मौनी अमावस्या के दौरान हुई भगदड़ के बाद यूपी के सीएम योगी ने कहा कि स्थिति काबू में है और कुछ श्रद्धालु गंभीर रुप से घायल हुए हैं। आगे कहा, प्रयागराज में ‘अमृत स्नान’ के लिए लगभग आठ से दस करोड़ लोग पहुंचे हैं और उन्होंने लोगों से सतर्क रहने की अपील करने के साथ उन्हें अपने पास के घाटों में ही स्नान करने को कहा है।
बुधवार, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दौरान महाकुंभ में कथित पवित्र स्नान के लिए करोड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ इकठ्ठा हो गई, जिससे क्षेत्र में भगदड़ जैसा माहौल बन गया। कथित पवित्र स्नान के लिए लोगों के बीच धक्का-मुक्की की भी ख़बरें सामने आईं जिसमें कई लोगों की मौत के साथ, लोगों के गंभीर रूप से घायल और चोटिल होने का भी पता चला है।
भगदड़ के बाद लोगों की चीज़ें, कंबल और बैग आस-पास बिखरे दिखाई दिए। सुरक्षाकर्मी घायल लोगों को स्ट्रेचर पर लेकर जा रहे थे।
हालांकि, यूपी सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर किसी की मौत व घायल होने का आंकड़ा पेश नहीं किया गया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मौनी अमावस्या में कथित पवित्र स्नान के लिए पहुंचे लोगों में लगभग 10 लोगों की भगदड़ में मौत हुई है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना रात के 1 से 2 बजे के बीच की है, जब कुछ श्रद्धालु अखाड़ा मार्ग के ज़रिये बैरिकेड्स के ऊपर चढ़ गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगदड़ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
प्रयागराज महाकुंभ में हुआ हादसा अत्यंत दुखद है। इसमें जिन श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इसके साथ ही मैं सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। स्थानीय प्रशासन पीड़ितों की हरसंभव मदद में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में मैंने…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 29, 2025
वहीं यूपी के सीएम योगी ने कहा कि स्थिति काबू में है और कुछ श्रद्धालु गंभीर रुप से घायल हुए हैं। आगे कहा, प्रयागराज में ‘अमृत स्नान’ के लिए लगभग आठ से दस करोड़ लोग पहुंचे हैं और उन्होंने लोगों से सतर्क रहने की अपील करने के साथ उन्हें अपने पास के घाटों में ही स्नान करने को कहा है।
सभी पूज्य संतों, श्रद्धालुओं, प्रदेश एवं देश वासियों से मेरी अपील है कि अफवाह पर कोई ध्यान न दें, संयम से काम लें, प्रशासन आप सभी की सेवा के लिए तत्परता से कार्य कर रहा है… pic.twitter.com/r3qAkveJoz
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 29, 2025
जहां-जहां लाखों-करोड़ों की संख्या में लोग एक-जगह इकठ्ठा हुए हैं, वहां से अमूमन तौर पर भगदड़ होने से किसी की मौत व घायल होने की खबरे सामने आती रही है। वहीं कुंभ मेला, जिसे कथित तौर पर विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है, भगदड़ के मामलों में इसका भी अपना इतिहास रहा है। जानते हैं, महाकुंभ में अब तक हुए भगदड़ के मामलों के बारे में…….
भगदड़ को लेकर कुंभ का इतिहास
2013 कुंभ
10 फरवरी 2013 को यूपी के कुम्भ मेले में इलाहबाद रेलवे स्टेशन पर एक फुटब्रिज गिरने से भदगड़ मच गई थी। इस घटना में लगभग 42 लोग मारे गए गए थे व 45 लोग घायल हुए थे।
2003 कुंभ
मुंबई में साल 2003 में आयोजित कुंभ में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु गोदावरी नदी में कथित पवित्र स्नान के लिए पहुंचे थे। यहां भी भीड़ होने से भगदड़ हो गई और लगभग 39 लोगों की मौत हो गई। इसमें कई महिलायें शामिल थीं और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।
1986 कुंभ
1986 में आयोजित कुंभ में भगदड़ होने से कम से कम 200 लोगों की मौत होने की ख़बर थी। यह घटना तब हुई थी जब यूपी के तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे थे। मीडिया रिपोर्ट बताती है कि जब सुरक्षाकर्मियों ने आम लोगों को नदी के किनारे से जाने से रोका तो भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई।
1954 कुंभ
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 1954 में सबसे पहला कुंभ मेला हुआ था जो कि स्वतंत्रता के बाद आयोजित हुआ पहला कुंभ था। 3 फरवरी 1954 को, माघी अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु इलाहबाद (अब प्रयागराज) में लगे कुंभ मेले में स्नान करने पहुंचे थे, जिसके बाद वहां भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में लगभग 800 लोगों की मौत हुई थी जिसमें कई लोगों की नदी में डूबने की वजह से भी हुई थी।
इन मामलों को अगर समेट कर देखा जाए तो भगदड़ के दौरान मरने वाले लोग हमेशा एक आम व्यक्ति,परिवार से ही होते हैं। जहां वे एक तरफ धार्मिक आयोजनों में अपनी मुश्किलों के समाधान के लिए आते हैं, वे अमूमन इन आयोजनों की अव्यवस्था के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं और अंत में उनकी मौत का दोष भी उन्हें दे दिया जाता है।
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