बदलते जमाने के साथ साथ बहरूपिया का भी जमाना चला गया। आज के आधुनिक युग में जब दुनिया इंटरनेट के माध्यम से मनोरंजन में व्यस्त है, पहले के दौर में गांव-गांव व कस्बों में महीनों तक अपनी रंग रूप साज-सज्जा को विभिन्न परिधानों से सुसज्जित कर लोगों का मनोरंजन करना ही बहरूपियों की कला हुआ करती थी।
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मनोरंजन के लिए पहले के जमाने में लोग कठपुतलियों के नाच सहित विभिन्न पौराणिक कलाओं का सहारा लेते थे। इन्हीं में से एक नाम बहुरूपिया कला का भी आता है। लेकिन, टेलीवीजन ,स्मार्टफोन और तकनीकी दौर में भारतीय लोक संस्कृति कला विलुप्त होती जा रही है।
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महोबा जिले के कुलपहाड़ में आज भी कई कलाकार ऐसे हैं जो बहुरुपिया कला को वैवंत रूप देकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं।
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