धान से बनी ज्वेलरी: जिला वाराणसी चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल के प्रांगण में दस दिवसीय काशी शिल्प मेले का आयोजन हो रहा है। देशभर के शिल्पकारों द्वारा तैयार की गयी एक से बढ़कर एक अनोखे आइटम्स को देखने और खरीदने के लिये यहां खरीददारों को रेला देखने को मिल रही है इनी अनोखे आइटम्स में से एक बेहद खास चीज जो यहां लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है वो है अपने आप में बेजोड़ है धान से बनी ज्वेलरी | कोलकाता निवासी राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी पुतुल दास मित्रा ने धान की बालियों से बनने वाली ज्वैलरी को बेहद कठिन परिश्रम से बनाने वाली पुतुल ने बताया की ये लोगों को आकर्षित कर रही हैं ये ज्वेलरी
काशी शिल्प मेले में धान की ज्वेलरी शॉप सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। आश्चर्यचकित कर देने वाली ऐसी कलाकारी देख यहां आ रहीं महिलाएं और युवतियां भी हैरान हैं। जहां महिलाएं चांदी, सोने व आर्टिफिशियल ज्वेलरी को पसंद करती हैं तो वहीं बिल्कुल नेचुरल धान की बालियों से तैयार की गई ज्वेलरी एक अद्भुत संदेश भी देती नजर आ रही हैशौक को बनाया करियर
इन ज्वेलरी को तैयार करने वाली कोलकाता की पुतुल दास मित्रा बताती हैं कि करीब 20 वर्ष पूर्व उन्होंने धान की ज्वेलरी बनाने की मन में ठानी और शौक से शुरू किए गए इस कला ने आज उन्हें बिजनेस के रूप में नया मुकाम दे दिया है।चार साल तक चलते हैं ये गहने
पुतुल के अनुसार उनकी ये खास ज्वेलरी चार सालों तक चलती है। इसे इस तरह से तैयार किया गया है कि ये चार सालों तक खराब नहीं होतीं।
इसकी कीमत 50 रुपये से शुरू
पुतुल ने बताया कि उनके मेहनत के हिसाब से ये ज्वेलरी महंगी नहीं हैं। इनकी कीमत 50 रुपये से शुरू होकर 1000 रुपये तक है। पुतुल की मानें तो पिछली बार भी वो काशी शिल्प मेले में आई थी और यहां से उन्हें अच्छी आमदनी हुई थी। यहां तक कि 10 दिनों के शिल्प मेले में आठ दिनो में ही उनके सारे आइटम्स खत्म हो गये थे। पुतुल को इस बार भी काशी शिल्प मेले के माध्यम से अच्छी कमाई होगी।