उत्तर प्रदेश में बाँदा जिले के शंकर पुरवा गांव में हर साल बाढ़ आती है। शंकर पुरवा गांव में दो डेरा है। दोनों डेरे को मिलाकर लगभग 200-250 घर हैं। जब भी बाढ़ आती है लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है। बाढ़ आने पर यहां खेतों में, घरों में पानी भर जाता है। बाढ़ के दौरान, ग्रामीणों को मजबूरन ऊँचे डाड़ी नामक टीले पर शरण लेनी पड़ती है, जहां वे सुरक्षित महसूस करते हैं। इस संकट की घड़ी में स्थानीय लोग प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि उन्हें पैलानी क्षेत्र में सुरक्षित जमीन दी जाए, ताकि वे स्थायी रूप से वहां बस सकें।
फोटो व लेखन – सुचित्रा
जब भी शंकर पुरवा में बाढ़ आती है तो खबर लहरिया इस गांव की बाढ़ की स्थिति को प्रशासन तक पहुंचाने का प्रयास करती है।
शंकर पुरवा गांव में जब बाढ़ आती है तब सरकार मदद के लिए राहत सामग्री पहुँचाती है लेकिन बाद में स्थिति सुधारने के बारे में नहीं सोचती जिसकी वजह से आज भी गांव के लोगों को हर साल बाढ़ से गुजरना पड़ता है। तो चलिए हम आपको तस्वीरों के माध्यम से उस गांव तक ले चलते हैं और आपको वजह बताते है की आखिर इतने सालों तक शंकर पुरवा गांव की हालत क्यों नहीं सुधरी।
बाँदा बस स्टैंड से पैलानी तक जाने में 2 घंटे तक का समय लगता है। फिर पैलानी डेरा उतर कर आपको पैदल कम से कम 3 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद शंकर पुरवा गांव दिखाई देगा। पर वहां तक पहुंचने के लिए आपको तपती धूप में अपना शरीर जलाना पड़ेगा। यदि बाढ़ का समय है तो उस गांव तक पहुंचना बेहद मुश्किल है क्योंकि ये मिट्टी और अगल बगल दिख रहे खेत सब पानी पानी हो जाता है। गांव के लोग भी बाहर निकलकर आने में असमर्थ होते हैं। ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं। यह सितम्बर के महीने में आई बाढ़ के पानी सूख जाने के बाद की है।
शंकर पुरवा गांव में चंद्रावल, केन, यमुना, नदियां है जोकि पैलानी से मिलती है। बाढ़ आने पर ये सुन्दर दिखने वाली नदी विकराल रूप ले लेती है और लोगों के घर, मवेशी, आनाज, फसलें सब बहा कर ले जाती हैं।
शंकर पुरवा के रामावतार कहते हैं कि “बाढ़ से इस बार तिल, उड़द, ज्वार और मूंग की फसल ख़राब हो गईं। हमारे यहां हर साल बाढ़ आती है। बाढ़ आती है तो हमारे यहां खेतों में नाव चलने लगती है। यहां बहुत से गांव हैं जो बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं जैसे तगड़ा डेरा, पडविन डेरा, भाथा, सिंधनकलां, नांदादेव, बरेठी है सब नदी के किनारे है सब डूब जाते हैं।”
बाढ़ का पानी इतनी तेजी से आता है कि नदियों के आसपास रास्ता चीरता हुआ गांव में घुस आता है। बाढ़ के पानी से मिट्टी का कटाव भी हो जाता है।
कलावती का कहना है कि, बाढ़ के पानी से खेतों का इतना कटाव हो गया है कि धीरे धीरे घर तक पहुंच जायेगा। सारे खेत सब बह जायेंगे। बाढ़ आने पर नदी में बिजली का एक खंभा भी गिरा हुआ है। हमें भी कहीं और अच्छी जगह घर मिल जाता तो हम ऐसी जगह क्यों रहते?
इस साल सितम्बर में बाढ़ आई लेकिन पिछली बार जितनी भयावह नहीं थी लेकिन इस बार भी खेत में पानी भर गया और एक दो घर भी गिर गए। बाढ़ के समय लोगों की परेशानी कैसे बढ़ जाती है आप खबर लहरिया की इस साल की रिपोर्ट में देख सकते हैं। लोग रात भर जागते हैं, डरते रहते हैं, तैयारियों में लगे रहते हैं पलायन के लिए। लोगों की सालों से इस समस्या का हल सरकार नहीं निकाल पा रही है।
पिछले सालों में शंकर पुरवा गांव की स्थिति
ऐसे तो शंकर पुरवा गांव में हर 3 साल बाद भयानक बाढ़ आती है 2013, 2016, 2019, 2021 और अब 2024 में। गांव के लोगों ने बताया इस बार कम बाढ़ आई है लेकिन आई थी जिससे फसल और घर का बहुत नुकसान हुआ है। 2021 में खबर लहरिया द्वारा की गई रिपोर्टिंग में आप उस समय की स्थिति को करीब से जान पाएंगे।
2019 में आई भयानक बाढ़, महिलाओं की स्थिति को बयान करती है। गर्भवती महिलाओं पर बाढ़ का जो असर है वो बेहद दुखद है। बाढ़ आने पर इस गांव तक कोई सुविधा पहुँच नहीं पाती है।
यहां के लोग हर साल इस तरह से बाढ़ में अपना जीवन बिताते हैं। वे बताते हैं कि जिस दिन रातों रात पानी अचानक आ गया तो शंकर पुरवा गांव ही मिट जायेगा।
गांव वालों की पैलानी में जमीन की मांग
गांव वालों की मांग है कि उन्हें कोई स्थायी जगह दी जाए। प्रशासन से उनकी मांग है कि सरकार उन्हें पैलानी में घर दें लेकिन सरकार ऐसी जगह देना चाहती है जहां बाढ़ आती है तो ऐसी जमीन देने का क्या फायदा? देना है तो पैलानी में दे।
पैलानी के तहसीलदार विकास पांडेय से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि शंकर पुरवा का ग्राम पंचायत नांदादेव पड़ता है इसलिए नियम के अनुसार उन्हें वहीँ ज़मीं दी जाएगी। जमीन देने के काम का प्रयास हम कर रहे हैं। जैसे ही जमीन दी जाएगी आपको जानकारी दी जाएगी।
ग्रामीणों की इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाना आवश्यक है, ताकि वे सुरक्षित और स्थिर जीवन जी सकें। बाढ़ की समस्या ने न केवल उनकी खेती और आजीविका को प्रभावित किया है, बल्कि उनके जीवन के अन्य पहलुओं को भी खतरे में डाल दिया है।
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