जिस उम्र में छोटे बच्चे अपनी ज़िन्दगी को और बेहतर बनाने की नींव रखते हैं। वहां सुविधाओं के आभाव में छोटे बच्चों को स्टंट करके अपना भरण-पोषण करना पड़ रहा है।
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