आइये आपको गांव ले चलूं। खेत की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियां, धूल में मस्ती के साथ खेलते बच्चे, राजा महाराजाओं के जैसे बहुत ही पुरानी नक्काशी से बने घर और दरवाजे, मिट्टी से सजावट की गईं दीवालें। सब कुछ देखने को मिलेगा। मैं और मेरी सहेली एक दिन निकले यहां की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए ताकि आपको भी गांवों की तस्वीरें दिखा सकें या आपके गांव की याद दिला सकें।
मुझे पता है आप के लिए यह कुछ नया नहीं है। कुछ लोग तो रह रहे होंगे और कुछ लोग जॉब और पढ़ाई को लेकर शहरों में रह रहे होंगे लेकिन क्या आपने कभी अपने घर, गलियों, खेत की पगडंडियों, खेतों, खलियानों, नदियों, पहाड़ों, पशु पक्षियों की आवाजों व खुले आसमान को इतने करीब से महसूस किया है। अगर नहीं तो फिर सुन लीजिए और साथ में दिखिए भी।
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ये घर देख रहे हैं न। पहले तो दूर से देखने में बंगला जैसे। मेहमानों को बैठने और सोने के लिए दोनों तरफ चबूतरे बने हैं। दरबाजे की डिजाइन पुरानी नक्काशीदार बनी हुई है। ऊपर से मिट्टी की दीवाल में बनी डिजाइन दरबाजों की शोभा में चार चांद लगा रही हैं। गर्मियों और सर्दियों में यहां पर शहरों के कूलर और ए.सी. फेल हैं। सुकून और जो ठाटबाट है वह अलग।
एक और घर जो अटारीदार बने हैं। अटारी मतलब कच्चे घरों के एक मंजिल दो मंजिल। नीचे से सीढी मतलब जीना बनाया जाता है। उस अटारी को स्टोररूम के लिए भी यूज किया जाता है। यह अटारी बहुत ही सुंदर और सुकून दायक होती है।
गांव में लोग सुबह से लेकर शाम तक काम में व्यस्त रहते हैं जो शहरी कल्चर से परे है। लोग सुबह से पशुओं को चारा पानी और उनकी सफाई करते हैं। हमने देखा कि लोग अपनी भैसों को नहला रहे हैं। उनके लिए चारा ला रहे हैं। तभी तो सौ परसेंट शुद्ध घी दूध खाने को मिलता है।
बच्चों की अपनी गैंग है जो धूल मिट्टी में खेल रहे हैं। बेफिक्र मां बाप और बच्चे भी। मां बाप रोज रोज होने वाले कामों को निपटा रहे हैं लेकिन बच्चे मस्त हैं।
गांवों में बहुत कुछ ऐसा है जिस पर कितनी भी बातें करो वह कभी खत्म नहीं होंगी। इसलिए इस बार अभी इतना ही। आप भी जोड़ियेगा गांव से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिनकी चर्चा बहुत कम होती है या होती ही नहीं। ताकि हम और कर पाएंगे गांव की खासियत पर और लम्बी चर्चा।
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