खबर लहरिया जासूस या जर्नलिस्ट क्या अन्ना जानवर ने ली प्रयागदास की जान? देखिए जासूस या जर्नलिस्ट, एपिसोड 16

क्या अन्ना जानवर ने ली प्रयागदास की जान? देखिए जासूस या जर्नलिस्ट, एपिसोड 16

आपने पुरानी रंजिश के चलते लड़ाइयां तो बहुत सुने होंगे और उसमें लोगों की मौत भी हुई होंगे पर यह मामला पुरानी रंजिश के साथ-साथ अपराधिक को हत्या करना शौक भी बन गया है, एक ही ब्यक्ति ने एक ही गाँव के 3 लोगो की हत्या की है, जिसके डर से लोगो ने गांव छोड़ दिया है, आखिर कौन है ऐसा अपराधी तो देखने के लिए बने रहिए मेरे साथ जासूस जर्नलिस्ट पर

 26 अगस्त की शाम को प्रयागदास और हरगोविन्द के बीच में अन्ना जानवरों को भगाने के लेकर विवाद छिड़ गया। दोनों के बीच में जमकर लाठी डंडा और कुल्हाड़ी बरसी। जिसके चलते प्रयागदास की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए, जिसमे से एक व्यक्ति की हालत बुरी तरह गंभीर है जिसका इलाज झांसी में चल रहा है। हरगोविन्द परिवार से भी कई लोग चोटिल हुए थे, पुलिस ने दोनों पक्षों का मुकदमा लिख हरगोविन्द के परिवार से 5 लोगों को जेल भेज दिया है। 3 लोग अभी भी फरार है।  आपको बता दें कि यह मामला अन्ना जानवरों को लेकर नहीं बल्कि पुरानी रंजिस के चलते हुआ था।
अब बताते है कि यह लड़ाई कैसे बढ़ी।
मृतक प्रयागदास की बहु ऊषा के अनुसार धर्मपाल और सूरज के बीच एक साल पहले शराब के नशे में विवाद हो गया था। उसके बाद  यह लड़ाई पुरानी रंजिस में कब बदल गई पता ही नही चला। दोनों परिवार आपस मे बातचीत तो करते थे, पर दोनों के अंदर बदले की भावना भरी थी। 26 अगस्त को दरवाजे पर अन्ना जानवर बैठे हुए थे, हमे अपने जानवरो को खाना डालने जाना था तो हमने अपने दरवाजे से अन्ना जानवर भगाए, इसी बात को लेकर विवाद हो गया, हरगोविन्द, उसका लड़का सूरज, हिमांशु, लल्लू भन्नु और उसकी पत्नी, बहु और लड़की लाठी डंडे, कुल्हाड़ी और पत्थर लेकर आये, और मारपीट करने लगे, जिसमे ससुर प्रयागदास की मौत हो गई। धर्मदास बुरी तरह से घायल है, झाँसी में इलाज चल रहा है।
इतना ही नही, इस स्टोरी में अचंभा तो तब हुआ जब हम रिपोर्टिंग के लिए गाँव गए, गाँव मे कोई भी सूरज और हरगोविंद के घर के बारे में नही बता रहा था।आपको अगर सूरज और हरगोविंद के बारे में जानकारी चाहिए, तो आप पुलिस बनकर भी जानकारी हासिल नही सकते। क्यों कि इस गाँव मे इतना हरगोविन्द और उसके लड़को का खौफ है, और भी कैसे न।  हरगोविंद ने इसी गांव में 30 साल के अंदर 3 हत्याएं की है, जिसके चलते इस घटना से पूरे गाँव मे दहसत है। रात को पुलिस पहरा देने के लिए जाती है।
अब आपके मन भी सवाल खड़े हो रहे होंगे कि ये प्रयागदास और हरगोविन्द कौन है, और लड़ाई क्या है, क्या एक ही दिन 3 हत्या हुई है या अलग अलग, कही ये पारिवारिक लोग तो नही, तो हम आपको बताते है प्रयागदास राजपूत है, और हरगोविन्द यादव है, प्रयागदास का लड़का धर्मपाल है और हरगोविन्द का लड़का सूरज है। दोनों परिवार एक ही गाँव के रहने वाले है, हरगोविंद पुराना क्रमिनल है, लड़का भी शराब पीकर गाँव मे लड़ाई झगड़े गाली गलौच और महिलाओं को बुरी नजर से देखता था, जिससे गाँव मे इनके प्रति दहसत है, कोई भी इनके बारे में कुछ भी बताने से इनकार करेगा। जब हम पूरे गाँव मे अलग अलग लोगो से बात किये तो गोपनीय तारीके से पता चला कि हरगोविन्द ने करीब 30 साल पहले मूलचंद्र नामक ब्यक्ति को मारकर फेंक दिया था, जिसका मुकदमा mp में चला, जेल से वापस आने के बाद एक दलित की हत्या कर दी, वह दबंग और उच्च जाति का होने पर कोई केस नही कर पाए, जब हम इन दो पीड़ित परिवारों से मिले तो उन्होंने कोई भी बात करने से मना कर दिया। मुझे बहुत दर्द हुआ कि आखिर क्यों नही लोग बताना चाहते हैं, क्यों सच्चाई बताने से पीछे हट रहे है, तब जाकर पता चला कि अगर उनके खिलाफ किसी ने कुछ बोला तो वापस आकर वो फिर उनके साथ वही करेंगे जो अभी तक किया है, महोबा जिला में हरगोविन्द के खिलाफ 2001 से लेकर 2019 तक 7 अलग अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज है, एक मध्य प्रदेश में हत्या का मुकदमा दर्ज है, हरगोविन्द के अगल बगल वालो ने इसी डर की वजह से अपना घर छोड़कर बाहर रहने लगे है। हमारी उत्तरप्रदेश सरकार अपराधियो को जेल की सलाखों के पीछे भेजने की बात कर रही है, और महोबा जिले के अपराधियों में कोई पुलिस का खौफ नही है, उत्तर प्रदेश पुलिस पर कानून व्यवस्था पर अब सवालिया निशान लगने लगे है। अपराधियो में पुलिस का खौफ नही रहा, यही वजह से की एक के बाद एक हत्या जैसी घटना पढ़ने को मिल रही है। महोबा पुलिस पर एक और बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि ऐसे क्रमिनल अपराधियो को पुलिस क्यों नहीं चिन्हित करती, क्यों हिदायत नही दी, शायद पुलिस चेतावनी देती तो यह घटना न घटती,
तो दोस्तो ये थी आज की हमारी जासूसी भरी स्टोरी ऐसे ही हमारी स्टोरी देखने के लिए हमारे चैनल को शेयर सब्सक्राइब करिये, और लाइक करना मत भूलिए, नमस्कार