ना तो चूल्हे में आग है और ना ही थाली में रोटी। दर्द की ये दास्तान है उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के ब्लाक सकरन के मजलिसपुर गांव की। जहाँ से भूख से परेशान 12 वर्षीय एक गरीब परिवार की बच्ची के खुद को आग लगा लेने का मामला सामने आया है। खबर के अनुसार, मजलिसपुर में राकेश नामक व्यक्ति के 3 बच्चे हैं। उसके 2 बच्चे पढ़ने स्कूल गए हुए थे, जबकि राकेश किसी के खेत में काम करने चला गया था। उसकी 12 साल की बच्ची अपने स्कूल से घर लौटी तो उसे खाने के लिए एक रोटी ही मिली। जिसमें एक छोटा भाई भी था। बड़ी बहन का कहना था कि एक रोटी को आधी-आधी दोनों खा लेते हैं, लेकिन भाई ने पूरी एक रोटी खा ली। उसके बाद जब बहन को अपनी भूख बर्दास्त नहीं हुई तो उसने घर में रखा केरोसिन डालकर खुद को आग लगा ली। आग लगाने की घटना का पता चलने पर गांववालों ने एंबुलेंस बुलाई। एंबुलेंस उसे लेकर जिला अस्पताल चली गई। हालांकि, वहां उसकी हालत में कोई सुधार नहीं आया। बच्ची के पिता जब काम से घर लौटे तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। ऐसा बताया जा रहा है की आग से उसका शरीर 70 फीसदी तक जल गया है । लेकिन प्रशासनिक अधिकारी देखने नहीं आये हैं।
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सरकार भले ही लाखों दीप जलाकर दीवाली मनाए, विश्व रिकार्ड बनाये या फिर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में आपना नाम दर्ज कराये या फिर पीएम मोदी लाख दावे देश मे विकास के करे, लेकिन हकीकत इससे नहीं बदलने वाली है। यूपी के सीतापुर में भूख से बच्ची द्वारा उठाये गये इस कदम ने हृदय को झझकोर कर रख दिया है।