साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को दिखाई दिया ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 300 साल बाद ऐसा सूर्य ग्रहण लगा है। ग्रहण का सीधा मतलब है कि चंद्रमा, धरती और सूरज के बीच में आ गया. और इस बार के ग्रहण में चंद्रमा ने सूरज के बीचों-बीच आकर 70 प्रतिशत हिस्सा ढक दिया. इसीलिए ऐसे सूर्य ग्रहण को ‘रिंग ऑफ फायर’ कहते है. मतलब चंद्रमा के अगल-बगल से सूरज की रोशनी छनकर दिखी तो अंगूठी जैसा आग का गोला दिखाई दिया.
ये ग्रहण काफी लम्बा मतलब लगभग 6 घंटे तक चला. वैसे देश क्या दुनिया को कोरोना नामक ग्रहण पहले ही लगा हुआ है जिसका असर स्वास्थ्य पर तो है ही लेकिन जेब पर भी बुरी तरह से पड़ा है जिससे लोगों की नौकरी जा रही है. रोज़गार नहीं है सब आर्थिक संकट जूझ रहे हैं. उस पर इस सूर्य ग्रहण और ग्रहण के दौरान न्यूज़ पर ऐसी चर्चांयें देख एक अजीब सी बेचैनी हुई. क्योंकि कल रविवार था और हमारी छुट्टी थी तो नाश्ता कर के लगा न्यूज़ पर ही सूर्य ग्रहण देख लिया जाय क्योंकि हम सूर्य ग्रहण को नंगी आँखों से नहीं देख सकते और मेरे पास सोलर फ़िल्टर चश्मा ( ऐसा चश्मा जिससे ग्रहण दौरान आप सूर्य को अच्छे से देख सकते है ) भी नहीं है.मुझे लगता है बहुत ही गिने चुने वैज्ञानिक जैसे लोगो के पास ही ये चश्मा होगा ( ये मेरी सोच है ) .
लेकिन न्यूज़ पर इस तरह की चर्चा देख कर लगा सच में हमारा देश आर्थिक तौर से ही नहीं लोगों की सोच भी 21 साल पीछे चली गई. हमें शायद 6 या 7 कक्षा में पढ़ाया गया था की ग्रहण का शुभ अशुभ से कोई लेना देना नहीं है. मुझे याद है बचपन में कई नेता लोग भी ग्रहण के वक्त बिस्किट खा कर बताते थे की ग्रहण के वक्त कुछ वर्जित नहीं होता ये एक प्रक्रिया है जब पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाए और चंद्रमा पृथ्वी के इस चक्कर लगाने की प्रक्रिया में ही चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के कभी ज्यादा तो कभी कम बीच आ जाता है. चंद्रमा की छाया से सूर्य छिप जाता है उसे हम ग्रहण कहते हैं.
ओह मुझे लगता है ये तो आप सब को पता ही होगा। फिर कल ऐसा कैसे हो गया कि न्यूज़ चैनल वाले इस अंधविश्वास को बढ़ावा देते नज़र आए . गर्भवती महिलाये बाहर न निकले, खाना न छुए, मंदिर को ढक दे वगैरह – वगैरह। मैं इंतज़ार कर रही थी कि कोई जिम्मेदार व्यक्ति इस बार भी ये बताएँगे कि ये सारी बहियाद बातों पर भरोसा न करें लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हम तो पूरे दिन सिर्फ ये देखते रहे की इससे देश को नुकसान होगा।
इतना ही नहीं ज्योतिषी प्रतीक भट्ट ने दावा किया है कि भारत चीन के खिलाफ 7 जुलाई से पहले बड़ा कदम उठाएगा और भी देश भारत के साथ आएँगे. उन्होंने कहा कि बड़ा युद्ध तो नहीं दिखता है, लेकिन छोटा युद्ध या हिंसक झड़प होने की पूर्ण संभावना है. उन्होंने 58 साल पहले 1962 के ग्रहण का उदाहरण भी दिया जब चीन ने धोखे से भारत पर आक्रमण किया था और इस बार भी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच खूनी जंग हुई है. ये सब देख कर लगा सच में हमारा देश बदल रहा है लेकिन तरक्की की ओर नहीं तो क्या पतन की ओर ?