हेलो दोस्तों, मैं हूं मीरा देवी। खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति, रस, राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। यूपी में ग्राम प्रधान समेत सभी पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 25 दिसंबर को पूरा हो रहा है। ये भी सुनने में आ रहा है कि कोरोना के चलते योगी सरकार राज्य की कुल 58758 ग्राम पंचायतों का पंचायत चुनाव को अगले साल जून में कराने की तैयारी कर रही है। इस दौरान प्रदेश में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के चुनावों को लेकर यूपी सरकार उम्मीदवारी को लेकर बड़े बदलाव कर सकती है।
इसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव में अयोग्य घोषित किया जा सकता है। साथ ही जिन लोगों ने पिछले चुनाव के खर्च का ब्यौरा नहीं दिया वह भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। ऐसे में लगभग 80 प्रतिशत मौजूदा प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य रह जाएंगे।
हालांकि यूपी सरकार के इस फैसले को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी जेपी सिंह का कहना है कि केन्द्रीय पंचायतीराज अधिनियम में पंचायत चुनावों के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उनमें प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने को लेकर जो भी फेरबदल होंगे वह राज्य सरकारों पर छोड़ा गया है। अगर उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्याशियों की योग्यता नए सिरे से तय करना चाहती है तो उसे विधानमण्डल का सत्र बुलाकर विधेयक पारित करवाना होगा।
कैबिनेट की मंजूरी भी इसके लिए जरूरी है। इस मामले पर हमने रिपोर्टिंग की। लोगों ने खुलकर इसमें विरोध और सहमति जताई। जो लोग सहमत थे उनका कहना था कि सरकार अच्छा काम कर रही है। ये बहुत जरूरी है ताकि जो प्रधान अनपढ़ होते हैं वह पढ़ने लिखने के काम के लिए दूसरे व्यक्तियों पर निर्भर होते हैं। अगर महिला प्रधान है तो उनके सारे काम उनके पुरुष ही करते हैं। दो बच्चों पर पर बोले कि यह भी ठीक है कि परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
अब बात करती हूँ जिन्होंने विरोध किया उनका कहना था कि मान लीजिए व्यक्ति अनपढ़ है दो से ज्यादा बच्चे हैं लेकिन उससे अच्छा कोई प्रधान हो ही नहीं सकता तो क्या उस गांव में चुनाव नहीं होंगे। विरोध और सपोर्ट करने वाले सभी लोगों ने एक बात एक तरह की बोली कि यह नियम सभी चुनाव में लागू होना चाहिए। चाहे वह लोकसभा का हो या विधानसभा या फिर इसके अलावा और भी चुनाव। कोई अंगूठा या दो से ज्यादा बच्चों वाले पंचायत से संसद तक किसी भी चुनाव के भागीदार नहीं होना चाहिए।
वरना सरकार दोगले बाजी करना बंद करे। पंचायत चुनाव में महिलाओं की भागीदारी की बात की जाय तो जो महिलाएं दूर-दराज और ग्रामीण इलाके और अनूसूचित परिवार से आती हैं वह शायद इस चुनाव की भागीदार न बन पाएं। क्योंकि भले ही हमारा देश 21 वीं सदी और टेक्नोलॉजी की तरफ अग्रसर रहने वाला हो लेकिन देश का ग्रामीण भारत अभी भी अनपढ़ है। ये ही अनपढ़ लोग सरकार की योजनाओं के पात्र बनाये जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत है कि वह बहुत सारी योजनाओं से बहुत दूर होते हैं। ऐसे में एक तरह का भेदभाव वैसे ही कायम है इनके साथ, ऊपर से सरकार के ऐसे निर्णय इनके साथ भेदभाव करके इनके और कमजोर बना देते हैं।
साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!