रिपोर्ट के मुताबिक़, इस समय सेना में आर्मी मेडिकल कोर और आर्मी डेंटल कोर समेत 8,129 अधिकारीयों की कमी है। इसके अलावा नौसेना और भारतीय वायु सेना में लगभग 1,653 और 721 अधिकारीयों की कमी है।
भारतीय सेना में इस समय मेजर और कैप्टन स्तर के अधिकारियों की भारी कमी दिखाई दे रही है। यह देखते हुए सेना अलग-अलग मुख्यालयों में स्टाफ अधिकारीयों की पोस्टिंग को कम करने की योजना बना रही है ताकि इकाइयों में हो रही कमी को दूर किया जा सके। साथ ही वह ऐसे पदों पर नियुक्त अधिकारियों की दोबारा नियुक्ति पर विचार कर रही है – इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया।
जानकारी के अनुसार, सेना ने हाल ही में प्रस्तावित कदम की व्यवहार्यता पर विभिन्न कमांडों से जानकारी मांगी गई है।
इससे पहले सरकार द्वारा सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को लाया गया था जिसे लेकर भी काफी बवाल मचा था क्योंकि योजना के अनुसार, उन्हें सिर्फ चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाना था। ऐसे में आवेदकों ने सरकार की योजना पर काफी सवाल खड़े किये थे।
पिछले कुछ सालों से सेना भर्ती की ख़बरें सामने आती रही हैं लेकिन सेना में भर्ती होने वाले आवेदकों को कोई राहत नहीं मिली है।
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा मार्च 2023 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी जिसमें बताया गया था कि तीनों सशस्त्र बलों में 1.55 लाख पद खाली हैं, जिनमें से सबसे ज़्यादा1.36 लाख पद भारतीय सेना में हैं। एक लिखित जवाब में, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि भारतीय सेना में 8,129 अधिकारियों की कमी है, जिसमें आर्मी मेडिकल कोर और आर्मी डेंटल कोर शामिल हैं।
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अधकारियों की कमी पर रिपोर्ट
रिपोर्ट में बताया गया कि जब मौजूदा व्यवस्था में मेजर रैंक के मध्य स्तर के अधिकारियों की लगभग छः साल की सेवा पूरी हो जाती है तो उन्हें विभिन्न कोर, कमांड और डिवीज़न मुख्यालय में नियुक्तियों के लिए पहला अनुभव दिया जाता है। मुख्यालयों में इनकी पोस्टिंग इसलिए की जाती है ताकि वहां रहकर अधिकारी अलग-अलग विषयों की नीति-रीति को समझें व समन्वय को संभालें। वहीं यूनिटों में अफसरों की नियुक्ति का मतलब है, मोर्चे पर कार्यों का ज़मीनी संचालन से होता है। हेडक्वार्टर में स्टाफ नियुक्तियों का अनुभव उन्हें उनकी सेवा के दौरान बाद की कमांड नियुक्तियों के लिए तैयार करता है।
इतने अधिकारीयों की है सेना में कमी
रिपोर्ट के मुताबिक़, इस समय सेना में आर्मी मेडिकल कोर और आर्मी डेंटल कोर समेत 8,129 अधिकारीयों की कमी है। इसके अलावा नौसेना और भारतीय वायु सेना में लगभग 1,653 और 721 अधिकारीयों की कमी है।
इसके साथ ही अधिकारीयों की कमी को देखते हुए सेना द्वारा पहले ही जहां भी संभव हो सके, कुछ कर्मचारियों की नियुक्तियों में 461 गैर-सूचीबद्ध अधिकारीयों को तैनात किया है।
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नियुक्ति में कटौती का प्रस्ताव
मौजूदा समस्या को देखते हुए व इससे निपटने के लिए हेडक्वार्टर में तैनात कर्मचारियों की कुछ नियुक्तियों में अस्थायी रूप से कटौती का प्रस्ताव रखा गया है। प्रस्ताव कहता है कि कनिष्ठ और मध्य स्तर के अधिकारी, जो वर्तमान में अलग-अलग मुख्यालयों में तैनात हैं, 24 महीने का निर्धारित कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें बिना किसी राहत ले यूनिट में भेज दिया जाएगा।
सालों से चलती आ रही अधिकारियों की कमी पर रिपोर्ट
बीबीसी हिंदी की जनवरी 2020 की प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया था, जब भारत के नए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने पद ग्रहण किया तो उस समय उन्होंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ़्रेंस यह बात कही थी कि आज भी भारतीय फ़ौज में अफ़सरों की कमी बरक़रार है।’ इस बात को आज लगभग तीन साल बीत चुके हैं और समस्या वही की वही है।
उन्होंने कहा था कि ‘भारतीय सेना में अफ़सरों की कमी इसलिए नहीं है कि लोग आवेदन नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसलिए है कि सेना ने अफ़सर चुनने के अपने मानकों को अब तक नीचे नहीं किया है।’
रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2018 में प्रेस सूचना विभाग ने भारतीय रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया था कि 1 जनवरी 2018 तक भारतीय सेना के पास 42 हज़ार से अधिक अफ़सर थे और 7298 सैन्य अफ़सरों की कमी थी।
इसके एक साल बाद समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि यह संख्या बढ़कर 7399 हो गई है यानी भारतीय फ़ौज में लेफ़्टिनेंट या उससे ऊपर के पद के जितने अफ़सरों की ज़रूरत है, उसमें 100 अधिकारी और कम हो गए हैं।
भारतीय नौसेना और वायुसेना में भी अफ़सरों की कमी है पर थल सेना में अफ़सरों की कमी उनसे कई गुना ज़्यादा है।
भारतीय सेना में खाली पदों को लेकर पिछले कई सालों से कई रिपोर्ट्स सामने आती रही हैं लेकिन उन पदों को भरे जाने की प्रक्रिया आज भी पूरी नहीं हो पाई है जिसका परिणाम आज यह है कि अधिकारीयों की कमी को देखते हुए नियुक्त अधिकारियों की पुनः नियुक्ति की योजना बनाई जा रही है, वहीं हज़ारों-लाखों युवा आज भी सेना में भर्ती होने का इंतज़ार कर रहे हैं जो उन्हें खाली पद होने के बावजूद भी नहीं मिल पा रही है।
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