खबर लहरिया ताजा खबरें वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की तीसरी पूर्णतिथि पर ख़ास, हम अगर उठे नहीं तो जुल्म बढ़ता जायेगा

वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की तीसरी पूर्णतिथि पर ख़ास, हम अगर उठे नहीं तो जुल्म बढ़ता जायेगा

आज 5 सितंबर है और हम याद कर रहे हैं लंकेश पत्रिका की साहसी और निडर वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश जी की तीसरी पुण्यतिथि। इस अवसर हम उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनको समर्पित हमने एक स्टोरी कवरेज की। जिसका मुख्य उद्देश्य है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता का हनन होता जा रहा है। पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार, मारपीट और हत्या के मामले आय दिन अख़बारों की सुर्खियां बनते हैं। जहां एक तरफ देश और राज्य की सरकारें पत्रकारों के साथ अच्छे व्यवहार की अपील करती हैं वहीं उत्तर प्रदेश के डिफ्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खुलेआम पत्रकारों को नेतागिरी करने को कहकर जलील करते हैं, यह कैसा लोकतंत्र है??

आय दिन पत्रकारों के साथ हमले होते रहते हैं। खासकर उन पत्रकारों को निशाना बनाया जाता है जो जमीनी स्तर में काम करते हैं। क्योंकि पत्रकार ऐसे मुद्दे उठाते है जो सरकार और सत्ताधारी लोगों को कटघरे में खड़ा करते हैं। उनपर सवाल उठते हैं। इसकी कीमत कई बार पत्रकारों को अपनी जान जोखिम में डालकर चुकानी पड़ती है। हमने इस मौके पर कई ऐसे पत्रकारों से इंटरव्यू किये जो ग्राउंडजीरो की रिपोर्टिंग अपनी जान खतरे में डालकर करते हैं। उनपर सत्ताधारी लोगों द्वारा प्रताड़ित, अपमानित और यहां तक कि जान भी ले लेते हैं। ऐसे केशो में ज्यादातर सुनवाई नहीं होती है। ऐसे कई मामले हमने कवरेज किए जिनमें सरकार और प्रशासन पत्रकारों के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखती है। सवाल ये खड़ा होता है कि जब पत्रकार के मामलों में कार्यवाही नहीं होती तो आम जनता का क्या होगा?

आज समाज, सरकार और सत्ताधारी लोग पत्रकारों को कुछ नहीं समझते। इसीलिए गौरी लंकेश जैसी निर्भीक पत्रकारों की हत्या ही कर दी गई।

आइये जानते हैं कौन थीं गौरी लंकेश

गौरी का जन्म 29 जनवरी 1962 को कर्नाटक के एक लिंगायत परिवार में हुआ था। उनके पिता पी. लंकेश कन्नड़ के प्रसिद्ध लेखक, कवि एवं पत्रकार थे। वे पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता भी थे। 1980 में उन्होंने लंकेश नामक कन्नड़ साप्ताहिक पत्रिका की शुरुआत की थी। उनकी तीन संतानें थी- गौरी, कविता और इंद्रजीत। कविता ने फिल्म को पेशे के रूप में अपनाया और कई पुरस्कार जीते। गौरी ने पत्रकारिता को अपना पेशा बनाने का निश्चय किया। पत्रकार के रूप में उनके पेशेवर जीवन की शुरुआत बेंगलुरू में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से हुई।

चिदानंद राजघट्ट से विवाह करने के बाद वे कुछ दिन दिल्ली रहीं। इसके बाद पुनः बेंगलूरू लौटकर उन्होंने 9 सालों तक ‘संडे’ मैग्जीन में संवाददाता के रूप में काम किया। उनकी अंग्रेजी और कन्नड़ भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी। उन्होंने बेंगलूरू में रहकर मुख्यतः कन्नड़ में पत्रकारिता करने का निर्णय किया। 29 जनवरी 1962 को दिवंगत पत्रकार गौरी लंकेश का जन्म कर्नाटक में हुआ था। 5 सितंबर 2017 में गौरी लंकेश को उनके घर के बाहर गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया गया था।