खबर लहरिया एडिटर देगी जवाब क्वारन्टीन में मजदूर की हुई मौत पर एडिटर ने क्या दिया जवाब देखिए एडिटर देगी जवाब में

क्वारन्टीन में मजदूर की हुई मौत पर एडिटर ने क्या दिया जवाब देखिए एडिटर देगी जवाब में

क्वारन्टीन में मजदूर की हुई मौत पर एडिटर ने क्या दिया जवाब देखिए एडिटर देगी जवाब में :कोरोना और लाकडाऊन ने हम सबको हिला कर रख दिया है हमारा जीवन प्रभावित हो गया है बुरी तरह से लेकिन मैं इस लाक डाउन के दौरान कुछ सुकुन भी महसूस कर रही हूं और सुकून है प्रकृति का ,हमारा वातावरण कितना साफ सुथरा है, सुकून की सांसें ले रहे हैं मयी के महीना में जहां पर चिलचिलाती धूम और गर्मी हुआ करती थी वहां पर ठंडी हवा है खूब सूरत सासमान,नदियां,झीलें और पहाड़ मानो ये कह रहे हो कि लाकडाऊन खुलने के अब दुबारा से इनको दूषित न करें ,तो दोस्तों क्या आप भी मेरे जैसे ही महसूस कर रहे हैं जरूर से बताना और हां इस मुसीबत की घड़ी में सिर्फ सरकार के भरोसे मत रहिए अपने आसपास के लोगों का सहयोग करिए अपने आचरण को बदलिए और क्या आप बिना गुटखा और शराब के रह सकते हैं मुझे लगता नसें की चीजें इस टाईम छोड़ कर हम अपने घर परिवार और पड़ोस की जिम्मेदारी को उठाये 4.साथियों बोलने के लिए बहुत कुछ है अब मैं सीधे आपके सवालों को पढ़ती हूं और देती हूं जवाब एक खबर हमने 11मयी को अपने चैनल में पब्लिश किया खबर बांदा जिला ब्लाक तिंदवारी के साड़ी गांव की है इस गांव के चार मजदूर हैदराबाद से साइकिल में चलकर 15दिन में अपने गांव पर पहुंचे थे गांव के बाहर ही सरकारी स्कूल में उनको क्वारन्टीन पर रखा गया था जहां पर मुन्ना नाम के मजदूर की अचानक तवियत खराब हुई उनके मुंह से ब्लड आने लगा इलाज के लिए बांदा लाया गया फिर कानपुर रिफर किया गया जहां पर डाक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया है इस खबर जो सवाल आते हैं मैं कुछ सवालों के जवाब देती हूं 5-सवाल -सुनीत कुमार लिखते हैं ,ये किस तरह की व्यवस्था हुई क्वारन्टीन में ये सरकारें तो खुद में मिया मिट्ठू बन रही हैं जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और है।दूसरी बात अगर आपके क्वार्टिन में व्यवस्था नहीं है तो उनको होम क्वारेंटिंन में रखा जाये जवाब -सुनीत कुमार जी आपका सवाल एकदम जायज है जो स्कूलो और कालेजों को क्वारन्टीन बनाया गया है वहां पर खाने की पीने सोने और दवाई की कोई व्यवस्था नहीं है सरकार सिर्फ टीवी चैनलों के माध्यम से घोषणाएं करती है और उन्हीं के कर्मचारी वो सुविधा जनता को नहीं दे रहे हैं सबसे ज्यादा तो लोगों को अब जानबूझ कर भूखों मारा जा रहा है अब समय आ गया है मजदूरो को संगठित होकर खड़ा होने की और सरकार से हक की लड़ाई लड़के की 6-लाकडाऊन होते ही सरकार ने घोसणा की थी कि प्राईवेट स्कूलों की फीस माफ की जायेगी लेकिन प्राईवेट स्कूल सरकार का आदेश कहां मानने वाले हैं चित्रकूट में फीस बराबर फीस की वसूली हो रही है इस स्टोरी को हमने कबरेज किया लोगों को बहुत पसंद आई है बहुत सारे सवाल भी आये हैं सवाल- अशोक पब्लिक स्कूल ने भी क्लास 10 के बच्चो का 11 में एडमिशन कराना शुरू के दिया है । बिना सीबीएसई के नोटिस के । जब मैंने प्रिंसिपल और डायरेक्टर प्रतीक गुप्ता से बात करी तो उन्होंने बदतमीजी करी और बोला “क्या आपको कोर्ट का ऑर्डर और सीबीएसई का नोटिस नहीं मिला है क्या” ? तो मैंने उनसे कहा के मुझे वह नोटिस दीजिए जरा। मैंने एचआरडी और सीबीएसई को इस बारे में मेल भी लिखा पर मुझे कोई जवाब नहीं मिला । आशा करता हूं के भविष्य में ये कुछ सीखेंगे । जवाब , जायज सवाल है अशोक जी हमें लगता है अगर जबरदस्ती फीस भरवाई जा रही तो स्कूलो के खिलाफ कार्रवाई करनी चहिए 7-7मयी को पौने सात बजे सूरत से चलकर बांदा में श्रमिक स्पेशल ट्रेन आई इस खबर का हमने फेसबुक लाईव किया था जो चार लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं और इस पर एक स्टोरी भी की है जो साठ हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं हजारों की संख्या में सवाल आते हैं इसमें मैं एक सवाल पढ़ना चाहती और बाकी लोगों से माफी चाहती हूं कि सबके सवालों के जवाब नहीं दे पा रही हूं मेरे साथ जुड़ने के लिए दिल से शुक्रिया सवाल-प्रकाश लिखते हैं ,गुड मॉर्निंग जी मैडम जी आप कैसे हो मैं चंडीगढ़ में रह रहा हूं मैं बांदा जिले का रहने वाला हूं मेरा गांव चोली है मेरा जिला हमीरपुर में चंडीगढ़ में 32 हॉस्पिटल में ड्यूटी करता हूं और मैं गांव जाना चाहता हूं कोई भी ट्रेन या बस की व्यवस्था नहीं की जा रही है इधर मैं बहुत परेशान हूं मेरे को गांव तक पहुंचाने के लिए कोई साधन की व्यवस्था मोदी सरकार योगी सरकार से मेरा निवेदन है कि मेरे लिए कोई मदद करें तो देश की जीत तभी आएगी जब मैं अपने गांव पहुंच जाऊंगा तो हमारा देश और आगे बढ़ेगा अपने देश के बच्चों को बुलाया जाए तो अपना भारत महान है वह भारत सरकार से मेरा निवेदन है कि मुझे जल्द से जल्द चंडीगढ़ से गांव के लिए कोई व्यवस्था बना दें धन्यवाद