हॉलीवुड (विदेश का सिनेमा) निर्देशक हार्वे विंस्टन द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न के खिलाफ सोशल मीडिया पर #metoo नाम से एक अभियान चलाया जा रहा है जिसका मकसद ये है कि दुनिया में जितनी भी महिलाएँ यौन उत्पीड़न या किसी भी गंदगी का शिकार हुई हैं, तो वह बिना किसी झिझक के अपना अनुभव शेयर कर सकें। सभी देशों के लोग इस अभियान के ज़रिये अपना अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। वहीँ भारत में, यह अभियान सबसे ज़्यादा मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में प्रचलित है।
जहाँ एक तरफ देश की तमाम लडकियाँ और महिलाएँ अपने अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हैं, वहीँ दूसरी तरफ इसी अभियान के चलते, बॉलीवुड के एक नामी प्रोडक्शन हाउस के प्रतिनिधि पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के कारण उसे बंद कर दिया गया। 2014 की प्रसिद्ध फिल्म ‘Queen’ के निर्देशक विकास बहल, पर उन्ही के ही प्रोडक्शन हाउस की एक महिला कर्मचारी ने 2015 में उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस अभियान के ज़रिये और भी कई महिलाओं ने विकास बहल के खिलाफ अपने अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर करे हैं, जिसके चलते साझेदारी द्वारा चल रहे इस प्रोडक्शन हाउस को बंद कर दिया गया है।
इस अभियान के ज़रिये, यौन उत्पीडन के कई आरोपियों की सूचि में मशहूर लेखक चेतन भगत से लेकर टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व संपादक व एक्स-डीएनए के मुख्य संपादक गौतम अधिकारी जैसे और कई नामों को जोड़ा जा सकता है जो मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में जानी-मानी हस्तियों में से एक हैं।
इन सबकी शुरुआत लगभग एक हफ्ते पहले हुई, जब बॉलीवुड की अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर पर 2008 में फिल्म निर्माण के दौरान यौन उत्पीडन का आरोप लगाया। हालाँकि उस समय तनुश्री ने कोई मामला दर्ज नहीं करवाया था जिस कारणवश नाना पर कोई कारवाई नहीं हुई थी। किन्तु इस अभियान के चलते तनुश्री ने इस मामले को एक इंटरव्यू के दौरान बताया और फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री पर भी 2005 में फिल्म ‘chocolate’ की रचना के समय हुई बदतमीज़ी का आरोप लगाया।
और भी कई अभिनेत्रियों ने इस मुद्दे पर मीडिया के क्षेत्र में चल रही इन परेशानियों को सोशल मीडिया के ज़रिये लोगों तक पहुँचाया है। जैसे की स्वरा भास्कर ने भी अपने शुरुआती करियर में निर्देशक द्वारा उत्पीडन के मामले को सामने लाने का साहस दिखाया है। और ‘कास्टिंग काउच’ जैसे कई विषयों पर अपने भाव ज़ाहिर करे हैं।
#metoo के ज़रिये उठे सवाल न केवल बॉलीवुड में उठाये जा रहे हैं बल्कि अख़बार के संपादकों से लेकर कई हास्य अभिनेता और लेखकों की दुनिया में भी प्रचलित हैं।
कई महिला पत्रकारों की भी कहानियाँ सामने आई हैं जिन्होंने न केवल इस क्षेत्र में बल्कि इसकी बाहरी दुनिया में भी अपने काम के दौरान ऐसी परेशानियों का सामना किया है।
ऐसे में जब एक महिला पत्रकार ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व संपादक व एक्स-डीएनए के मुख्य संपादक गौतम अधिकारी पर बदतमीज़ी का आरोप लगाया, तो अधिकारी का कहना है कि उन्हें उस घटना के बारे में कुछ भी याद नहीं। उन्हें बस यही याद है कि वो महिला पत्रकार उनकी सहकर्मी हैं और उन्होंने हमेशा उन्हें समान देकर बात करी है।
वहीँ दूसरी तरफ कई महिलाओं ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हैदराबाद के संपादक के.आर श्रीनिवास पर भी यौन उत्पीडन का आरोप लगाया है। इस मामले को जांचने के लिए यौन उत्पीडन के खिलाफ एक समिति द्वारा बैठक की जाएगी। जिसका संचालन महिला कर्मचारी द्वारा किया जाएगा।
“भारतीय कानून द्वारा हर कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन के खिलाफ एक समिति बनाई जानी चहिए, जिसको चलाने का ज़िम्मा किसी महिला कर्मचारी को दिया जाना चाहिए ।“ ‘हमे हमारी संस्थायों को और उत्तरदायी बनाना चाहिए ‘, ऐसा प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया की संपादक मीनू जैन का कहना है। ‘संस्थायों को हर शिकायत को जांचकर और परखकर उसका उपाए खुद ही से निकालना चाहिए और साथ ही में भविष्य में आने वाली ऐसी परेशानियों के बारे में सोचना चाहिए।‘