कोरोना राहत का काम या मिडिया में खुद का नाम कमा रहे लोग देखिये राजनीति रस राय में :लोकडाउन के चलते लोगों के कमाई के जरिये पूरी तरह से ठप हैं। सरकार की पहल के चलते लोगों को घर बैठे खाना पहुंचाया जा रहा है। इसमें तमाम समाजसेवी और संस्थाएं अपनी बेहतरीन भागीदारी निभा रही हैं तो वहीं राजनैतिक पार्टियों के लोग इस नेक काम में पीछे नहीं हैं। 2 सब लोगों के अपने अपने विचार हैं कोरोना राहत पर। कोई समाज सेवा कर रहा है, तो अपना दायित्व निभा रहा है तो कोई खुद को फेमस करना चाह रहा है। और तो और उससे बढ़कर बात ये है कि कोई चुनाव की तैयारी कर रहा है। आप बुरा मत मानिएगा में इसलिए कह रही हूँ क्योंकि लोगों ने खुद बोला है। बहुत लोग है कि गरीबो को खाना चुपचाप देते हैं कि अब तक उनका पता भी नहीं चला होगा। और कुछ लोग ऐसे हैं कि खाना देते समय फ़ोटो और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डालते हैं और लेते हैं ढेरों ऑनलाइन आशीर्वाद और अपने फ्लेवर के कमेंट। 3 बहुत लोगों ने इसका ऑनलाइन और ऑफलाइन विरोध किया। शासन प्रशासन स्तर में भी इसमें रोक लगाई गई लेकिन लोग बाज़ नहीं आये और लगातार शोसल मीडिया ने देखने को मिल रहा है। 4 इस मामले को लेकर मैंने रिपार्टिंग की। लोगों से बातचीत के दौरान अलग अलग तरह की बातें निकल कर आई। कुछ लोगों ने कहा कि उनसे ये रिकार्ड मांगा जा रहा है इसलिए फ़ोटो खिंचाना उनकी मजबूरी है। कुछ लोगों ने कहा कि खाना देते हुए फ़ोटो खिचाना अच्छा लगता है। खुद को देख पाते हैं कि लोगों की मदद किस तरह कर पा रहे हैं। 5 कुछ ने साफ तौर पर कहा कि इतने सारे लोग खाना बांट रहे है तो लोगों को पता भी चलना चाहिए कि कौन खाना दे रहा है। क्योंकि चुनाव आने वाले हैं। ये खाना बांटना भी चुनाव की तैयारी है। 6 सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी की बात की जाए तो उन्होंने खाना और राशन खूब बांटा और शायद आगे भी बांटते रहेंगे लेकिन उन्होंने भी अपने पैकेट में पार्टी के नाम के साथ अपना नाम भी लिख दिया तो इसीतरह मोदी (प्रधानमंत्री) और योगी (मुख्यमंत्री) के नाम से खाना के पैकेट बांटे गए। इस प्रचार प्रसार में देश और राज्य में मौजूदा और भारतीय जनता पार्टी ने सबसे आगे रहे। 6 इसीतरह से सपा, बसपा और कांग्रेस राजनैतिक पार्टियों के अलांवा जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी पीछे नहीं रहा। इस बात पर शासन प्रशासन प्रशासन के लोग ये कह सकते हैं कि उन्होंने फ़ोटो नहीं खींची या सोशल मीडिया में डाली भी नहीं। इस काम को मीडिया ने किया। बेशक ये बात बिल्कुल सही है पर जब सोशल मीडिया में सब देखने को मिल रहे हों तो फर्क कर पाना बेमानी साबित होता है। 7 फेमस होना, सोशल मीडिया में फ़ोटो डालना अपनी सराहना करवाना किसको अच्छा नहीं लगता। सवाल इस बात का है कि जो लोग नसीहत देते हैं वही लोग आगे होकर क्या नसीहत दे सकते हैं? बड़ा सवाल राजनीतिक लोगों से कि इस दुख की घड़ी में भी राजनीति और चुनाव की तैयारी की बात करना आपके लिए अशोभनीय क्यों नहीं लगती? सोशल मीडिया में कोरोना राहत देते हुए फ़ोटो डालकर लोगों का चेहरा सार्वजनिक करके उनके निजता का हनन करते हुए आपको अपने ऊपर कार्यवाही का डर क्यों नहीं? इन्हीं सवालों और विचारों के साथ मैं लेती हूँ विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ, तब तक के लिए नमस्कार।