केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर के खिलाफ काफी महिलाओं ने यौन उत्पीडन के आरोप लगाए थे। पिछले हफ्ते, कई महिलाओं का ये भी कहना है कि वो उन्हें होटल के कमरों में बुलाया करते थे और उन्हें अनुपयुक्त तरीके से छुआ भी करते थे।
अकबर पहले ऐसे राज्यमंत्री हैं जिन्हें मीडिया की आवाज़ के ज़रिये इस सरकार में इस्तीफा देना पड़ा है। उन्होंने काफी हद तक तो इन सबसे बाहर निकलने के प्रयास तो बरकारा रखे थे पर #Metoo आन्दोलन के सामने तो वो भी नहीं टिक पाए।
राष्ट्रपति भवन ने बुधवार रात एक बयान जारी करा था कि अकबर के इस्तीफे को प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।
अकबर का कहना है कि “अब मैं अपनी व्यक्तिगत क्षमता के ज़रिये कानून की अदालत में न्याय की तलाश करूँगा,” मैं इस कार्यालय से इस्तीफा देने को तैयार हूँ और मेरे खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को चुनौती देना उचित समझता हूँ”।
उनका ये भी कहना है कि “वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी वरिष्ठ मंत्री सुषमा स्वराज के आभारी हैं कि उन्होंने उन्हें देश की सेवा का अवसर दिया” ।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा एम.जे अकबर को पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले को वापस लेने को कहा गया है ।
गिल्ड उन महिला पत्रकारों को भी कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है जिन्होंने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोप लगाए हैं। महिलाओं को गिल्ड का समर्थन अकबर के इस्तीफे के बाद प्राप्त हुआ है।
एक बयान में गिल्ड ने कहा है कि वे इन महिला पत्रकारों द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ दिखाए गए साहस को सलाम करते हैं ।