद्रों को भारी मात्रा में वैक्सीन मिलने की उम्मीद भी है।

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