बांग्लादेश की एक अदालत ने सोमवार 17 नवंबर, 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) को मौत की सजा सुनाई है। यह सजा उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी पाए जाने पर सुनाई गई है। यह फैसला एक महीने तक चली सुनवाई के खत्म होने के बाद आया जिसमें उन्हें पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह पर घातक कार्रवाई का आदेश देने का दोषी पाया गया था। इस फैसले पर खुद शेख हसीना ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा “मुझे परवाह नहीं। वे नाजायज़ हैं और यह फ़ैसला एक नाजायज़ चरमपंथी शासन द्वारा सुनाया गया है।”
शेख हसीना को मौत की सजा क्यों
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए और हज़ारों घायल हुए, जिनमें से ज़्यादातर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए, जैसा कि अल-जज़ीरा ने बताया है।
शेख हसीना के खिलाफ केस लड़ने वालों ने अदालत को बताया कि हसीना ने विद्रोह को दबाने के लिए घातक बल प्रयोग के सीधे आदेश दिए थे। इस सम्बन्ध में सोमवार 17 नवंबर को शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल ( ICT ) द्वारा मौत की सजा सुनाई गई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान को भी मौत की सजा सुनाई तथा पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन – जिन्होंने एक प्रमुख गवाह के रूप में गवाही दी थी उन्हें भी पांच साल की जेल की सजा सुनाई है।
शेख हसीना का राजनीति सफर
शेख हसीना ने अपने पिता की आवामी लीग पार्टी (Awami League parti) में शामिल होकर 1981 से राजनीति में कदम रखा। बताया जाता है कि वह लोकतंत्र की ताकतवर आवाज रहीं, खासकर उस समय जब बांग्लादेश में मिलिटरी तानाशाही थी। प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार वह 1996 में प्रधानमंत्री बनी थीं और यह कार्यकाल 2001 तक रहा। फिर वह 2009 से लगातार (लगभग) 2024 तक प्रधानमंत्री रहीं। इसके बाद जुलाई 2024 में विरोध प्रदर्शन के दौरान उनकी सरकार गिर गई और उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया।
सुनवाई से पहले बांग्लादेश में आगजनी
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में बांग्लादेश में बुधवार 12 नवंबर, 2025 को तनाव की स्थिति हो गई थी क्योंकि अपदस्थ (पद से हटा दिया गया) प्रधानमंत्री शेख हसीना पर चल रहे मामले में विशेष अदालत के फैसले की तारीख बताने से पहले, ढाका और देश के कई हिस्सों में देशी बम फटे और आगजनी की घटनाएं हुईं थी।
अज्ञात हमलावरों ने सुबह-सुबह पूर्वी ब्राह्मणबरिया में मुहम्मद यूनुस द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक के एक शाखा कार्यालय में आग लगा दी। इसके बाद, राजधानी में कम तीव्रता वाले कई विस्फोटों के बीच ढाका रेलवे स्टेशन पर एक खाली पड़े रेल डिब्बे में आग लगा दी गई। हालाँकि किसी के हताहत होने की खबर नहीं है लेकिन ढाका विश्वविद्यालय और शहर के अन्य हिस्सों में कई बसों को आग लगा दी गई और देशी बम विस्फोट हुए।
छात्रों ने किया था विरोध प्रदर्शन
सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के ढाका में सरकारी प्रसारक में आग लगा दी। प्रदर्शन के दौरान दंगा भड़कने से गुरुवार 18 जुलाई 2024 को कम से कम 39 लोगों की मौत की खबर सामने आई। इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए संबोधित करने के लिए चैनल पर आई थी ताकि प्रदर्शन को शांत किया जा सके। पिछले साल 2024 में हुए विरोध प्रदर्शन के बारे में जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।
बांग्लादेश: ढाका में आरक्षण के विरोध में भड़के दंगे, कम से कम 39 लोगों की मौत की खबर
अदालत में शेख हसीना पर लगे आरोप
शेख हसीना को मौत की सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि हसीना सरकार ने छात्रों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया और छात्रों की बात सुनने के बजाय तत्कालीन प्रधानमंत्री ने आंदोलन को कमजोर किया तथा छात्रों की ओर इशारा करते हुए अपमानजनक टिप्पणी की और उन्हें ‘रजाकार’ कहा, जो बांग्लादेश में अपमानजनक शब्द है। इसके साथ ही अपमानजनक टिप्पणी के बाद, महिलाओं के साथ छात्र भड़क उठे और इसके बाद शेख हसीना ने प्रदर्शनकारी छात्रों को खत्म करने का आदेश दिया।
न्यायाधीशों ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों ने साबित कर दिया कि ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला अवामी लीग की शाखाओं द्वारा किया गया था जिसमें छात्र लीग और युवा लीग भी शामिल थे।
अदालत ने कहा, “शेख हसीना ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रदर्शनकारियों के एकत्र होने का पता लगाने के लिए ड्रोन और उन्हें मारने के लिए हेलीकॉप्टरों और घातक हथियारों का उपयोग करने का आदेश दिया।”
बांग्लादेश से बाहर शेख हसीना
जब विरोध प्रदर्शन से स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई तब 4 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश से भाग गईं और तब से भारत में रह रही हैं। अब इस फैसले के बाद बांग्लादेश ने मांग की है कि भारत हसीना और खान को “तुरंत सौंप दे”। नई दिल्ली ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग
मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है लेकिन भारत ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
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